Coronavirus Lockdown Effect : लॉकडाउन ने रोका शेर, बाघ और तेंदुआ का प्रजनन
टाटा स्टील जूलोजिकल पार्क (चिड़ियाघर) में शेर बाघ तेंदुआ मेंड्रिल ऑस्ट्रिच हिरण समेत तमाम पशु-पक्षी हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग इनका दीदार नहीं कर पा रहे हैं।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। Lockdown Effect टाटा स्टील जूलोजिकल पार्क (चिड़ियाघर) में शेर, बाघ, तेंदुआ, मेंड्रिल, ऑस्ट्रिच, हिरण समेत तमाम पशु-पक्षी हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग इनका दीदार नहीं कर पा रहे हैं। इस बीच चिड़ियाघर प्रबंधन इस बात से चिंतित है कि लॉकडाउन की वजह से उनके यहां शेर, बाघ, तेंदुआ आदि का प्रजनन नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह इनके बाड़ों का छोटा या पर्याप्त नहीं होना है।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सेंट्रल जू अथॉरिटी) ने बाड़ों का विस्तार किए बिना इन जानवरों का प्रजनन नहीं कराने का निर्देश दिया है। टाटा जू के निदेशक विपुल चक्रवर्ती ने बताया कि बाड़ों के विस्तारीकरण का कागजी काम पूरा हो गया है। पैसे भी हैं, लेकिन काम नहीं हो पा रहा है। जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा, बाड़ों का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल चिड़ियाघर में दो नर व तीन मादा शेर, एक नर व दो मादा बाघ और दो नर व एक मादा तेंदुआ है।
नर-मादा को रखा जा रहा अलग-अलग
प्रजनन की वजह से करीब पांच साल से इनके बाड़ों में नर व मादा को अलग-अलग रखा जा रहा है। नर व मादा के पिंजड़ों को अलग-अलग समय पर खोला जाता है, ताकि बाड़े में ये नहीं मिल सकें। निदेशक ने बताया कि नए बाड़े ऐसे बनेंगे, जिसमें कम से कम छह जानवर आराम से रह सकें। इनके लिए जू के अंदर बने सफारी पार्क के अलावा चिड़ियाघर से सटी टाटा स्टील के पार्क एंड गार्डेन की नर्सरी से भी जमीन ली जाएगी।
अकेला ही रह गया दरियाई घोड़ा
टाटा स्टील के चिड़ियाघर का उद्घाटन तीन मार्च 1994 को हुआ था। करीब 37 एकड़ में फैले इस चिड़ियाघर में उसी समय से एक दरियाई घोड़ा या हिप्पोपोटेमस रह रहा है। बाड़ा छोटा होने की वजह से उसका जोड़ीदार नहीं मंगाया जा सका। अभी उसकी उम्र करीब 45 वर्ष है, जबकि हिप्पो की उम्र ही 55-60 वर्ष होती है। विस्तारीकरण में इसका भी अलग बाड़ा बनाया जाएगा, जिसमें छह हिप्पो एक साथ रह सकेंगे। नया बाड़ा बनने के बाद हिप्पो की जोड़ी दूसरे चिड़ियाघर से मंगाई जाएगी।
2017 में हुआ था अंतिम प्रजनन
टाटा स्टील के चिड़ियाघर में अंतिम बार 2017 में प्रजनन हुआ था, जिसमें डोना बाघिन ने सुनयना व सलोनी को जन्म दिया था। कुछ दिनों बाद डोना की मौत हो गई थी। वहीं तेंदुआ के बाड़े में अंतिम बार 2013 में तीन तेंदुआ का जन्म हुआ था, जिसमें एक बोकारो जू भेज दिया गया था। शेर का प्रजनन कभी यहां नहीं हुआ। शेरों की मौत होने पर बाहर से ही नए शेर शावक मंगाए जाते रहे हैं।