Steel Price Hike : टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने बताया, आखिर क्यों बढ़ रही स्टील की कीमतें
Tata Steel टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन का कहना है कि स्टील की कीमतों में अभी और बढ़ोतरी होगी। हालांकि इसका सीधा असर कंसट्रक्शन के साथ-साथ ऑटोमोबाइल सेक्टर पर बड़ा है। उनका मानना है कि कोयले की कीमत से स्टील की मूल्य प्रभावित हुई है।
जमशेदपुर : देश में इन दिनों स्टील की कीमतें नई ऊंचाईयों पर है और इसका असर ऑटोमोबाइल सेक्टर से लेकर कंस्ट्रक्शन पर भी पड़ रहा है जिसके कारण कार निर्माता कंपनियों ने अपनी कीमत में दो से तीन प्रतिशत बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। वहीं, कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने भी प्रति वर्गफीट अपनी कीमतों पर इजाफा कर दिया है।
लेकिन स्टील निर्माता कंपनी अब भी इसे उच्चतम स्तर पर नहीं मानते। उनका मानना है कि स्टील की कीमतों में भविष्य में और बढ़ोतरी हो सकती है। टीवी नरेंद्रन ने स्टील मार्केट और स्टील की कीमतों पर बहुत कुछ कहा।
कोयले की कीमत से प्रभावित होती है स्टील सेक्टर
टीवी नरेंद्रन का मानना है कि 25 साल पहले स्टील की कीमत 180 डॉलर प्रति टन देखा था। तब हमने सोचा नहीं था कि यह एक समय बढ़कर 600 डॉलर प्रति टन हो जाएगा। लेकिन अब हम 800 से 850 डॉलर की ओर देख रहे हैं। क्योंकि आज चीन में कोल की कीमत 400 डॉलर है और उत्पादन लागत 600 डॉलर आता है।
वर्तमान में कोई अन्य देश अपनी उत्पादन क्षमता इसलिए नहीं बढ़ा रहा है क्योंकि स्टील की कीमतें अधिक है इसलिए स्टील सेक्टर निवेशकों के लिए आकर्षक उद्योग नहीं है। मुझे लगता है कि पिछले 10 वर्षो की तुलना में अधिक बनी रहेगी। हालांकि अभी भी हम उच्चतम स्तर पर हैं लेकिन वर्ष 2008 में स्टील की कीमतें इससे अधिक थी। हम दीर्घकालीन औसत लेते हैं। जो इस समय उच्चतम स्थान पर बना हुआ है लेकिन सवाल उठता है कि यदि मांग मजबूत हुई तो हम क्या करेंगे।
आयरन ओर भंडारण के कारण भारत को फायदा
टीवी नरेंद्रन का मानना है कि जिस कंपनी के पास लौह अयस्क का भंडारण है वह फायदे में है। ऐसे में स्वदेशी लौह अयस्क भंडार के कारण भारतीय कंपनियों को फायदा है। हमारी बहुत सी मूल्य निर्धारण शक्ति भी हमारी आपूर्ति से आती है क्योंकि हम कोयले की कीमतों को नियंत्रित नहीं करते हैं, जो आज अधिक हैं। भारत अच्छी स्थिति में जरूर है क्योंकि हमारा मानना है कि स्टील की खपत में मजबूती से वृद्धि होगी।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में टाटा ने किया है निवेश
टीवी नरेंद्रन का कहना है कि पिछले तीन-चार वर्षों में टाटा स्टील ने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने से काफी मदद मिली है। हमने घरेलू बाजारों से अपने माल को निर्यात करते हुए अंतराष्ट्रीय बाजारों की ओर भी रुख किया। पहले आम तौर पर हम अपने उत्पादन का 10 से 15 प्रतिशत उत्पादन ही निर्यात करते थे लेकिन कोविड 19 के कारण हुए लॉकडाउन के बाद हमने अपना निर्यात 50 प्रतिशत तक बढ़ाया।
क्या इससे स्टील की कीमतों को दोगुना करने से मदद मिली है, यह कहा नहीं जा सकता। हालांकि कीमतें बढ़ गई हैं और जो संख्या देखी है उसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन हम हमेशा लागत पर फोकस करते हैं।
एबिटा मार्जिन हुआ है बेहतर
टीवी नरेंद्रन का कहना है कि पिछले 20 वर्षों में भारत के कारोबार का एबिटा मार्जिन 20 प्रतिशत रहा है जो अब बढ़कर 40 से 45 प्रतिशत के बीच चल रहा है। अब हम भारतीय कारोबार इसी रेंज में हैं। नीदरलैंड का कारोबार 16 से 18 प्रतिशत जबकि यूके पांच से सात प्रतिशत की रेंज में है।
इसके साथ ही हमने उत्पादन लागत को भी कम किया। इसके लिए टाटा स्टील ने पिछले चार-पांच वर्षो में कर्मचारियों की दक्षता को बढ़ाने का काम किया। इससे हमें कोयले के उपयोग में 100 किलोग्राम प्रति टन स्टील उत्पादन में कमी की जिसका सालाना प्रभाव लगभग 1000 करोड़ रुपये होता है।