गणेशोत्सव की यह झांकी बयां कर रही उजाड़े जाने की पीड़ा Jamshedpur News
गोविंदपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रामपुर गिट्टी मशीन स्लम बस्ती के लोगों ने गणेश उत्सव पर जो पूजा पंड़ाल बनाया है वह बस्तीवासियों के दर्द को बयां कर रहा है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। इस शहर की यह खासियत है कि लोग मौज-मस्ती का कोई मौका नहीं छोड़ते। हर पर्व को पूरे उत्साह और उमंग से मनाते हैं। दुख व तकलीफ को इसी उत्साह के समंदर में डूबोने की कोशिश में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते। हालांकि अंदर की टीस कहीं न कहीं तो उभरेगी ही। ऐसी ही टीस को उभारने की कोशिश की गई है गणेशोत्सव के पूजा पंडाल में। यह उन उजाड़े गए लोगों की पीड़ा है जिनके घरों को बुलडोजर ने ध्वस्त कर दिया।
दरअसल, शहर से सटे गोविंदपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रामपुर गिट्टी मशीन स्लम बस्ती के लोगों ने गणेश उत्सव पर जो पूजा पंड़ाल बनाया है वह बस्तीवासियों के दर्द को बयां कर रहा है। सड़क बनाये जाने को लेकर स्लम बस्ती के लोगों के घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान जिला प्रशासन द्वारा गरीबों के झोपड़े तोड़ दिये गए। ये गरीब जो दैनिक मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं, उनके समक्ष बरसात के दिनों में घर तोड़ दिये जाने से भारी कठिनाई उत्पन्न हो गयी है। कुछ बेघर लोग तो पेड़ के नीचे गुजर-बसर करने को विवश है। ऐसे में बेघर हुए लोग अपने भाव को पूजा पंड़ाल के शक्ल में कलाकृति द्वारा शहर के लोगों को बड़ा ही मार्मिक तरीके से बताने का प्रयास किया है।
यहां के गरीब युवाओं ने अपनी कलाकृति से अतिक्रमण हटाने के दौरान घर टूटने से बस्तीवासियों की वास्तविक स्थिति क्या है, इस भाव को दर्शाया है। गणेश पूजा के आयोजन में जुटे एक नवयुवक ने कहा कि हम गरीब अपनी फरियाद किससे करें? बस यूं समझ लीजिए कि हम अपनी बस्ती की पीड़ा को पंड़ाल का शक्ल देकर जनप्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन को बताना चाहते हैं। सुना है कि गरीबों को मुख्यमंत्री जी घर दे रहे हैं। हमें घर कब नसीब होगा, यह हम अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, सांसद, विधायक से पूछना चाहते हैं। हमारी समस्या को देखने के लिए भावपूर्ण नजर चाहिए।
उजाड़े गए बस्तीवासियों ने कहा, हमने अपना दर्द बयां कर दिया है इस झांकी के रूप में। हम गरीब विकास में बाधक नहीं है। परंतु जिस क्रूरता से तोड़फोड़ किया गया, उस घटना को हमने दर्शाया है। तख्तियों पर अपनी पीड़ा भी बयां कर दी है। अब हमें उस नजर की तलाश है जो हमारे भाव और दर्द को देख सके, महसूस कर सके।