अभी यह हाल है, तो पांच साल बाद क्या होगा, शहरी क्षेत्र में नदी का अतिक्रमण बढ़ने से हो रहा बाढ़ का खतरा
Swarnrekha project रिहायशी इलाकों में नदी क्षेत्र का अतिक्रमण होने के अतिरिक्त जमशेदपुर में मेरीन ड्राइव टाॅल ब्रिज और सोनारी-कांदरबेड़ा पुल मोहरदा जलापूर्ति का निर्मित ढांचा के गलत डिजाइन के कारण नदी का जलप्रवाह अवरूद्ध हुआ है। यह बडी समस्या है।
जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय की पहल पर स्वर्णरेखा परियोजना के सीएच एरिया स्थित निर्मल गेस्ट हाउस में बैठक हुई, जिसमें चांडिल, ईचा व गालूडीह के मुख्य अभियंता व अन्य अभियंता के साथ मानगो नगर निगम के प्रशासक और जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी शामिल थे। बैठक में नदी का पानी थोड़ा भी बढ़ने पर जमशेदपुर और मानगो के रिहायशी इलाकों में बाढ़ का खतरा ज्यादा हो जाने पर चर्चा हुई।
स्वर्णरेखा परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2008 में खरकई और स्वर्णरेखा में जितना जल प्रवाह होने पर नदी का जलस्तर जितना ऊंचा होता था, उसके आधे जल प्रवाह में ही गत दो वर्षों में उतना पानी उठ जा रहा है। जगह-जगह पर नदी क्षेत्र का अतिक्रमण बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है। रिहायशी इलाकों में नदी क्षेत्र का अतिक्रमण होने के अतिरिक्त जमशेदपुर में मेरीन ड्राइव, टाॅल ब्रिज और सोनारी-कांदरबेड़ा पुल, मोहरदा जलापूर्ति का निर्मित ढांचा के गलत डिजाइन के कारण नदी का जलप्रवाह अवरूद्ध हुआ है। पानी के कम प्रवाह के बाद भी जलस्तर काफी ऊंचा उठ जा रहा है। मानगो, कपाली से लेकर आदित्यपुर तक नदी के किनारे ऐसे निर्माण आरंभ हो गए हैं, जिससे नदी की चौड़ाई सिकुड़ती जा रही है। अभी इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले पांच वर्षों मे जमशेदपुर, मानगो, जुगसलाई आदि क्षेत्रों में जन जीवन कठिन हो जाएगा।
बनेगी समन्वय समिति, खोजेगी उपाय
इस बैठक में निर्णय हुआ कि सरकार के स्तर से पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिला के प्रशासक तथा मानगो, जमशेदपुर, कपाली, जुगसलाई, आदित्यपुर नगरपालिका की एक समन्वय समिति बनाई जाए, जो इन क्षेत्रों में जनजीवन का स्तर ऊपर उठाने के लिए नदी क्षेत्र के संरक्षण का कार्य करे। बैठक से ही विधायक सरयू राय ने मुख्य सचिव से दूरभाष पर आग्रह किया कि इसके लिए दोनों जिलों के उपायुक्त तथा नगर विकास विभाग, जल संसाधन विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, पर्यावरण एवं वन विभाग, राजस्व विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव/सचिवों की बैठक मुख्य सचिव के स्तर से बुलाई जाए। इसमें आवश्यकता आधारित एक उच्चस्तरीय समन्वय समिति गठित की जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि बैठक के आधार पर उन्हें एक प्रतिवेदन समर्पित किया जाए, ताकि निकट भविष्य में इसपर निर्णय लिया जा सके।