टाटा समूह की कंपनी टायो रोल्स को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया होगी शुरू
टाटा स्टील का संयुक्त उपक्रम टायो रोल्स को नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) दिवालिया घोषित करेगी। कंपनी कई महीनों से बंद है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। टाटा स्टील का संयुक्त उपक्रम टायो रोल्स को नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) दिवालिया घोषित करेगी। महीनों से बंद पड़ी इस कंपनी के मामले में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस गोसावी ने इनसॉल्वेंसी ऑफ बैंक करप्सी के सेक्शन 9 के तहत टायो रोल्स प्रबंधन के दिवालिया घोषित करने के आवेदन को स्वीकार कर लिया।
एनसीएलटी में टायो रोल्स के मामले को लेकर टायो संघर्ष समिति गई है। कर्मचारियों के इस संगठन का कहना है कि टायो रोल्स की 350 एकड़ जमीन टाटा स्टील से वापस ली जाए और उसे ऐसी कंपनी को दी जाए जो इसे चला सके। टायो रोल्स संघर्ष समिति की ओर से एनसीएलटी में सीपी (आईबी) नंबर 701/2017 याचिका दायर की है। लेकिन कोर्ट संख्या दो में जस्टिस गोसावी ने संघर्ष समिति के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव के किसी भी आवेदन पर विचार करने से इन्कार कर दिया। अधिवक्ता अखिलेश ने बताया कि उनकी ओर से दो आवेदन कोर्ट में दिए गए हैं। पहला आवेदन टाटा स्टील द्वारा अधिग्रहित 350 एकड़ की जमीन उससे वापस लेकर टायो का टेकओवर करने वाली कंपनी को देने के लिए है। आवेदन में गुजारिश की गई है कि इस बारे में आयडा और झारखंड सरकार उद्योग विभाग को आदेश दिया जाए।
क्या है दूसरे अावेदन में
वहीं, दूसरे आवेदन में कहा गया है कि अगर पहला आवेदन कोर्ट में स्वीकार नहीं होता है तो टायो संघर्ष समिति सेक्शन 9 के आवेदन को वापस ले लेगी। अधिवक्ता ने बताया कि जस्टिस गोसावी ने उस आवेदन को भी स्वीकार नहीं किया गया। अधिवक्ता का कहना है कि दूसरा आवेदन वापस लेने का हमें कानूनन हक है ताकि कंपनी का इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन (दिवालिया) स्कीम के तहत दिवालिया न हो पाए और कंपनी को चालू या उसी हालत में दूसरी कंपनी को टेकओवर करने दिया जाए। टायो रोल्स अपने यहां रोल्स का उत्पादन करती थी जिसका उपयोग स्टील के उत्पादन में होता था।
टायो संघर्ष समिति जाएगी अपील में
टायो संघर्ष समिति के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव का कहना है कि वे इस पूरे मामले में एनसीएलटी के अपीलीय कोर्ट में जाएंगे। अगर हमें वहां भी इंसाफ नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हमारा उद्देश्य है कि टायो का फिर से उद्धार हो, कर्मचारियों को काम मिले। श्रीवास्तव का आरोप है कि प्रबंधन चाहता है कि कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाए ताकि कोई भी देनदारी न देनी पड़े।