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टाटानगर रेलवे अस्पताल में शव शीतगृह की शुरू हुई सुविधा, नहीं भटकना होगा कर्मचारियों को

Tatanagar Railway Hospital. टाटानगर रेलवे अस्पताल में दो शीतगृह यूनिट तैयार हो गया है। अस्पताल में अब तक यह सुविधा नहीं थी और रेल कर्मचारी या उनके आश्रित के निधन पर निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 03:46 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 03:46 PM (IST)
टाटानगर रेलवे अस्‍पताल का शव शीतगृह। जागरण

जमशेदपुर, जासं।  टाटानगर रेलवे कर्मचारियों को अब शव रखने के लिए निजी अस्पताल के चक्कर लगाने या दूसरों के पास पैरवी करने की आवश्यकता नहीं पडेगी। टाटानगर रेलवे अस्पताल में दो शीतगृह यूनिट तैयार हो गया है। अस्पताल में अब तक यह सुविधा नहीं थी और रेल कर्मचारी या उनके आश्रित के निधन पर निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता था। 

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टाटानगर में वर्ष 1959 में रेल अस्पताल का निर्माण हुआ है। 55 बेड के इस अस्पताल में अब तक शीतगृह की कोई व्यवस्था नहीं थी। पूर्व में अस्पताल के पीछे रेलवे के क्वार्टर में शवों को ऐसे ही जमीन में सुला कर रख दिया जाता था लेकिन 10-12 वर्षो से उक्त क्वार्टर भी कंडम हो चुका है। ऐसे में रेल मेंस यूनियन लंबे समय से मुख्यालय से टाटानगर रेलवे अस्पताल में शव शीतगृह यूनिट बनाने की मांग कर रहे थे। पिछले दिनों ही नागपुर से दो यूनिट शव शीतगृह मंगवाए गए हैं। जिसकी कीमत 2.75 लाख रुपये है। इसे रेलवे अस्पताल के पीछे स्थापित किया गया है।

कई वर्षों से की जा रही थी मांग

मेंस यूनियन के मंडल संयोजक जवाहर लाल का कहना है कि शव शीतगृृह का निर्माण होने से कई वर्षो से लंबित कर्मचारियों की मांग पूरी हुई है। उन्होंने बताया कि पहले किसी रेल कर्मचारी या उनके आश्रित की मौत होती थी तो हमें निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते थे। यदि मरीज की मौत अस्पताल में हुई तो उसे शीतगृह में ही रख लिया जाता था। लेकिन बाहर मौत होने पर कभी टाटा मोटर्स अस्पताल तो कभी टाटा मेन हॉस्पिटल चक्कर लगाना पड़ता था। शव को रखने के लिए गारेंटर की तलाश की जाती थी। एक तो मौत पर संबधित परिवार पहले से दुखी है ऊपर से शव को रखने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था। लेकिन रेलवे अस्पताल में यह सुविधा होने से कर्मचारियों को अब कहीं भटकना नहीं पडेगा।


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