Dhanteras 2019 : पांच दिन रहेगा पूजा उत्सव का माहौल, इस तरह करें पूजन तो मंगल ही मंगल
Festival. अगले पांच दिन पूजा उत्सव का माहौल रहेगा। जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त और वैसी सभी जानकारी जिससे मंगल ही मंगल होगा।
जमशेदपुर, जेएनएन। कार्तिक मास महीना भगवान विष्णु एवं देवताओं का प्रिय महीना है। इसी मास में माता काली का भी अवतरण हुआ था। इसी मास में श्रीराम भक्त हनुमान जी का भी जन्म हुआ था। इसी पवित्र महीने में देव गण अमृत पान कर असुरों पर माता महालक्ष्मी की कृपा से विजय प्राप्त किए थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि तक पांच दिवसीय समयांतराल में लगातार हिन्दुओं के पर्व मनाए जाते हैं।
हनुमान जयंती : श्रीराम भक्त हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मेष लग्न में हुआ था। इस बार चतुर्दशी तिथि शनिवार 26 अक्टूबर को अपराह्नï 2:08 बजे से लगकर रविवार 27 अक्टूबर को दिन में 11:51 बजे तक रहेगी। अत: शनिवार 26 अक्टूबर को सायं काल में हनुमान जयंती तथा रात्रि में नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
अमावस्या : काशी पंचांगों के अनुसार कार्तिक अमावस्या 27 अक्टूबर रविवार सुबह 11:51 बजे से शुरु होकर सोमवार 28 अक्टूबर को दिन में 9:44 बजे तक ही रहेगी।
काली पूजा
माता महाकाली भी कार्तिक अमावस्या के मध्य रात्रि में ही अवतरित हुई थी। जिसके कारण अमावस्या तिथि के निशीथ काल में माता महाकाली का पूजन मंदिरों या पूजा पंडालों में किया जाता है। चूंकि मध्य रात्रि एवं निशीथकालीन अमावस्या रविवार 27 अक्टूबर को ही मिल रही है। अत: माता महाकाली का ध्यान व पूजन विधि विधान के साथ रविवार 27 अक्टूबर को ही किया जाएगा।
दीपावली
हिन्दुओं का हर्षोल्लास व प्रकाश का प्रमुख पर्व दीपावली भी कार्तिक अमावस्या को ही मनायी जाती है। दीपावली का पर्व भी 27 अक्टूबर रविवार को मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। दीपावली के दिन मंगल मूर्ति श्रीगणेश जी, माता महालक्ष्मी के विधिवतï आवाहन व पूजन कर दीप जलाने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी के ध्यान व पूजन से माता प्रसन्न होकर सुख समृद्घि प्रदान करती हैं। दीपावली के दिन व्यवसायी गण नए बही-खाते का पूजन व शुभारंभ कर माता से कृपा बनाए रखने हेतु प्रार्थना करते हैं।
पूजन मुहूर्त
दीपावली पूजन में स्थिर लग्न एवं चौघडिय़ा मुहूत्र्त की प्रधानता है। परिश्रम के अनुरुप माता का आवागमन हो एवं व्यवसाय निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर होता रहे। इसके लिये उत्तम मुहूत्र्त में श्रद्घापूर्वक विधिवतï पूजन कर अभीष्टï फल को प्राप्त कर सकते हैं।
उत्तम स्थिर लग्न मुहूर्त
- कुम्भ लग्न:- दिवा 2:09 बजे से दिवा 3:40 बजे तक।
- वृष लग्न: संध्या 6:45 बजे से रात्रि 8:41 बजे तक।
- सिंह लग्न: रात्रि 1:13 बजे से रात्रि 3:27 बजे तक।
पूजन हेतु चौघडिय़ा मुहूर्त
- शुभ-दिवा 12:54 से दिवा 2:18 बजे तक।
- शुभ- सायं 5:09 से संध्या 6:44 बजे तक।
- अमृत- संध्या 6:45 से रात्रि 8:19 बजे तक।
- लाभ- रात्रि 1:03 से रात्रि 2:38 बजे तक।
- अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 28 अक्टूबर सोमवार तथा भैया दूज, यम द्वितीया तथा चित्रगुप्त पूजा 29 अक्टूबर मंगलवार को मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा।
