कल्याण निकेतन की 100 करोड़ की परिसंपत्ति बेचेगी टाटा स्टील
कल्याण निकेतन के कर्मचारी सोसाइटी को पुन संचालित करने और उन्हें रोजगार देने के लिए पहली दिसंबर 2018 से आंदोलनरत है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा स्टील कदमा उलियान में ऑल इंडिया वीमेंस कांफ्रेंस (एआइडब्ल्यूसी) द्वारा संचालित कल्याण निकेतन सोसाइटी की लगभग 100 करोड़ परिसंपत्ति को बेचेगी। सोसाइटी प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच शुक्रवार सुबह बिष्टुपुर स्थित चमरिया गेस्ट हाउस में बैठक हुई। इसमें टाटा स्टील के ग्रुप चीफ आइआर जुबिन पालिया ने कर्मचारियों को इस बाबत जानकारी दी।
कल्याण निकेतन के कर्मचारी सोसाइटी को पुन: संचालित करने और उन्हें रोजगार देने के लिए पहली दिसंबर 2018 से आंदोलनरत है। लेकिन प्रबंधन ने घाटे का हवाला देते हुए सोसाइटी को पुन: संचालित करने से इन्कार कर दिया। शुक्रवार को हुई वार्ता में जुबिन पालिया ने बताया कि वे सोसाइटी की परिसंपत्ति को बेचेंगे। जो पैसा आएगा उसका टैक्स सरकार को देंगे। सोसाइटी की जो देनदारी है, पहले उसे चुकाया जाएगी। इसके बाद जो पैसा बचेगा उसे कर्मचारियों को पैकेज के रूप में दिया जाएगा। ऐसे में कर्मचारियों का दावा है कि एयरपोर्ट के पास उक्त जमीन का वर्तमान बाजार भाव लगभग 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यहां कल्याण निकेतन के अलावे अनाथ बच्चों के लिए शिशु निकेतन, शादी-विवाह के लिए मैरिज हॉल रेश्मी पथ, एक क्लिनिक, कैंटीन सहित बहुत बड़ी खाली जमीन है। बैठक में प्रबंधन की ओर से जुबिन पालिया के अलावे सोसाइटी चेयरमैन श्रीमंती सेन, अल्का नंदी, मीनाक्षी जायसवाल, टाटा स्टील लीगल विभाग से अधिवक्ता सहित कर्मचारियों की ओर से सरिता देवी, सुनीता तिवारी, कमल चौधरी, अरूण नायक, मो. इमानुउद्दीन, दीप नारायण महतो व यूनियन महासचिव बीके डिंडा उपस्थित थे।
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टाटा स्टील ही बेचेगी जमीन
वार्ता में कर्मचारियों ने सुझाव दिया कि अगर प्रबंधन जमीन बेचना चाहती है तो वे भी खरीदार तलाशेंगे। लेकिन कंपनी प्रबंधन ने इससे साफ इंकार कर दिया। उनका कहना है कि जमीन कंपनी की है तो खरीदार भी वे ही लाएंगे। ऐसे में कर्मचारियों को इसमें धांधली होने का शक है।
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पैकेज नहीं लिए तो सीधे एकाउंट में भेज देंगे पैसा
कर्मचारी प्रतिनिधि सरिता देवी का कहना है कि बैठक में अधिकारियों ने उन्हें हड़काया कि अगर पैकेज नहीं लिया तो पैसा सीधे उनके बैंक खातों में भेज दिया जाएगा। वे केवल सरकार द्वारा तय नियमों के तहत कर्मचारियों को 45 दिन प्रतिवर्ष के हिसाब से पैसा देगी। लेकिन जिन्होंने पांच वर्ष से कम काम किया है उन्हें एकमुश्त पैकेज दिया जाएगा। कोट==
टाटा स्टील प्रबंधन सोशल वर्क के नाम पर हमारी जिंदगी बर्बाद करने के लिए एकतरफा निर्णय ले रही है। जबकि सोसाइटी को बंद करने का क्लोजर आर्डर सरकार से नहीं मिला है। सोसाइटी का 100 करोड़ रुपये की संपत्ति बेचने की साजिश है।
-सरिता देवी, कर्मचारी