इंकैब की जमीन पर टाटा स्टील चाहती है प्लांट विस्तारीकरण
टाटा स्टील के पत्र के आधार पर उपायुक्त ने राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव को पत्र भेजा है। -अप्रैल 2000 से इंकैब इंडस्ट्रीज बंद है । 200 से अधिक स्थायी व सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अब भी कंपनी खुलने की आस है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। इंकैब इंडस्ट्रीज को 99 वर्षों के लिए 177.07 एकड़ जमीन की लीज 14 जुलाई 2019 को समाप्त हो चुकी है। ऐसे में टाटा स्टील उक्त जमीन पर अपना प्लांट विस्तारीकरण करना चाहती है। पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त की ओर से पिछले दिनों झारखंड सरकार के राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग को पत्र भेजकर इस संबंध में जानकारी दी है।
टाटा स्टील ने इंकैब की जमीन के लिए 20 अक्टूबर 2020 को कहा है कि वार्ड संख्या 12 व 13, खाता संख्या 61 और 13 में कुल 177.07 एकड़ जमीन को इंकैब इंडस्ट्रीज कंपनी लिमिटेड को आवंटित किया गया था। लेकिन लीज समाप्ति के बाद इंकैब प्रबंधन की ओर से लीज के विस्तार या नवीकरण के लिए कोई पत्र नहीं दिया। ऐसे में टाटा स्टील ने लीजर की हैसियत से इंकैब को उक्त सबलीज जमीन का कब्जा वापस करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि टाटा स्टील अपने इस्पात उत्पादन को बढ़ाने के लिए अपनी इकाइयों को स्थापित करने के लिए इंकैब की जमीन का उपयोग करना चाहती है। लेकिन इससे पहले जमीन की प्रकृति में बदलाव लाकर उसके रेंट में भी संशोधन करना होगा।
टाटा स्टील को जमीन देने का आग्रह
इंडियन केबल वर्कर्स यूनियन के महासचिव राम विनोद सिंह के विचार भी इस पत्र में दर्ज है। उनका कहना है कि इंकैब कंपनी को पुर्नजीवित कर मामले का समाधान हो सकता है। टाटा स्टील पहले भी इंकैब इंडस्ट्रीज को टेकओवर करने के लिए अपनी दिलचस्पी दिखाई थी इसलिए इंकैब इंडस्ट्रीज के पुर्नरुद्वार के लिए टाटा स्टील को प्रयास करने को कहा जाए।
इंकैब के पुर्नजीवित से पहले इन मामलों में समाधान जरूरी
- उपायुक्त ने अपने पत्र के अंतिम पेज पर पूरे मामले का निष्कर्ष लिखा है जिसके तहत यदि इंकैब को पुर्नजीवित करना है तो इस कंपनी से संबधित कई मामले देश के विभिन्न न्यायिक पीठ में विचाराधीन है, जिसका समाधान होना जरूरी है।
- नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के कोलकाता बेंच में सात फरवरी 2020 को दिए दिवालिया के आदेश को अपीलिएट कोर्ट में चुनौती दी गई। जिस पर कंपनी के पूर्व परिसमापक शशि अग्रवाल को हटा दिया गया। उन्होंने भी इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
- कोलकाता हाईकोर्ट में कंपनी से कर्ज वसूली के लिए तीन रिट पीटिसन विचाराधीन है।
- यदि किसी सक्षम प्रमोटर द्वारा इंकैब को टेकओवर या उसका समाधान किया जाए।
- इंकैब कंपनी को पुर्नजीवित करने और उसके कर्मचारियों के हितों की रक्षा व कल्याण का मामला नीतिगत है जो सरकार के स्तर से ही संभव है।
इंकैब इंडस्ट्रीज को आवंटित जमीन का विवरण
कंपनी : 30.40 एकड़
आवासीय : 49.25 एकड़
विद्यालय, क्लब व मंदिर : 7.85 एकड़
परती जमीन : 53.35 एकड़
अतिक्रमित भूमि : 1.15 एकड़
अतिक्रमित जमीन (अवैध दखल) : 5.67 एकड़
रोड, गली व अन्य : 29.33 एकड़