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एसएनसीयू केंद्र में पांच वर्षो से चाइल्ड स्पेशलिस्ट नहीं ,कैसे होगा इलाज

शायद ऐसा झारखंड में ही संभव हो सकता है। जहां एक एसएनसीयू केंद्र नवजात बच्चों के बेहतर उपचार के लिए बनाया गया हो और वहां 5 वर्षो से एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सक तक न बहाल हो।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 07:30 AM (IST)
एसएनसीयू केंद्र में पांच वर्षो से चाइल्ड स्पेशलिस्ट नहीं ,कैसे होगा इलाज
एसएनसीयू केंद्र में पांच वर्षो से चाइल्ड स्पेशलिस्ट नहीं ,कैसे होगा इलाज

घाटशिला : शायद ऐसा झारखंड में ही संभव हो सकता है। जहां एक एसएनसीयू केंद्र नवजात बच्चों के बेहतर उपचार के लिए बनाया गया हो और वहां 5 वर्षो से एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सक तक न बहाल हो। यह हाल पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल अस्पताल के एसएनसीयू केंद्र का है। जहां पिछले 5 वर्षों से बिना चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सक के ही नवजात बच्चों के उपचार हेतु एसएनसीयू केंद्र चल रहा है। इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2009 में हुई थी। केंद्र में 2017 तक चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर प्रतिनियुक्त थे। प्रतिनियुक्त डॉक्टर का स्थानांतरण हो गया। उसके बाद यहां चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर का पद रिक्त हो गया। जिसे आज तक भरा नहीं जा सका। इस मामले पर जिले के वरीय अधिकारियों ने भी कोई रुचि नहीं दिखाई। अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी के भरोसे केंद्र संचालित है। उन्हें इसके लिए अलग से ट्रेनिग दिया गया है। यहां एक शिशु विशेषज्ञ चिकित्सक की बेहद आवश्यकता है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में भी यहां शिशु रोग चिकित्सक के कमी के कारण बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह सूबे के स्वास्थ्य मंत्री का गृह जिला है। जहां बच्चों के बेहतर उपचार के लिए एक शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के लिए लोग वर्षो से तरस रहे है। विभिन्न प्रखंडों के बच्चों का एसएनसीयू में होता उपचार अनुमंडल अस्पताल के एसएनसीयू केंद्र में घाटशिला अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों के बच्चों का उपचार होता है। विभिन्न प्रखंडो के सीएचसी में जन्मे नवजात शिशु को बेहतर उपचार के लिए घाटशिला अनुमंडल अस्पताल भेजा जाता है। यहां प्रत्येक माह लगभग 60-70 नवजात शिशु का उपचार होता है। यहां शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के पदस्थापना होने से नवजात शिशुओं को बेहतर उपचार का लाभ मिल सकेगा।

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