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टाटा स्टील जमशेदपुर का उत्पादन 14 मिलियन टन करने का लक्ष्य, 2024 तक ओडिशा मिलाकर 40 एमटी करने की तैयारी

Tata Steel News. टाटा स्टील किसी नए स्थान पर प्लांट लगाने की बजाय जमशेदपुर व ओडिशा के प्लांट का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी में जुटी है। ओडिशा के आंगुल व कलिंगनगर मिलाकर 40 मिलियन टन करना है। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 01:35 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 01:35 PM (IST)
टाटा स्टील जमशेदपुर का उत्पादन 14 मिलियन टन करने का लक्ष्य, 2024 तक ओडिशा मिलाकर 40 एमटी करने की तैयारी
नरेंद्रन ने कहा कि लिबर्टी स्टील पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जमशेदपुर, जासं। टाटा स्टील किसी नए स्थान पर प्लांट लगाने की बजाय जमशेदपुर व ओडिशा के प्लांट का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी में जुटी है। टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2024 तक जमशेदपुर में उत्पादन बढ़ाकर 14 एमटी करने का लक्ष्य है, जबकि ओडिशा के आंगुल व कलिंगनगर मिलाकर 40 मिलियन टन करना है।

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एक अखबार को दिए साक्षात्कार में नरेंद्रन ने कहा है कि हमने इसका मास्टर प्लान बना लिया है। जमशेदपुर में फिलहाल 11 मिलियन टन का उत्पादन हो रहा है, जिसे बढ़ाकर 14 एमटी करने की तैयारी है। अोडिशा के आंगुल में पांच एमटी से 10 एमटी और कलिंगनगर में तीन से आठ एमटी तक उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य है। कुल मिलाकर इन तीनों स्थानों में हमें जो जमीन उपलब्ध है, उसमें हम इस्पात का वार्षिक उत्पादन 20 से 40 मिलियन टन ले जा सकते हैं। 20 को 25 टन हम बहुत जल्द कर लेंगे, जबकि शेष 15 टन लक्ष्य के मुताबिक हासिल कर लेंगे।

कलिंगनगर में पिलेट प्लांट अगले वर्ष तक बन जाएगा

टीवी नरेंद्रन ने बताया कि कलिंगनगर में अगले वित्तीय वर्ष तक पिलेट प्लांट और कोल्ड रोलिंग मिल बनकर तैयार हो जाएगा। पिलेट प्लांट उत्पादन लागत कम करने में सहायक होगा, जबकि सीआरएम से उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। वर्ष 2024 तक ब्लास्ट फर्नेस और शीट मिल का विस्तारीकरण भी पूरा हो जाएगा।

लिबर्टी स्टील पर करेंगे कानूनी कार्रवाई

नरेंद्रन ने कहा कि लिबर्टी स्टील पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उसे निर्धारित समझौते के मुताबिक पांच वर्ष तक प्रतिवर्ष निश्चित राशि जमा करनी थी, लेकिन दो वर्ष के बाद उसने राशि बंद कर दी है। तीसरे वर्ष कुछ राशि मिली, लेकिन अभी तक हमें पूरी राशि नहीं मिली है। ऐसे में हमारे पास कानूनी विकल्प ही बचा है।


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