इस डॉक्टर से सीख लें तो बदल जाएगी सरकारी अस्पतालों की सूरत, ऐसे हैं डॉक्टर सरवर
एमजीएम अस्पताल में वर्षों से खराब पड़ी थी लेप्रोस्कोपिक मशीन। डॉक्टर सरवर ने अपने पैसे से मशीन बनवाई और मरीजों की सर्जरी शुरू की।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तैनात डॉ. सरवर आलम की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। उनकी मेहनत व लगन देखकर अधीक्षक डॉ. आरके मंधान से लेकर उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद आदि ने उनका हौसला बढ़ाया है।
दरअसल, सर्जरी विभाग में बीते कई वर्षों से लेप्रोस्कोपिक मशीन खराब पड़ी हुई थी। इसके कारण उसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा था। एमजीएम प्रंबधन ने मशीन बनवाने की भी कोशिश की, लेकिन नहीं बन सकी। डॉ. सरवर आलम की नजर उस मशीन पर पड़ी तो उन्होंने अपने पैसे खर्च कर खराब पड़े छोटे-छोटे उपकरण खरीदे और मशीन बनवाई। अब मशीन चालू हो गई, और मरीजों की जान बचने लगी है। बीते एक सप्ताह के अंदर लेप्रोस्कोपिक मशीन से डॉ. सरवर दो सफल सर्जरी कर चुके है। उनकी इस पहल की सराहना अस्पताल में हो रही है।
दिल्ली में तैनात थे डॉक्टर सरवर
डॉ. सरवर आलम ने नौ अगस्त को ही एमजीएम में योगदान दिया है। इससे पूर्व वे दिल्ली के एक अस्पताल में तैनात थे। डॉ. सरवर आलम कहते है कि उनका मकसद मशीन चालू कर गरीब मरीजों को बेहतर सेवा उपलब्ध कराना है। वे कहते है कि समस्याएं सभी जगह होती हैं, लेकिन छोटी-छोटी पहल कर उनको दूर किया जा सकता है। डॉ. सरवर कहते हैं कि अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों के नेतृत्व में वह ऐसा काम करना चाहते है, जिससे यहां से एक भी मरीज को ऑपरेशन के अभाव में लौटना नहीं पड़े। क्योंकि यहां पर गरीब मरीज ही आते है, यहां से वह बाहर कहां जाएंगे? यदि उनके पास पैसा ही होता तो वह यहां क्या करने आते।
दो मरीजों की हुई सर्जरी
डॉ. सरवर आलम ने दुर्गा नामता (35) व नाजिया खातून की सर्जरी की। नाजिया खातून सर्जरी विभाग के आईसीयू में भर्ती हैं। उसकी एपेंडिक्स की सर्जरी हुई है। मंगलवार को उसकी छुïट्टी कर दी जाएगी। वहीं दुर्गा नामता भी ठीक होकर घर लौट चुकी हैं। निजी अस्पतालों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कराने पर 40 से 50 हजार रुपये खर्च आता है।
हर्निया, ओवेरियन ट्यूमर की भी होगी सर्जरी
डॉ. सरवर ने बताया कि लेप्रोस्कोपिक मशीन के माध्यम से वह सभी तरह की सर्जरी करेंगे। इसमें एपेंडिक्स, गाल ब्लेडर, पथरी, हर्निया, बच्चेदानी के ऑपरेशन, ओवेरियन ट्यूमर, किडनी के कई ऑपरेशन इस पद्धति से संभव हैं।