Jharkhand Health Line: खुल गया सिस्टम का काला चिट्ठा, पढिए स्वास्थ्य महकमे की अंदरूनी खबर
कोरोना ने सबकी पोल खोल दी। पूरे सिस्टम का काला चिट्ठा सामने आ गया। आदित्यपुर के 111 हॉस्पिटल पर लगे आरोप की जांच सही निकली तो 48 घंटे में ताला लटक गया। लेकिन उमा हॉस्पिटल व डिस्कवरी डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई नहीं होना नीयत पर सवाल खड़ा करता है।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। कोरोना ने सबकी पोल खोल दी। नेता से लेकर डॉक्टर, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर, दवा दुकानदार... सहित अन्य की। कोई घर में रजाई ओढ़कर सोया रहा तो किसी ने जान भी गंवाया। कोई दिनरात मैदान में डटा रहा तो कोई मरीजों को लूटने में व्यस्त रहा। पूरे सिस्टम का काला चिट्ठा सामने आ गया।
अब सवाल उठता है कि क्या यह आगे भी जारी रहेगा या बदलेगा सिस्टम। क्योंकि कोरोना से देश को भारी नुकसान हुआ है। न जाने कितने साल पीछे चला गया। अब सुधार नहीं चाबुक चलाने की जरूरत है। क्योंकि सुधार का प्रयास बीते 74 साल से हो रहा है। आदित्यपुर के 111 हॉस्पिटल पर लगे आरोप की जांच सही निकली तो 48 घंटे में ताला लटक गया। लेकिन, नेशनल हाइवे स्थित उमा हॉस्पिटल व बाराद्वारी स्थित डिस्कवरी डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई नहीं होना नीयत पर सवाल खड़ा करता है। लोगों के बीच भी यही चर्चा है। क्योंकि जांच टीम ने दोनों पर लगे आरोप को सही पाया है।
कमीशन का खेल या लापरवाही की हद
कमीशन का खेल कहे या फिर लापरवाही की हद, भुगतना तो मरीजों को पड़ रहा है और यह कर्मचारी बिंदास है। परसुडीह स्थित सदर अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए दवा की कमी पड़ रही है। इसे देखते हुए आनन-फानन टेंडर फाइनल किया गया कि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो। लेकिन, एक कर्मचारी की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि उसे मरीजों से कोई मतलब ही नहीं है। दवा खरीदे या भांड़ में जाए। शायद इसी कारण से अबतक दवा का आर्डर भी नहीं दिया गया है, जबकि टेंडर आठ मई को ही फाइनल हो चुका है। ऐसे में अगर मरीजों की जान जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। सदर अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि डीपीएम को दवा के लिए कई बार बोला जा चुका है, लेकिन अभी तक दवा नहीं पहुंची है।
ड्यूटी आउटसोर्स, फल स्थायी को
आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण पहले से ही होता आया है। अब कोरोना काल में भी यही देखा जा रहा है। दरअसल, सरकार ने कोरोना काल में ड्यूटी करने वाले सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एक माह का प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है। इसे लेकर सूची तैयार की जा रही है, जिसमें स्थायी कर्मचारी को प्राथमिकता के तौर पर शामिल किया जा रहा है, जबकि दिन-रात ड्यूटी करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों को सूची में नाम दर्ज कराने के लिए विरोध-प्रदर्शन करना पड़ रहा है। इसे लेकर एमजीएम अधीक्षक का घेराव भी हो चुका है। सदर अस्पताल में भी यही स्थिति थी। आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि दिन-रात वे लोग ड्यूटी किए, इसके बावजूद उनका नाम सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है, जबकि घर में सोने वाले स्थायी कर्मचारियों का नाम सबसे आगे है। इसे लेकर आउटसोर्स कर्मचारियों में आक्रोश है।
टीका का इंतजार
पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना रोधी टीका कार्यक्रम बंद होने से लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। खासकर वे लोग अधिक परेशान हैं, जिनका दूसरा डोज लेने का समय पूरा हो चुका है। वहीं, पूर्व में स्लॉट बुक कराए युवाओं के मन में भी कई तरह के सवाल चल रहे हैं। हालांकि, विभाग ने टीका बंद करने का मुख्य कारण तूफान बताया है। लेकिन, लोगों को कहना है कि अब तो तूफान खत्म हो गया है। विभाग की तरफ से पहले तूफान का हवाला देकर 26 व 27 मई को टीकाकरण बंद करने का आदेश निकाला गया। उसके बाद बीते गुरुवार को एक नया आदेश निकाला गया है, जिसमें अगले आदेश तक टीका कार्यक्रम बंद होने की बात कही गई है। इधर, लोग अव्यवस्था को मुख्य कारण बता रहे हैं। टीका भी खत्म है। टीका आने के बाद ही दोबारा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो सकेगा।