Fight Against Covid : टाटा स्टील ने झारखंड सरकार को दिए 300 कांसंट्रेटर
Fight Against Covid कोविड 19 महामारी के प्रकोप के खिलाफ टाटा समूह सहित टाटा स्टील प्रबंधन फाइट अगेंस्ट कोविड अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत टाटा स्टील ने गुरुवार को झारखंड सरकार को 300 कांसंट्रेटर मशीन सौंप।
जमशेदपुर, जासं। कोविड 19 महामारी के प्रकोप के खिलाफ टाटा समूह सहित टाटा स्टील प्रबंधन फाइट अगेंस्ट कोविड अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत टाटा स्टील ने गुरुवार को झारखंड सरकार को 300 कांसंट्रेटर मशीन सौंपा। टाटा स्टील रांची के चीफ रेसीडेंट एक्जीक्यूटिव संजय मोहन श्रीवास्तव ने इन सभी कांसंट्रेटर मशीनों को झारखंड सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह को सौंपा।
इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने टाटा स्टील की इस पहल के लिए आभार जताया। कहा कि कोविड 19 महामारी के खिलाफ टाटा स्टील सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए लगातार काम कर रही है। आापको बता दें कि टाटा स्टील ने ये 300 कांस्ट्रेटर को यूनाइटेड स्टेट और चीन से आयात करवाया है ताकि कोविड 19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान बचाई जा सके। इसके अलावा टाटा स्टील ने झारखंड सरकार के साथ मिलकर आक्सीजन टास्क फोर्स का गठन किया है जिसकी मदद से उन सभी जिलों को लिक्विड मेडिकल आक्सीजन भेजा जा रहा है जहां इसकी किल्लत है। टाटा स्टील अपने जमशेदपुर प्लांट से पहली अप्रैल से ही लिक्विड मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति कर रही है।
क्या है आक्सीजन कांस्ट्रेटर, कैसे करता है काम
आक्सीजन कांस्ट्रेटर एक मेडिकल उपकरण है जो आसपास की हवा से आक्सीजन को इकट्ठा करता है। हमारे पर्यावरण में मौजूद हवा में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन और 21 प्रतिशत आक्सीजन गैस होता है। जबकि एक प्रतिशत दूसरा गैस उपलब्ध है। आक्सीजन कांस्ट्रेटर इस हवा को पहले अपने अंदर खीचता है फिर उसे फिल्टर कर नाइट्रोजन गैस को वापस हवा में छोड़ देता है जबकि बाकी बचे हुए आक्सीजन को मरीज तक पहुंचाता है। एक पोर्टेबल आक्सीजन कांस्ट्रेटर एक मिनट में एक या दो लीटर आक्सीजन मुहैया करा सकता है जबकि बड़े कांस्ट्रेटर की क्षमता पांच से 10 लीटर प्रति मिनट है। इस मशीन से मिलने वाली आक्सीजन 95 प्रतिशत तक शुद्ध होती है। आक्सीजन कांस्ट्रेटर में आक्सीजन की सप्लाई के लिए प्रेशर वॉल्व रेगुलेटर लगा रहता है जिसकी मदद से मरीज को भेजे जाने वाले आक्सीजन की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2015 में मरीज को लगातार आक्सीजन सप्लाई करने के लिए इसे डिजाइन किया था।