एमजीएम में दूरबीन से हुई गॉल ब्लैडर की सर्जरी, बाहर में 50 हजार रुपये आता खर्च Jamshedpur News
Health News. मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड निवासी रोशनी परवीन (33) के गॉल ब्लैडर में पत्थरी की शिकायत थी। बाहर के निजी अस्पतालों में 45 से 50 हजार रुपये खर्च बताया जा रहा था।
जमशेदपुर, जासं। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कोविड-19 के साथ अन्य मरीजों का भी इलाज शुरू हो गया है। शनिवार को डॉ. योगेश कुमार की यूनिट में डॉ. सरवर आलम ने एक मरीज का दूरबीन विधि (लेप्रोस्कोपिक सर्जरी) से सफल ऑपरेशन किया। रविवार को डॉ. सरवर आलम ने राउंड लिया तो देखा कि मरीज की स्थिति में काफी सुधार है। सोमवार को उसे छुट्टी दे दी जाएगी।
मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड निवासी रोशनी परवीन (33) के गॉल ब्लैडर में पत्थरी की शिकायत थी। बाहर के निजी अस्पतालों में 45 से 50 हजार रुपये खर्च बताया जा रहा था। जिसके कारण वह इलाज नहीं करा पा रही थी। एमजीएम में नई विधि दूरबीन से सफल सर्जरी हुई। इसके लिए डॉक्टर सहित पूरी टीम को उन्होंने धन्यवाद दिया। कहा कि मेरी जान बचा ली। वरना मैं दर्द से तड़पती रहती।
पेट से निकले 25 छोटे-छोटे पत्थर
सर्जरी करने वाले डॉ. सरवल आलम ने बताया कि महिला के पेट से लगभग 25 छोटे-छोटे पत्थर निकला है। गॉल ब्लैडर में पत्थर होने की वजह से तेज दर्द होता है। महिला भी परेशान थी। डॉ. सरवर आलम ने कहा कि एमजीएम में दूरबीन विधि से सर्जरी हो रही है। इसका लाभ कोई भी मरीज उठा सकता है। मरीज को 24 से 72 घंटे के अंदर अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।
0.5 सेमी का चीरा और न्यूनतम टांके
दूरबीन विधि में मरीज को एनेस्थीसिया देकर बेहोश किया जाता है। बेहोश करने के बाद रोगी की नाभि में पोर्ट से छेदकर कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस भरी जाती है, जिससे रोगी का पेट फूल जाता है। तीन और छेद की मदद से हाई रेज्यूलेशन कैमरे और दो अन्य छेद से सर्जरी उपकरण डालते हैं। कंसोल की मदद से चिकित्सक पेट के अंदर मॉनीटर के जरिये हर मूवमेंट पर नजर रखते हैं। उस हिस्से को काटकर निकालते हैं जो बीमारी का कारण है या रोगग्रस्त है। इसमें रोगी के पेट पर एक से 0.5 से 1.5 सेमी का गोल चीरा लगाते हैं। ऑरेशन के बाद दो से चार टांके लगाए जाते हैं।
दूरबीन विधि से फायदे
- ओपन सर्जरी में मरीजों को 25 से 30 दिन तक आराम करना पड़ता है। जबकि दूरबीन सर्जरी में 3 से 4 दिन में मरीज ठीक होकर काम पर लौट जाता है।
- एंटीबायोटिक व दर्द निवारण दवाएं नहीं खानी पड़ती।
- सर्जरी के दौरान खून भी नहीं निकलता।
- सर्जरी के 72 घंटे के बाद मरीज की अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
ये कहते डॉक्टर
दूरबीन विधि मरीजों के लिए काफी लाभदायक है। हमलोग इस विधि से सर्जरी कर रहे है। इसका लाभ कोई भी मरीज उठा सकता है। इसमें न तो खून बहता है और न ही दवा खाने की जरूरत पड़ती है। मरीजों को बेहतर सेवा देने को हर संभव कोशिश किया जा रहा है।
- डॉ. सरवर आलम, लेप्रोस्कोपिक सर्जन, एमजीएम।