आपको पता है किसने की थी भारत के पहले Start Up की शुरुआत, 150 साल पुराना है यह आइडिया
टाटा उद्योग की दुनिया में इतने प्रभावशाली थे कि जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें वन मैन प्लानिंग कमीशन की संज्ञा दी थी। जमशेदजी नसरवानजी टाटा को भारतीय उद्योग का जनक कहा जाता है। उन्होंने जमशेदपुर शहर की स्थापना के साथ-साथ टाटा स्टील कंपनी को भी स्थापित किया।
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : आज टाटा संस का साम्राज्य नमक से लेकर चाय तक, स्टील से लेकर कार-ट्रकों तक और वित्त से लेकर सॉफ्टवेयर तक हर कहीं नजर आता है। जब कोई नया मैनेजर या कामगार टाटा समूह की किसी कंपनी में काम शुरू करता है तो उसे समूह के बारे में एक वाक्य में बताया है, ‘हम किसी न किसी रूप में हर भारतीय की जिंदगी का हिस्सा हैं।’ टाटा समूह अपनी बाकी विशेषताओं के अलावा एक और बात के लिए जाना है और वह है इसका केंद्रीय मूल्य। यह विचार कहता है कि इस कारोबारी साम्राज्य की बुनियाद मुनाफे से इतर समाज की भलाई होगी। इस केंद्रीय मूल्य के संस्थापक थे- जमशेदजी नसरवानजी टाटा (जेएनटाटा)।
टाटा उद्योग की दुनिया में इतने प्रभावशाली थे कि जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें वन मैन प्लानिंग कमीशन की संज्ञा दी थी। जमशेदजी नसरवानजी टाटा को भारतीय उद्योग का जनक कहा जाता है। उन्होंने जमशेदपुर शहर की स्थापना के साथ-साथ टाटा स्टील भी स्थापित किया। उनका जन्म तीन मार्च 1839 को नवसारी में एक पारसी पारसी परिवार में हुआ था, जो उस समय बड़ौदा रियासत का हिस्सा था। उन्होंने आज ही के दिन 19 मई, 1904 को अंतिम सांस ली थी।
आइए, जेएन टाटा के बारे मेें जानते हैं कुछ रोचक तथ्य
1. जमशेदजी नसरवानजी टाटा को "भारतीय उद्योग का जनक" माना जाता है।
2. उद्योग जगत में टाटा का इतना प्रभाव था कि जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें वन मैन प्लानिग कमीशन (योजना आयोग) तक कहा था।
3. जमशेदजी टाटा भारत की सबसे बड़ी समूह कंपनी टाटा समूह की स्थापना की। उन्होंने जमशेदपुर शहर की स्थापना भी की।
4. उनका जन्म पुजारियों के एक सम्मानित लेकिन गरीब परिवार में हुआ था।
5. अन्य पारसी लोगों के विपरीत, जमशेदजी टाटा ने औपचारिक पश्चिमी शिक्षा प्राप्त की क्योंकि उनके माता-पिता ने देखा कि उन्हें कम उम्र से ही अंकगणित में विशेषज्ञता हासिल है। बाद में जेेएन टाटा ने बंबई में शिक्षा ली।
6. छात्र जीवन में ही जमशेदजी की शादी हीराबाई से कर दी गई।
7. 1858 में बॉम्बे में एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक होने के बाद 29 साल की उम्र में वह अपने पिता की निर्यात-आयात फर्म (Import-Export Firm) से जु़ड़ गए और जापान, चीन, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसकी शाखाएं स्थापित करने में मदद की।
8. इसके बाद उन्होंने 1868 में 21000 रुपये की पूंजी के साथ एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना की।
9. अफीम के व्यापार को समझने के लिए जेएन टाटा नियमित अंतराल पर चीन का दौरा किया करते थे। लेकिन कपास उद्योग में व्यापार फलफूल रहा है और एक बड़ा लाभ कमाने का मौका है। इसने उनके व्यावसायिक करियर को प्रभावित किया, जहां उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में कपास मिलों में सबसे अधिक निवेश किया।
10. टाटा के जीवन में चार लक्ष्य थे: एक आयरन एंड स्टील कंपनी, एक विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थान, एक अनूठा होटल और हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्लांट बनाना। उनके जीवनकाल में केवल होटल ही धरातल पर उतर पाया।
11. दिसंबर, 1903 को चार करोड़ 29 लाख रुपये की लागत से बॉम्बे (अब मुंबई) में कोलाबा वाटरफ्रंट में ताजमहल होटल का उद्घाटन किया गया। उस समय, यह भारत का एकमात्र होटल था जिसमें बिजली थी।
12. अपने जीवनकाल में ही जेएन टाटा ने टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को, वर्तमान में टाटा स्टील) की आधारशिला रख दी थी। 1907 में टाटा स्टील का उद्घाटन किया गया।
13. बाद में अपने जीवन में, टाटा स्वदेशीवाद के प्रबल समर्थक बन गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के करीबी थे और दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता और दिनशॉ वाचा से काफी प्रभावित थे। उनका मानना था कि आर्थिक आत्मनिर्भरता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता अर्थहीन होगी। उनके राजनीतिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लक्ष्य का ऐसा प्रभाव पड़ा कि अंग्रेजों ने उन्हें अन्य पारसी उद्यमियों की तरह कुलीन पद का सम्मान नहीं दिया।
14. जमशेदजी टाटा और उनकी पत्नी हीराबाई के बेटे दोराबजी टाटा और रतनजी टाटा टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में टाटा के उत्तराधिकारी बने।
15. टाटा 1900 में जर्मनी में एक व्यापारिक यात्रा के लिए जा रहे थे, जब वे गंभीर रूप से बीमार हो गए। 19 मई 1904 को बैड नौहेम में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें इंग्लैंड के वोकिंग के ब्रुकवुड कब्रिस्तान में पारसी कब्रिस्तान में दफनाया गया।