Move to Jagran APP

कई रहस्य समेटे है झारखंड के ईचागढ़ का ऐतिहासिक चतुर्मुखी शिव मंदिर, ऐसी है मान्यता

ईचागढ़ प्रखंड मुख्यालय से करीब छह किमी दूर ईचागढ़ और लेपाटांड गांव के बीच करकरी नदी के निकट स्थित चतुर्मुखी शिवलिंग क्षेत्र कई रहस्यों को समेटे हुए है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 10:23 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 10:24 AM (IST)
कई रहस्य समेटे है झारखंड के ईचागढ़ का ऐतिहासिक चतुर्मुखी शिव मंदिर, ऐसी है मान्यता
कई रहस्य समेटे है झारखंड के ईचागढ़ का ऐतिहासिक चतुर्मुखी शिव मंदिर, ऐसी है मान्यता

जमशेदपुर, दिलीप कुमार।  झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ और लेपाटांड गांव के बीच स्थित है ऐतिहासिक चतुर्मुखी शिव मंदिर। मंदिर में भगवान शिवजी के चार मुंह वाला लिंग स्थापित है। बताया जाता है कि ईचागढ़ का चतुर्मुखी शिवलिंग देश के गिने चुने शिवलिंगों में एक है। यहां ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से एक छोटे मंदिर का निर्माण करवाया है।

loksabha election banner

ग्रामीण बताते हैं कि चतुर्मुखी शिव मंदिर परिसर में प्राचीनकालीन 40 से 50 शिवलिंग बिखरे पड़े थे। संरक्षण के अभाव में अब इनमें से गिने-चुने ही रह गए हैं। इसके आसपास भी कई शिवलिंग हैं, जहां लोग पूजा-अर्चना करते हैं। इस मंदिर में लोगों की बड़ी आस्था है। कहते हैं कि मन से जो मांगो बाबा भोलेनाथ पूरी करते हैं।

मंदिर के पास एक गुफा है

 ईचागढ़ प्रखंड मुख्यालय से करीब छह किमी दूर ईचागढ़ और लेपाटांड गांव के बीच करकरी नदी के निकट स्थित चतुर्मुखी शिवलिंग क्षेत्र कई रहस्यों को समेटे हुए है। कहते हैं कि इस मंदिर के पास एक गुफा है, जो नीमडीह प्रखंड के दयापुर तक जाती है। ईचागढ़ में राज घराने आने के पूर्व नीमडीह के दयापुर में राजबाड़ी थी। ग्रामीण बताते हैं कि राजा रोज घोड़े से गुफा के रास्ते भगवान भोले नाथ की पूजा करने ईचागढ़ आते थे। कई पुरातात्विक धरोहरों के नष्ट होने और चोरी होने के बाद अब परिसर को चारदीवारी से घेरा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 1990 में पुरातात्विक विभाग से लोग जांच के लिए ईचागढ़ पहुंचे थे। उस समय ग्रामीणों ने क्षेत्र की खुदाई का विरोध कर उन्हें लौटा दिया था।

राजा विक्रमादित्य ने बनवाए थे मंदिर

ईचागढ़ के चतुर्मुखी शिव मंदिर का निर्माण कब हुआ था, इसके पुख्ता प्रमाण नहीं हैं। क्षेत्र में प्रचलित कथा के अनुसार राजा विक्रमादित्य ने चतुर्मुखी शिवमंदिर बनवाए थे। इसके साथ ही उन्होंने आसपास के क्षेत्र में कई धरोहर बनवाए थे, जिसके भग्नावशेष आज भी देखने को मिलता है। यदि सरकार इस क्षेत्र में खोदाई कराए तो यहां पर निश्चित तौर पर किसी बड़े पुरातत्विक धरोहरों की शृंखला मिल सकती है।

आकर्षण का केंद्र बन सकता चतुर्मुखी शिव मंदिर

ईचागढ़ के चतुर्मुखी शिवमंदिर क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसे बेहतर पर्यटक स्थल बनाया जा सकता है। यह मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए आस्था का केंद्र है। यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराने के साथ पूरे क्षेत्र का सौंदर्यीकरण करा दिया जाए तो मंदिर पर्यटन का आकर्षक केंद्र बन सकता है। इसे विकसित करने के लिए सरकार को यहां पहुंचने वाली सड़कों को सुगम बनाना होगा।

ऐसे पहुंचें चतुर्मुखी शिव मंदिर

टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर जमशेदपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर चौका से दायीं ओर लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर चतुर्मुखी शिव मंदिर स्थित है। रांगामाटी-सिल्ली सड़क के डुमटांड मोड़ से भी चतुर्मुखी शिव मंदिर पहुंचा जा सकता है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.