Vishwakarma Puja 2020: ये हैं आज के विश्वकर्मा, अपनी सोच को मूर्त रूप देने में जुटे युवा
किसी छात्र ने कोरोना जांच सबसे सस्ता वेंटीलेटर तथा घरेलू सामान सैनिटाइज करने की मशीन बनाई है तो किसी ने जुगाड़ तंत्र से हवाई जहाज तथा दिव्यांगों को सीढ़ी के उपर चढ़ाने के लिए ट्रॉली बनाई।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 07:33 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:33 PM (IST)
जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव। झारखंड के जमशेदपुर शहर के शैक्षणिक संस्थानों व युवाओं ने कई ऐसे खोज किए हैं, जिन्हें आज के विश्वकर्मा की संज्ञा दी जा सकती है। किसी छात्र ने कोरोना जांच, सबसे सस्ता वेंटीलेटर तथा घरेलू सामान सैनिटाइज करने की मशीन बनाई है तो किसी ने जुगाड़ तंत्र से हवाई जहाज तथा दिव्यांगों को सीढ़ी के उपर चढ़ाने के लिए ट्रॉली बनाई। ऐसे ही युवाओं एवं छात्रों द्वारा बनाए गए मॉडल पर फोकस करती विशेष रिपोर्ट :
कोरोना को हराने के लिए धालभूमगढ़ के आयुष ने किए ये पांच खोज
धालभूमगढ़ के रहनेवाले एनआइटी दिल्ली से एमटेक कर चुके छात्र पूरे लॉकडाउन एवं अनलॉक में कोविड-19 को हराने के लिए अब तक पांच खोज कर चुके हैं। इसमें से दो खोज की पेटेंट हो चुकी है। अन्य तीन खोज को सीधे बाजार में उतार दिया है। सबसे पहले इस छात्र ने कोरोना जांच एप बनाया। इस एप को ऑन करने के बाद सांस छोड़ने और सांस को को रोके जाने की प्रक्रिया के सहारे से यह पता चलता है कि आपमें कोरोना के लक्षण हैं या नहीं। अगर ऐसा कुछ है तो नजदीकी स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक पदाधिकारियों को इसकी सूचना चली जाएगी। इसके बाद का कार्य स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों को करना है। इसका पेटेंट भी हो चुका है।
दूसरी खोज सस्ता वेंटिलेटर
दूसरी खोज सस्ता वेंटिलेटर की थी। घरेलू उपकरणों के सहारे एक छोटा सा वेंटिलेटर का निर्माण किया है। इसमें एंबु बैग लगाया गया है। एंबु बैग ऑक्सीजन चढ़ाने में कार्य आता है। इसी का स्वरूप बदलते हए मैकेनिकली डिजाइन करते हुए सस्ता वेंटिलेटर का निर्माण कराया। इस वेंटिलेटर को सूटेकस में भी रखा जा सकता है। इसे आसानी से ढ़ोया जा सकता है। इस वेंटिलेटर के निर्माण में लगभग 3 हजार रुपये खर्च हुआ है। इसका भी पेटेंट हो चुका है। तीसरा नॉनटच ऑटोमेटिक एटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है। इसमें जियोग्राफिकल लोकेशन के आधार पर आप ऑफिस के सीमित दायरे के अंदर जैसे ही प्रवेश करते हैं, वैसे ही अटेंडेंस बन जाता है और आप कंपनी के अंदर इन माने जाते हैं। वैसे ही जाते समय कंपनी से आउट हो जाते हैं। इस सिस्टम का इस्तेमाल जुस्को टाटा में किया जा रहा है। इस कार्य में आयुष का सहयोग जुस्को के पदाधिकारी गौरव आनंद व इंटर्न यासिर ने किया है। इसका पेंटेंट एनआइटी दिल्ली ने कर रखा है।
यूवी सैनिटाइजर मशीन
चौथी खोज यूवी सैनिटाइजर मशीन है। इस मशीन के सहारे घरेलू या कार्यालयों में इस्तेमाल की सामग्रियों को सैनिटाइज किया जा सकता है। इस मशीन की कीमत लगभग सात हजार रुपये बाजार के लिए रखी गई है। अब तक वह एक दर्जन मशीन बेच चुका है। पांचवीं हैंड सैनिटाइज मशीन है। हैंड सैनिटाइज मशीन में हाथ नीचे रखने पर मात्र एक या दो बूंद सैनिटाइज करने वाला मिश्रण गिरेगा, जिसे आप हाथ आसानी से धो सकते हैं। बूंद को आपको खुद सेट करना होगा।
