नवंबर से शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट, जनवरी से सभी तरह के कैंसर का इलाज
शहर में नवंबर से बोन मैरो ट्रांसप्लांट होने लगेगा। इसके लिए गुरुवार
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहर में नवंबर से बोन मैरो ट्रांसप्लांट होने लगेगा। इसके लिए गुरुवार को दिल्ली में टाटा स्टील व स्टेम सेल बैंक के इंटरनेशनल एजेंसी के साथ करार होगा। यह जानकारी मंगलवार को टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) के जीएम डॉ. राजन चौधरी ने एक संवाददाता सम्मेलन दी। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए टीएमएच व मेहरबाई टाटा मेमोरियल अस्पताल (एमटीएमएच) मिलकर काम कर रहे हैं। इसके लिए अलग से टीम होगी। यूनिट को शुरू हो जाने से मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बोन मौरो ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को अभी प्रदेश के बाहर के अस्पतालों में जाना पड़ता है। इन अस्पतालों में ट्रांसप्लांट का खर्च 10 लाख रुपये है। रहने व सुविधाओं को मिलाकर मरीजों को 13 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं। टीएमएच में कम राशि में बेहतर चिकित्सा मिल सकेगी। प्रदेश में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है।
संवाददाता सम्मेलन में एमटीएमएच के निदेशक डॉ. सुजाता मित्रा, डॉ. अनिल कुमार धर, डॉ. केपी दूबे सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित थे।
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बोन मैरो क्या है
बोन मैरो मनुष्य की हड्डियों के अंदर पाए जाने वाला एक मुलायम टिश्यू होता है। यहीं से रक्त का उत्पादन होता है। बोन मैरो में रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने वाले स्टेम सेल होते हैं, जो लाल, सफेद कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को विकसित करती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए सबसे पहले डोनर के गाल के अंदरूनी हिस्से से सॉफ्ट टिश्यू निकाला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह का कोई दर्द नहीं होता है। ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया सहित ब्लड की गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। इसमें स्वस्थ व्यक्ति की बोनमैरो को मरीज की बोनमैरो से बदला जाता है। इसका सक्सेस रेट 70-80 फीसद है।
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टाटा ट्रस्ट बनवा रहा अत्याधुनिक कैंसर सेंटर
एमटीएमएच को विकसित करने का काम किया जा रहा है। एमटीएमएच के बगल में टाटा ट्रस्ट अत्याधुनिक कैंसर सेंटर की स्थापित करा रहा है। इसका निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। यह पूरी तरह से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इसे शुरू होने के बाद कैंसर रोगियों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सभी तरह का इलाज यहां संभव होगा। जनवरी तक इसे शुरू करने की योजना है। अबतक कैंसर के गंभीर मरीजों को मुंबई, कोलकाता सहित अन्य प्रदेशों में जाना पड़ता है।
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झारखंड में तेजी से बढ़ रहे कैंसर रोगी
प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार झारखंड में हर साल 33 से 34 हजार कैंसर के नये रोगी सामने आ रहे हैं। वर्ष 2015 में 32035 नये रोगी मिले थे जो 2017 में बढ़कर 34183 हो गये हैं। अगर इसी तरह मरीजों की संख्या बढ़ती रही तो 2020 तक 37679 व 2022 तक 40205 बढ़कर हो जाएंगे।
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मरीजों की जान बचा रही असाध्य रोग योजना
मेहरबाई टाटा मेमोरियल अस्पताल में जितने भी कैंसर के रोगी भर्ती होते हैं, उसमें 70 से 80 फीसद असाध्य रोग योजना से जुड़े होते हैं। यह योजना मरीजों की जान बचाने में काफी मददगार साबित हो रही हैं। बीमारियों की पहचान होने से मरीजों का इलाज समय पर मिल रहा है। पहले बीमारी की पहचान भी देरी से होती थी और इलाज मंहगा होने की वजह से रोगी चिकित्सा भी नहीं करा पाते थे। लेकिन अब ढाई लाख रुपये तक की राशि सरकार देती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी असाध्य रोग योजना से जुड़ जाने से गरीब मरीजों को लाभ मिलेगा।
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