बाजार सैरात की, किराया वसूलती टाटा स्टील कंपनी Jamshedpur News
साकची बाजार पर पहला दावा जमशेदपुर अक्षेस का है।अक्षेस ने बताया है कि साकची बाजार सैरात की जमीन पर बसी है जहां दुकानों की बंदोबस्ती हाट-बाजार की तर्ज पर की जाती है।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। साकची बाजार ना केवल शहर का सबसे बड़ा बाजार है, बल्कि पुराना भी है। टाटा स्टील की स्थापना के समय से ही बिष्टुपुर के साथ-साथ साकची बाजार भी बसना शुरू हो गया था। तब यहां एक भी पक्की दुकान नहीं थी। 1947 व 1948 में जब काफी संख्या में पाकिस्तान से शरणार्थी आकर बसने लगे, तो बाजार में चहल-पहल बढ़ी।
तब तक इसकी देखभाल पूरी तरह से टाटा स्टील करती थी। जब 26 जून 1924 को जमशेदपुर अधिसूचित क्षे्रत्र समिति (अक्षेस) का गठन हो गया, तो कंपनी ने इसके नियमित रखरखाव की जिम्मेदारी अक्षेस को दे दी। नहींं दिया तो दुकानों का किराया या टोल वसूलने का अधिकार। टाटा स्टील अब भी साकची बाजार में फुटपाथ से लेकर पक्की दुकान तक का किराया वसूलती है।
सैरात की जमीन पर मार्केट
खास बात यह है कि साकची बाजार पर पहला दावा जमशेदपुर अक्षेस का है। सूचना का अधिकार के तहत अक्षेस ने बताया है कि साकची बाजार सैरात की जमीन पर बसी है, जहां दुकानों की बंदोबस्ती हाट-बाजार की तर्ज पर की जाती है। इसके मुताबिक यहां कोई दुकान स्थायी या पक्की नहीं लग सकती, लेकिन यह है। दुकानों का किराया भी सैरात के हिसाब से लिया जाता है। किराया, महसूल या टोल के एवज में कंपनी बाजार में पानी व बिजली उपलब्ध कराती है, जबकि सफाई में अक्षेस की मदद करती है। जमशेदपुर अक्षेस दुकानदारों से म्यूनिसिपल ट्रेड लाइसेंस का शुल्क लेती है। फिलहाल अक्षेस पांच साल के ट्रेड लाइसेंस के लिए 3000 रुपये ले रही है। यह जानकारी सूचना का अधिकार के तहत सामाजिक कार्यकर्ता सदन ठाकुर को खुद अक्षेस ने दी है।
दुकानों का किराया 12 से 20 रुपये
साकची बाजार में पक्की दुकानों का किराया 12 से 20 रुपये तक है। इसमें शर्त यही है कि यह किराया तब तक लागू रहेगा, जब तक दुकान का मालिक नहीं बदलता। जैसे ही दुकान पिता से पुत्र के नाम पर होगा, किराया 1000 रुपये से 2000 रुपये मासिक कर दिया जाता है। इसकी वजह से कई दुकानदार पिता का निधन होने पर भी नहीं बदलते।
टाटा स्टील की अनुमति से ही होता दुकान में कोई भी बदलाव
साकची बाजार में अतिक्रमण हटाओ अभियान जिला प्रशासन, अनुमंडल अधिकारी व जमशेदपुर अक्षेस चलाती है, लेकिन दुकान के ढांचे में कोई भी बदलाव टाटा स्टील की अनुमति से ही किया जा सकता है। हालांकि जब कोई भी दुकानदार टाटा स्टील (जुस्को) को आवेदन देता है, तो कंपनी अक्षेस को भी इसकी प्रति देने के लिए कहती है। अनुमति या आवेदन का स्वीकृति पत्र टाटा स्टील ही देती है। दुकान में मोडिफिकेशन सहित किसी भी तरह का बदलाव करने पर दो-तीन हजार रुपये का शुल्क लिया जाता है। 1970 में टाटा स्टील ने ही पक्की छत बनाने की अनुमति दी थी, जबकि इससे पहले हर दुकान की छत टिन की थी।