एनटीटीएफ गोलमुरी के छात्रों ने बनाई थ्री डी प्रिंटर मशीन
एनटीटीएफ आरडी टाटा टेक्ननिकल इंस्टीट्यूट गोलमुरी के चार छात्रों ने थ्री डी प्रिंटर मशीन बनाई है, जिसकी तारीफ बेंगलुरू की एक प्रदर्शनी में हुई है। इस मशीन के सहारे घरेलू सामान और स्कूल के प्रोजेक्ट को हुबहू प्रिंट किया जा सकता है। सीबीएसई स्कूलों ने इस तरह की मशीन को अनिवार्य किया गया है। बाजार में इस मशीन की कीमत 35 हजार रुपये हैं, लेकिन आरडी टाटा टेक्निकल इंस्टीट्यूट के छात्रों ने इस मशीन को मात्र 21 हजार रुपये के कॉस्ट में तैयार किया है। थ्री डी प्रिंट कंप्यूटर बेस्ड है। इस मशीन में स्ट्रक्चर एक्सटूजन रॉड, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण स्टेपमर मोटर, ऑड्रिनों, रेम्स, एसपीएस लगाया गया है। पॉलिलेक्टिव एसिड इंपूवमेंट फिलामेंट इस्तेमाल किया गया है। इस मशीन को बनाने में संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के छात्र अमर कुमार, अभय रॉय, अभिषेक दे, ऋतिक की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसका निर्माण शिक्षिका सरिता श्रीवास्तव की देखरेख में किया गया है।
दिव्यांगों को सीढ़ी में चढ़ाने को बनाई स्टेयर क्लाइबिंग ट्रॉली
टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय कदमा की छात्रा हेमा घोष ने दिव्यांग एवं घरेलू सामनों को सीढ़ियों में चढ़ाने के लिए स्टेयर क्लाइिबंग ट्रॉली का निर्माण किया है। यह कार्य उन्होंने अपने सहयोगी अरुण कैवर्त व विज्ञान शिक्षिका शिप्रा मिश्रा के मागदर्शन में किया है। इस छात्रा के मॉडल की तारीफ राज्य स्तरीय इंस्पायर अवार्ड में हो चुकी है। इस ट्रॉली को बनाने में स्कूल के रॉड व बेंच का इस्तेमाल करके बनाया है। बेकार पड़े वाहन वाइपर मोटर व बैटरी का इस्तेमाल किया है। इसके हैंडल में स्वीच लगाया गया है, इसे आसानी से ऑफ ऑन कर सकते हैं। यह ट्रॉली 50 किलो तक का वजन बड़े आराम से ढो सकती है।
जुगाड़ तकनीक से बनाया हवाई जहाज
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कई सकारात्मक पहलू देखने को मिले। जमशेदपुर से सटे तामोलिया गांव के युवक ने भी अपनी उस तमन्ना को मूर्त रूप दे डाला जो बचपन से उसके अंदर कहीं दबी हुई थी। इस युवक ने लॉकडाउन के दौरान जुगाड़ तकनीक से थर्मोकोल से हवाई जहाज का मॉडल बनाया है। युवक का नाम अमित चौधरी है और वह एक मामूली वाहन चालक है। सबसे खास बात यह है कि अमित ने किसी तरह की तकनीकी शिक्षा नहीं ली है बल्कि सातवीं तक नियमित पढ़ाई के बाद किसी तरह मैट्रिक तक शिक्षा पाई है। अमित की ओर से तैयार किए गए जहाज का मॉडल 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा में फर्राटा भरता है। आधे किलोमीटर की परिधि में एक बार में आधे घंटे तक उड़ान भरने वाले इस जहाज को अमित रिमोट से कंट्रोल करते हैं। जहाज का वजन मात्र 12 सौ ग्राम है। ड्रिल मशीन के मोटर को इस मॉडल का इंजन बनाया। मोबाइल में इस्तेमाल होनेवाली बैट्री का इसमें इस्तेमाल किया है। इसके साथ ही स्पीड कंट्रोलर, ट्रांसमीटर, रिसीवर आदि का इस्तेमाल किया। इन सभी चीजों का अमित खराब हो चुके मशीनों से लिया है। अमित ने बताया कि उसने सिर्फ रिमोट ही नया खरीदा है। थर्मोकोल के सहारे पांच फीट लंबा और चार फीट चौड़ा हवाई जहाज बनाने की प्ररेणा अमित को रिमोट कंट्रोल वाले हेलीकॉप्टर से मिली।
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