Move to Jagran APP

टीसीएस के इस Storyteller ने कभी की थी जान देने की कोशिश, आज दुनिया भर में मचा रहे धूम

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज दुनिया की प्रतिष्ठित कंपनियों में एक हैं। अमेरिका में टीसीएस में उत्पादों और प्लेटफॉर्म मार्केटिंग के प्रभारी सुनील रॉबर्ट वुप्पुला अपने मोटिवेशनल स्पीच से न सिर्फ अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया में धूम मचा रहे हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 06:02 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 10:03 AM (IST)
टीसीएस के इस Storyteller ने कभी की थी जान देने की कोशिश, आज दुनिया भर में मचा रहे धूम
टीसीएस के इस Storyteller ने कभी की थी जान देने की कोशिश,

जमशेदपुर। यदि सुनील रॉबर्ट वुप्पुला अपने शुरुआती दिनों में अपने जीवन में सफलता हासिल करने की दृढ़ संकल्प नहीं दिखाया होता, तो उनका मानना ​​​​है कि वह या तो हैदराबाद की चेरलापल्ली जेल में बंद रहे होंगे, या शहर में कुछ अजीब काम कर रहे होंगे। बचपन कठिन था, क्योंकि उनके पिता की नौकरी चली गई थी। परिवार के लिए जीविका चलाना एक कठिन कार्य था। वुप्पुला की कोई बड़ी कंपनी भी नहीं थी और वह लगातार गुस्से की स्थिति में रहता था। उसने एक बार आत्महत्या करने की भी कोशिश की, लेकिन समय रहते बच गए।

loksabha election banner

जिससे नफरत करते थे, वही पढ़ाई करनी पड़ी

स्थिति उस समय और बद से बदतर हो गई, जब उन्होंने ऐसे विषय की स्टडी करनी पड़ी, जिसमें उन्हें कतई रुचि नहीं थी। वह कहते हैं, "मैं एक पॉलिटेक्निक कॉलेज गया था। मेरे माता-पिता ने सोचा था कि इससे मुझे जल्दी से कमाने और परिवार को सपोर्ट करने में मदद मिलेगी। लेकिन मुझे इलेक्ट्रॉनिक्स से नफरत थी। आखिरकार, मैंने कहा नहीं। मैं कभी भी रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) जैसी सरकारी कंपनी में नौकरी करना नहीं चाहता था, क्योंकि तीन साल पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करने के बाद मुझे इस फील्ड से नफरत होने लगी थी। मैं आने वाले वर्षों में सोल्डरिंग इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड बनाने के लिए प्रतिबद्ध नहीं होना चाहता था।  

वुप्पुला ने दिल की सुनी और जीत लिया जहां

दोस्तों और परिवार ने सोचा कि वुप्पुला सरकारी नौकरियों को त्याग कर अपने करियर की आत्महत्या कर रहा है। लेकिन वुप्पुला अपनी "सच्ची कॉलिंग" खोजने के लिए उत्सुक था। वुप्पुला को वाईएमसीए में यंग ऑरेटर्स क्लब में वीकली सेशन का इंतजार था, जहां वह शहर के प्रबुद्ध लोगों के साथ बहस करने और सार्वजनिक मंच पर बोलने का अभ्यास करते थे। "वह एक बौद्धिक रूप से शानदार क्लब था। इसने मुझे फिलॉसफी, राजनीति, अर्थशास्त्र और कई अन्य विषयों से अवगत कराया। उन्होंने अपने अंग्रेजी भाषा कौशल को तेज करने में भी उनकी मदद की।

उस्मानिया विश्वविद्यालय से किया एमबीए, चार गोल्ड भी जीते

इसके बाद वुपुल्ला ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आगे चलकर एमबीए किया और उस्मानिया विश्वविद्यालय में कम्युनिकेशंस में मास्टर्स डिग्री ली। यहां उन्होंने उस वर्ष पांच में से चार स्वर्ण पदक भी जीते। संचार, लेखन और कहानी कहने के उनके जुनून ने कॉर्पोरेट जगत में उनके लिए कई दरवाजे खोल दिए, और अंततः वह इंग्लैंड के बाद अमेरिका चले गए। उन्होंने एक किताब भी लिखी, 'आई विल सर्वाइव', टाटा समूह के चेयरमैन एमिरेट्स रतन टाटा ने लोकार्पण किया था।

टीसीएस में बड़े पद पर हैं सुनील, अमेरिका में मचा रहे धूम

सुनील अब अमेरिका में टीसीएस में उत्पादों और प्लेटफॉर्म मार्केटिंग के प्रभारी हैं। वह अन्य मार्केटियर्स को कहानी कहने के कौशल में भी प्रशिक्षित करते हैं, ताकि वे ग्राहकों के साथ बेहतर ढंग से जुड़ सकें। और जब कहानियां नहीं सुना रहे होते हैं या फिर दूसरों को कोचिंग नहीं दे रहे होते हैं तो वुप्पुला न्यू जर्सी के ईस्ट जर्सी स्टेट जेल में स्वयंसेवा करना पसंद करते हैं। यहां वह कैदियों को संचार कौशल सिखाते हैं ताकि वे मुक्त होने के बाद बाहरी दुनिया का सामना कर सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.