टाटा संस सुपर एप लांच करने की योजना पर लगा ब्रेक, सरकार ने दिया झटका
कोरोना काल में केंद्र सरकार को 15 सौ करोड़ की सहायता राशि देने वाली टाटा समूह को बड़ा झटका लगा है। सरकार के एक फैसले के कारण इस समूह को सुपर एप लांच करने की योजना को स्थगित करना पड़ रहा है। जानिए क्यों....
जमशेदपुर : नमक से लेकर स्टील और ऑटोमोबाइल से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाली 110 अरब डॉलर से अधिक की समूह, टाटा संस ई-कॉमर्स कंपनी के लिए जल्द ही सुपर एप को लांच करने वाली थी। लेकिन केंद्र सरकार जल्द ही देश में उपभोक्ता संरक्षण कानून को लागू करने वाली है। ऐसे में टाटा संस ने इस कानून में होने वाले बदलाव को ध्यान में रखते हुए फिलहाल अपने एप पर कुछ समय के लिए ब्रेक लगाया है।
आपको बता दें कि अमेजन और फ्लिपकार्ट सहित दूसरी अंतराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सहित दूसरी व्यापारिक संगठन देश के खुदरा बाजार को बचाने के लिए केंद्र सरकार से ठोस नीति बनाने की मांग कर रही है। इसी पहल पर आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार उपभोक्ता संरक्षण को लेकर नई नीति बना रही है। मार्केट सूत्रों की माने तो टाटा संस अपने एप का परीक्षण भी पूरा कर चुकी थी। बस जरूरत थी सहीं समय का जब इसे लांच किया जाना था। लेकिन अब टाटा संस केंद्र सरकार की उपभोक्ता संरक्षण नीति के आने की इंतजार करेगी। इसमें किस तरह के कानून व नीतियां आएंगे, उसे देखने के बाद ही टाटा संस अपना एप लांच करेगी।
बड़ी कंपनियों को टक्कर देने की है योजना
आपको बता दें कि टाटा संस जल्द ही ई-कॉमर्स कंपनी को लांच करने वाली है। इसकी मदद से टाटा संस अंतराष्ट्रीय कंपनी अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित रिलायंस इंडस्ट्री की जियो मार्ट को टक्कर देने की योजना है। टाटा संस अपने एक सुपर एप की मदद से उपभोक्ता को वन स्टॉप सॉल्यूशन के तहत उनकी जरूरत के हर सामान को खरीदने या सेवा प्राप्त करने का अवसर देती। इसमें टाटा समूह द्वारा बनाए जाने वाली हर एक सामान को खरीदने का मौका मिलता ही साथ ही इस एप की मदद से हवाई यात्रा के लिए टिकट, इंश्योरेंस सहित घर बनाने के लिए स्टील की भी सुविधा मिलती।
कई कंपनियों का टाटा संस कर चुकी है अधिग्रहण
टाटा संस अपनी महत्वकांक्षी योजना को मूर्त रूप देने के लिए कई कंपनियों का पहले ही अधिग्रहण कर चुकी है। इसमें ई-कॉमर्स कंपनी बिग बास्केट, दवा की ई-फार्मेसी कंपनी 1एमजी, बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने वाली कंपनी क्योर फिट में अपनी हिस्सेदारी खरीद चुकी है ताकि किसी भी उपभोक्ता को अपनी जरूरत के सामान खरीदने के लिए दूसरे वेबसाइट पर जाने की जरूरत नहीं हो।
नई नीति में माना जा रहा है ये बड़ी बाधा
जानकारों की माने तो केंद्र सरकार द्वारा लाए जाने वाले नए नियमों में रिलेटेड पार्टी की धारा एक बड़ी बाधा होगी। क्योंकि ऑनलाइन मार्केटप्लेस फर्म के अंतिम मील डिलीवरी पार्टनर को भी संबंधित पार्टी के रूप में माना जा सकता है। जुलाई माह में ही वाणिज्य मंत्रालय ने नए मसौदे के नियमों पर सभी उद्योगपतियों से प्रतिक्रिया मांगी थी क्योंकि वह स्थानीय खुदरा विक्रेताओं को ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी कंपनियों से बचाना चाहती है। साथ ही यह उन स्थानीय फर्मो को भी प्रभावित करेगा जो ई-कॉमर्स के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहती है। हालांकि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अधिकारियों का मानना है कि जियो मार्ट ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के बजाय रिटेलर के रूप में काम करती है और अगर प्रस्तावित नियमों को लागू किया जाता है तो वह जियो प्लेटफॉर्म की मार्केटप्लेस योजनाओं पर फिर से बदलाव करने को तैयार है।
सख्त बनेंगे नए नियम
जमशेदपुर के मार्केट विशेषज्ञ महेंद्र कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार की नई नीति ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए आसान नहीं होगा। नियम इस तरह से होंगे कि वह बाहरी विदेशी कंपनियों को ई-प्लेटफार्म पर सामान बेचना आसान नहीं होगा।