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Jharkhand News: राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को बिहार-झारखंड में नहीं मिल पाता कोई लाभ

Jharkhand News बिहार सरकार में पहले राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को दो वेतन वृद्धि मिलती थी लेकिन यह वर्ष 1996 से बंद हो गया। उस समय मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे। 1996 में तत्कालीन सरकार ने वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए यह बंद कर दिय।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 01:10 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 01:10 PM (IST)
Jharkhand News: राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को बिहार-झारखंड में नहीं मिल पाता कोई लाभ
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर । राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को बिहार-झारखंड में कोई लाभ नहीं मिल पाता।

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर । राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को बिहार-झारखंड में कोई लाभ नहीं मिल पाता, जबकि अन्य राज्यों में ऐसे शिक्षकों को सरकारें कई तरह का लाभ देती हैं। बिहार-झारखंड को छोड़ अन्य प्रदेशों में इन शिक्षकों को विभागीय वेतन वृद्धि के अलावा अलग से दो वेतन वृद्धि दी जाती है। साथ ही सेवानिवृत्ति की उम्र को दो साल बढ़ा दिया जाता है। पिछले सात-आठ सालों से झारखंड के 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिल चुका है। इसमें से 18 शिक्षक स्कूलों में कार्यरत हैं। अन्य शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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देश भर से उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को प्रति वर्ष राष्ट्रपति के हाथों से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिया जाता है। पुरस्कार के रूप में रजत पदक, प्रमाण पत्र एवं 50,000 रुपये दिए जाते हैं। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आदि राज्यों में दो वेतन वृद्धि दिए जाने का प्रावधान है। झारखंड में भी राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों ने दो वेतन वृद्धि एवं दो साल सेवा विस्तार की मांग रखी है।

राज्य स्तरीय पुरस्कार में भी नहीं है कोई प्रावधान : छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हरियाणा में राज्य स्तर पर शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों एक वेतन वृद्धि दी जाती है। झारखंड में इस तरह का कार्य अब तक प्रारंभ नहीं हुआ। यह शिक्षकों के सम्मान में ठेस पहुंचाने वाली बात है।

लालू यादव के समय वर्ष 1996 से लाभ मिलना हुआ बंद

बिहार सरकार में पहले राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को दो वेतन वृद्धि मिलती थी, लेकिन यह वर्ष 1996 से बंद हो गया। उस समय मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे। झारखंड से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका डा. अनिता शर्मा व डा. संध्या प्रधान ने बताया कि वर्ष 1996 में तत्कालीन सरकार ने वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए यह बंद हो गया। जब झारखंड अलग हुआ तो उस समय राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के सम्मान को लेकर झारखंड सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। इन शिक्षिकाओं ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहन के रूप में अन्य राज्यों की तरह लाभ मिलना चाहिए। इससे झारखंड के शिक्षकों में एक नए उत्साह का संचार होगा। सेवा विस्तार होने से स्कूल को इसका लाभ मिलना तय है। झारखंड सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। वरीयता क्रम में राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को छूट दी जानी चाहिए।

शिक्षक संघों ने रखी बात

इधर मुख्यमंत्री के समक्ष झारखंड प्लस टू शिक्षक संघ, माध्यमिक शिक्षक, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने विभिन्न माध्यमों से पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के सम्मान में अतिरिक्त वेतन वृद्धि तथा सेवा विस्तार देने की मांग रखी है। संघों का मानना है यह शिक्षकों के आत्मसम्मान की बात है। इस दिशा में सरकार को प्रयास करना चाहिए।


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