- माता लक्ष्मी का पूजन घर में स्वयं भी किया जा सकता है। पूजन हेतु पूजन सामग्री एकत्र करके स्नानोपरांत संध्या काल या प्रदोषकाल में विधि के साथ श्रद्घा पूर्वक पूजन करें।
पूजन सामग्री : लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा, आसन हेतु लाल वस्त्र, लक्ष्मी गणेश जी के लिए वस्त्र, रोली, लाल सिंदूर, रक्षा सूत्र, धूप, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, कपूर, धान का लावा, शुद्घ घी, रुई बत्ती, गंगाजल, दूध, दही, मधु, गुड़, पुष्प व पुष्पमाला, लाल कमल का फूल, आम्र पल्लव, प्रसाद हेतु फल व मिठाई।
पूजन विधि : सर्वप्रथम एक लोटा में जल लेकर उसमें थोड़ा गंगाजल मिला लें। अपने उपर जल छिड़क कर पवित्र हों इसके बाद तीन बार आचमनी कर लें। पूजन स्थान को पवित्र करके पाटा या चौकी रखकर माता लक्ष्मी एवं गणेश जी के लिये आसन लगाएं। माता को लाल वस्त्र व गणेश जी को पीला या सफेद वस्त्र धारण कराएं। आसन पर माता लक्ष्मी को गणेश जी के दाई ओर स्थापित करें। इसके बाद पान के पत्ते पर अक्षत फूल सुपारी व सिक्का लेकर पूजन हेतु संकल्प या प्रतिज्ञा करें। संकल्प को आप अपनी भाषा में कहें। आज कार्तिक अमावस्या तिथि रविवार को माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति एवं सुख शांति व समृद्घि हेतु मैं माता महालक्ष्मी पूजन के क्रम में श्रीगणेश जी, नवग्रह, भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का ध्यान, आवाहन व पूजन कर रहा हूँ। संकल्प को गणेश जी के समक्ष रख दें। अब सर्वप्रथम हाथ में अक्षत पुष्प लेकर गणेशजी का ध्यान व आवाहन करें। ध्यान के उपरांत अक्षत पुष्प को गणेशजी के सामने रख दें। गणेश जी का विधिवत पूजन करें। गणेशजी के पूजन के उपरांत नवग्रहों का ध्यान व पूजन करें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करे। इसके बाद माता महालक्ष्मी का आवाहन, ध्यान व विधिवत पूजन करें। पूजन के क्रम में ध्यान, आवाहन, आसन, पाद्य, अघ्र्य, आचमनी, स्नान, वस्त्र, चन्दन, सिंदूर, कुमकुम, अबीर गुलाल, अक्षत, पुष्प, पुष्पमाला, दूर्वा या दूब धूप, दीप, नैवेद्य, पान सुपारी, द्रव्य दक्षिणा आदि अर्पण किया जाता है। इसके बाद आरती करें। अंत में पुष्पांजलि एवं क्षमा प्रार्थना करें।
गणेशजी के ध्यान के लिए मंत्र : गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फलचारु भक्षणम।
उमा सुतं शोकविनाश कारकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम।।
नवग्रह के ध्यान के लिए मंत्र: ब्रह्म मुरारी स्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा: शान्तिकरा भवन्तु।
भगवान विष्णु के ध्यान के लिए मंत्र : शान्ताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम। लक्ष्मीकान्तं कमल नयनं योगिभि: ध्यानगम्यं। वन्दे विष्णु भव भय हरं सर्व लोकैक नाथम।
माता लक्ष्मी के ध्यान व आह्वान के लिए मंत्र : ओम हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्ण रजतस्त्रजाम। चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो मआवह।।
आह्वान के लिए मंत्र : सर्व लोकस्य जननीं सर्व सौख्य प्रदायिनीम। सर्वदेवमयीमीशां देवीम आवाहयाम्यहम।
इसके बाद उपरोक्त लिखे क्रम में विधिवत पूजन तदुपरांत आरती करें। माता को लाल कमल का पुष्प अर्पण करें। माता को विशेष प्रसन्न करने हेतु कनकधारा स्तोत्र या श्री सूक्त का पाठ करें। माता की कृपा सभी पर बनी रहे। दीपावली का पर्व सभी के लिये सुख समृद्घि व शांतिप्रद रहे।
।। शुभमस्तु ।। पं. रमा शंकर तिवारी, ज्योतिषाचार्य