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हरेक दिल में बेशुमार गम, सबकी आंखें नम

कहा जाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा बोझ बुजुर्ग पिता के कंधे पर युवा पुत्र का जनाजा होता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 06:03 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 06:03 AM (IST)
हरेक दिल में बेशुमार गम, सबकी आंखें नम
हरेक दिल में बेशुमार गम, सबकी आंखें नम

चाकुलिया: कहा जाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा बोझ बुजुर्ग पिता के कंधे पर युवा पुत्र का जनाजा होता है। नियति की विडंबना देखिए कि शहर के गौड़ पाड़ा निवासी पतित पावन बेरा को बुधवार को यह बोझ उठाना पड़ गया। सड़क हादसे में मारे गए उनके दिवंगत पुत्र कालीचरण बेरा का पार्थिव शरीर जब पोस्टमार्टम के बाद बुधवार दोपहर घर लौटा तो रुदन क्रंदन से माहौल एकदम गमगीन हो गया। माता-पिता, पत्नी, छह बड़ी बहनें, दो अबोध बेटियों के अलावा दर्जनों मित्र व सैकड़ों शुभचितक, सबकी आंखें नम हो गई थी। सबसे बुरी हालत मृतक की पत्नी बंदना बेरा की थी। दिल में बेशुमार गम लिए रो-रोकर वह बेसुध हो गई थी। उसे सांत्वना देने के लिए किसी के पास शब्द नहीं थे। नजदीक बैठी कालीचरण की मां माथा पीट-पीटकर रो रही थी। आंगन में बैठी बहनों एवं रिश्तेदारों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। चलने फिरने में असमर्थ 88 वर्षीय बुजुर्ग पतित पावन बेरा की आंखें मानो पथरा गई थी। ईश्वर ने उनके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा जो छिन लिया। चेहरे पर लगे मास्क के सहारे वह पीड़ा को छुपाने की असफल कोशिश कर रहे थे। बार-बार सिर्फ यही पूछ रहे थे कि आखिर नियति ने उनके साथ ऐसा क्रूर मजाक क्यों किया अब वे किसके सहारे जिएंगे। लोग बारी-बारी से उनके पास आकर सांत्वना देने की कोशिश तो कर रहे थे पर किसी के पास शायद वह मरहम नहीं था जो इस जख्म को भर सके। शोक संतप्त स्वजनों को ढांढस बंधाने एवं सांत्वना देने का काम अभी चल ही रहा था, तब तक पार्थिव शरीर लेकर एंबुलेंस आ गया। घर के आंगन में शव को रखकर औपचारिकताएं पूरी की गई। मौके पर पहुंचे स्थानीय विधायक समीर महंती, पदमश्री जमुना टुडू, समाजसेवी सह उद्योगपति श्यामल खां, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सरोज महापात्रा, मंडल अध्यक्ष शतदल महतो, कांग्रेस पार्टी के अभय महंती, रमाकांत शुक्ला, पूर्व बीस सूत्री अध्यक्ष शंभूनाथ मल्लिक, कल्याण पदाधिकारी गौरी शंकर साहू, एचडीएफसी बैंक के अधिकारी समेत कई गणमान्य लोगों ने पार्थिव शरीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इसके बाद कालीचरण बेरा की अंतिम यात्रा निकली जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। नामोपाड़ा स्थित श्मशान घाट में परंपरा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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सबकी नजरों में था काली का मुस्कुराता चेहरा महज 40 वर्ष से भी कम आयु में कालीचरण बेरा की मौत से एक तरफ जहां बेरा परिवार सदमे में है वही चाकुलिया के आम लोग भी अत्यंत दुखी हैं। सबकी आंखों में काली का मुस्कुराता चेहरा बसा हुआ है। अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे कई लोगों ने बताया कि कालीचरण से जब ही बात करो, वह पहले मुस्कुराता फिर बात का जवाब देता था। जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित एचडीएफसी शाखा में कार्यरत कालीचरण ने लाकडाउन के दौरान कई लोगों की निसंकोच मदद की थी। नियमित रूप से जमशेदपुर आने जाने के कारण वह लोगों के लिए दवाएं एवं अन्य जरूरी सामान सहर्ष ले आते थे। स्वभाव ऐसा कि किसी के साथ उसका बैर नहीं था। सरल, मृदुभाषी एवं परोपकारी प्रवृत्ति के कारण वह सबके बीच लोकप्रिय था। ऐसे हरदिलअजीज इंसान को खोकर बुधवार को पूरा चाकुलिया रो रहा था।


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