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एक-एक कर मरते चले गए शिक्षक, नहीं मिला वेतन

शिक्षकों की दर्द भरी यह कहानी पढ़कर आप दंग रह जाएंगे। 16 साल से वेतन नहीं मिला है, बावजूद काम कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:00 AM (IST)
एक-एक कर मरते चले गए शिक्षक, नहीं मिला वेतन
एक-एक कर मरते चले गए शिक्षक, नहीं मिला वेतन

मुरारी प्रसाद ¨सह, मुसाबनी (पूर्वी ¨सहभूम) : ¨हदुस्तान कॉपर लिमिटेड-इंडियन कॉपर कांप्लेक्स (एचसीएल-आइसीसी) द्वारा संचालित छह स्कूलों के 113 शिक्षकों की माली हालत इन दिनों बेहद खराब हो चली है। आर्थिक तंगी से उचित इलाज के बिना अब तक 18 से 20 शिक्षकों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को एचसीएल आईसीसी के बंद सुरदा माइंस मध्य विद्यालय की पूर्व शिक्षिका मंगली सोरेन का करीब अपराह्न 3.45 बजे इलाज के क्रम में मौभण्डार आईसीसी अस्पताल में मौत हो गई। इससे शिक्षकों में शोक व्याप्त है। सुरदा राजीव चौक कॉलनी निवासी शिक्षिका मंगली सोरेन की भी आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई है। एचसीएल आईसीसी के बंद विभिन्न स्कूलों के शिक्षक अपने बकाए राशि को लेकर आज भी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। करीब 18 से 20 शिक्षक अपने हक व अधिकार के लिए लड़ते लड़ते दम तोड़ चुके हैं। मंगली सोरेन के शव को यूसिल अस्पताल जादूगोड़ा शीतगृह में रखा गया है। शूक्रवार को मुसाबनी कब्रस्तान में इनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। कंपनी के बंद इन स्कूलों के बीमार चल रहे कई शिक्षकों की हालत गंभीर बनी हुई है। कब सांस थम जाए, कहा नहीं जा सकता। 16 वर्ष से वेतन के इंतजार में अंदर ही अंदर गले जा रहे हैं। अपनी ही ¨जदगी से परेशान करीब 50 शिक्षक इच्छा मृत्यु मांग चुके हैं। इसको लेकर शिक्षक गणेश चौधरी प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखे चुके है। क्या है पूरा मामला : वर्ष 1932 से एचसीएल-आइसीसी के कुल छह विद्यालय संचालित थे। इनमें दो मुसाबनी, दो सुरदा और दो मउभंडार में थे। इन स्कूलों में कुल 115 शिक्षक कार्यरत थे। शिक्षकों के वेतन व विद्यालय का खर्च कंपनी उठाती थी लेकिन वर्ष 2001 में गर्मी छुट्टी के समय कंपनी ने 30 शिक्षकों को काम से बैठा दिया। अन्य शिक्षकों को भी काम छोड़ने के लिए कहा गया। इसी वर्ष कुछ शिक्षकों ने न्यायालय से गुहार लगाई। इसपर हाईकोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया कि वर्ष 2003 तक शिक्षकों को पढ़ाने दिया जाए। यह भी आश्वस्त किया गया कि 2003 तक फैसला सुना दिया जायेगा। इस बीच दो सितंबर 2002 को कंपनी ने अपनी खराब आर्थिक स्थिति को कारण बताते हुए सभी माइंस समेत विद्यालयों को बंद कर दिया। उस समय वीआरएस के तहत कर्मचारियों को भुगतान किया गया लेकिन शिक्षकों को एक रुपया तक नहीं मिला। शिक्षक बिना वेतन के ही वर्ष 2011 तक पढ़ाते रहे। आज भी न्याय की आस लगाए बैठे हैं लेकिन फरियाद कोई सुननेवाला नहीं है। बिना वेतन के 15 वर्ष से इन स्कूलों के शिक्षक ¨जदगी की गाड़ी किसी तरह खींच रहे हैं। बीमारी से जूझने को मजबूर, तंगहाली बनी इलाज में बाधक : मुसाबनी, घाटशिला मऊभंडार और सुरदा स्कूल के दर्जनों शिक्षक भुगतान के इंतजार में शारीरिक रूप से कमजोर हो गये हैं। इनमे कई असाध्य बीमारियों से ग्रसित हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षक की हालत बदतर होती जा रही है। दम तोड़ चुके दर्जनों शिक्षक : पैसों की कमी के कारण इलाज के अभाव में दम तोड़ने वालों में बीसी चना, चिन्मल पाल, सुभाष चंद्रा, कल्पना विश्वास, बलराम दत्ता, रामपति शर्मा, मुसाबनी माइंस मिडिल स्कूल के शिक्षक छत्रधर महतो कैंसर से पीड़ित थे। इलाज के अभाव में दम तोड़ दिए।मुसाबनी पीडब्ल्यूडी निवासी संजीवन दत्ता भी आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज के अभाव में मौत के आगोश में चले गए। सुरदा राजीव चौक निवासी शिक्षिका मंगली सोरेन की मौत 20 सितंबर 2018 गुरुवार को इलाज के दौरान मौभंडार आईसीसी अस्पताल में हो गयी।कई बीमार शिक्षक की मौत इलाज के अभाव में हो रही है। ये लोग कब काल के गाल में समा जाएं, कहा नहीं जा सकता। मामला हाईकोर्ट में है लंबित : हाईकोर्ट में स्कूलों के क्लोजर नोटिस के खिलाफ सुनवाई जारी है। शिक्षकों ने बताया कि मऊभंडार और मुसाबनी के तीन स्कूलों के शिक्षकों ने कंपनी प्रबंधन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में केस किया है। सुनवाई बीते कई वर्षों से चल रही है। कहना मुश्किल है कि कोर्ट का फैसला कब तक आयेगा। दर्जनों शिक्षक कोर्ट केस से बाहर हैं फिर भी उन्हें एचसीएल प्रबंधन ने आज तक वेतन भुगतान नहीं किया है। सांसद विधायक की पहल भी नाकामयाब रही : एचसीएल-आइसीसी कंपनी द्वारा बंद पड़ी माइंस चालू करने से मजदूरों को दोबारा रोजगार मिल रहा है लेकिन शिक्षकों के बारे में कोई सोच नहीं रहा, जिन्होंने अपनी पूरी ¨जदगी इन स्कूलों में खपा दी। अदालत भी बीते 16 सालों से सिर्फ तारीख पर तारीख दे रही है।

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