टाटा स्टील ट्रेड अप्रेंटिस बहाली में बाहरी-भीतरी का मुद्दा गरमाया, राजनीति तेज
टाटा स्टील ट्रेड अप्रेंटिस बहाली में बाहरी-भीतरी का मुद्दा गरमा गया है। इसको लेकर राजनीति तेज हो गयी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कंपनी प्रबंधन को चेतावनी दी है कि सिर्फ झारखंड के आदिवासी-मूलवासी को ही लिया जाए। अन्यथा आंदोलन होगा।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। टाटा स्टील ट्रेड अप्रेंटिस बहाली में बाहरी-भीतरी का मुद्दा गरमाने लगा है। बहाली के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं, जिसमें झारखंड व ओडिशा के मूल निवासी को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कंपनी प्रबंधन को चेतावनी दी है कि सिर्फ झारखंड के आदिवासी-मूलवासी को ही लिया जाए। दूसरा पक्ष भी सामने खडा हो गया है। उसका कहना है कि यह कैसे हो सकता है। झारखंड में रहनेवाले दूसरे पात्रों को कैसे वंचित किया जा सकता है।
मंगलवार को झामुमो के जिला अध्यक्ष व घाटशिला विधायक रामदास सोरेन के नेतृत्व में विधायक समीर महंती, कालिंदी व संजीव सरदार ने टाटा स्टील प्रबंधन को स्मारपत्र दिया था। बिष्टुपुर स्थित चमरिया गेस्ट हाउस में हुई वार्ता के दौरान टाटा स्टील की ओर से सीएसआर के चीफ सौरभ राय ने झामुमो विधायकों से वार्ता की थी। उन्होंने उनकी बात कंपनी के उच्च प्रबंधन तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। फिलहाल आवेदन की तारीख 15 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। झामुमो विधायकों ने कंपनी प्रबंधन को चेतावनी दी है कि यदि अप्रेंटिस में बाहरी युवकों को लिया गया तो जन आंदोलन किया जाएगा। झामुमो ने इससे पहले भी कंपनी प्रबंधन को चेतावनी दी थी।
अप्रेंटिस की आड़ में कुछ लोग कर रहे राजनीति : नीतेश
एधर, टाटा स्टील की ट्रेड अप्रेंटिस बहाली की आड़ में कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के चक्कर में शहर के शांत औद्योगिक माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। यह कहना है टाटा वर्कर्स यूनियन के सहायक सचिव सह राष्ट्रीय यूथ इंटक के राष्ट्रीय महासचिव नीतेश राज का। पिछले कुछ दिनों से टाटा स्टील की ट्रेड अप्रेंटिस बहाली को लेकर जो राजनीति हो रही है वह ठीक नहीं है। राष्ट्रीय महासचिव ने मंगलवार को ही जारी बयान में आगे कहा है कि टाटा स्टील ट्रेड अप्रेंटिस की बहाली कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार इस तरह का विरोध प्रदर्शन कर कंपनी को डराने की कोशिश करना गलत है। साथ ही इस तरह बिहार और यूपी वालों के खिलाफ आवाज उठाना यह बताता है कि राज्य में नफरत की बीज बोने की कोशिश की जा रही है। जबकि यह भूलना नहीं चाहिए कि झारखंड भी बिहार का ही हिस्सा रहा है। कंपनी प्रबंधन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जिसका डोमिसाइल होगा उसको ही बहाल किया जाएगा, फिर इस पर बेवजह की राजनीति करना गलत है। इस गलत राजनीति का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।
टाटा स्टील अप्रेंटिस मामले से भोजपुरी संगठन में आक्रोश
इसबीच भोजपुरी नव चेतना मंच के अध्यक्ष अप्पू तिवारी ने कहा कि झामुमो विधायकों ने मंगलवार को टाटा स्टील प्रबंधन से कहा है कि अप्रेंटिस में सिर्फ आदिवासी व मूलवासी को लिया जाए, यह आपत्तिजनक है। झामुमो को यह नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड बिहार से ही अलग होकर बना है। यहां पहले भी बिहारी काम करते थे और आगे भी करेंगे। बिहार के युवकों की बहाली पर किसी तरह की आंच आई तो हम शांत नहीं बैठेंगे।