भारत का जीडीपी घटा तो रतन टाटा, मुकेश अंबानी व अडानी पर विरोधियों ने मढ़ दिया दोष
कहते हैं करे कोई भरे कोई। यही हाल है विरोधी पार्टियों की। देश की अर्थव्यवस्था सुस्त क्या हो गई विरोधी पार्टियां इसके लिए रतन टाटा मुकेश अंबानी व अडाणी को कोसने लगे। हद तो तब हो गई जब बहस करते-करते एक दूसरे को कॉलर पकड़ने पर उतारू हो गए।
जमशेदपुर, जासं। भारत की अर्थ व्यवस्था जनवरी से मार्च 2021 के बीच 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान देश के सकल विकास दर में 7.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इसे लेकर देश में एक नई बहस छिड़ गई है कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार सिर्फ टाटा, अंबानी, अडानी समेत कुछ प्रमुख उद्योगपतियों को बढ़ावा दे रही है।
जमशेदपुर के कांग्रेस और वामपंथ समर्थक नेताओं का कहना है कि यदि केंद्र सरकार गांधीजी के बताए रास्ते पर चल रही होती, तो देश की अर्थव्यवस्था ऐसी नहीं होती। गांधीजी ने अर्थव्यवस्था के विकेंद्रीकरण का रास्ता बताया था। घरेलू व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने की बात कही थी, लेकिन यहां केंद्र सरकार सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को बढ़ावा दे रही है। इस पर भाजपा के कार्यकर्ता कह रहे हैं कि टाटा, बिड़ला, अंबानी, अडानी को केंद्र सरकार ने उद्योगपति बनाया है? कांग्रेस के सरकार में क्या इनकी यह स्थिति नहीं है।
दरअसल, जब भी देश संकट में होता है, तो यही लोग दृढ़ता के साथ चुनौती स्वीकार करने आते हैं। कांग्रेस क्या यही चाहती है कि हमारे देश में जो भी प्रोजेक्ट लगे, वह विदेशी उद्योगपति लगाएं। अपने देश के उद्यमियों को मौका नहीं दिया जाए। यदि कांग्रेस यही चाहती है तो देश इनके हाथ में आ जाएगा तो भारत को फिर से विदेशी उपनिवेश बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इससे अच्छी बात क्या होगी कि देश का पैसा देश में रहे। यहीं के लोग समृद्ध हों। हम विदेशियों के हाथ में भारत को खेलने नहीं देंगे। इससे भी बड़ी बात कि कांग्रेस के शासनकाल में इन्हें काम नहीं दिया जाता था। आज जब कांग्रेस विपक्ष में है, तो इन्हें हर चीज में खोट नजर आता है।
जीएसटी को लेकर कांग्रेस क्यों कर रही आलोचना
एक राजनीतिक बहस में कांग्रेस कार्यकर्ता जीएसटी को लेकर भाजपा की आलोचना करते हैं। इनका कहना है कि मोदी सरकार ने आनन-फानन में देश पर जीएसटी थोप दिया, जबकि यह कांग्रेस की मनमोहन सरकार में ही आया था। मनमोहन सरकार में भी जीएसटी लागू करने के लिए राज्यों को मनाने की तैयारी हुई थी। कई बैठकों के बाद भी सहमति नहीं बन सकी, जबकि मोदी सरकार ने अधिकतर राज्यों को आसानी से मना लिया। इसके बाद ही जीएसटी लागू हुआ। कांग्रेस सरकार 12 वर्ष तक जीएसटी को लेकर बैठी रही, तो अब भाजपा की आलोचना क्यों कर रहे हैं।