1998 की मंदी में हिताची बना था टाटा मोटर्स का मददगार Jamshedpur News
1998 की मंदी में टाटा मोटर्स की मददगार बनी कंपनी टाटा हिताची का जमशेदपुर का प्लांट बंद हो जाएगा यह किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा हिताची जमशेदपुर का प्लांट बंद हो जाएगा यह किसी ने कभी सोचा नहीं होगा। यह वहीं कंपनी है जो 1997-98 की वैश्विक मंदी में बेहतर प्रदर्शन कर टाटा मोटर्स का मददगार बनी थी। उस समय की मंदी में ऑटोमाबाइल सेक्टर का हाल खस्ता हो गया था। जहां गाड़ियों की बिक्री बंद थी तो वाहन भी कम बन रहे थे। उस स्थिति में टाटा मोटर्स का एक्सकेवेटर डिपार्टमेंट (टाटा हिताची) का उत्पादन जारी था।
उस समय इस गाड़ी की मांग विदेशों में भी थी। आधारभूत संरचना निर्माण उपकरणों को बनाने वाली टाटा हिताची कंस्ट्रक्शन मशीनरी कंपनी लिमिटेड पुराना नाम टेल्कॉन वहीं कंपनी है जिसने 1997-98 की मंदी में टाटा मोटर्स को मजबूती प्रदान की थी। 2000 से पूर्व यह टाटा हिताची, टाटा मोटर्स की कंस्ट्रक्शन इक्वीपमेंट बिजनेस यूनिट (सीइबीयू) थी, जिसमें एक्सकेवेटर बनाए जाते थे। 31 मार्च 1999 में टाटा मोटर्स में अगल होकर यह यूनिट पहले टेल्कॉन बनी फिर टाटा हिताची हो गई। शुरू में 1250 कर्मचारी टाटा मोटर्स से स्थानांतरित होकर टेल्कॉन में आए थे।
मंदी के समय वेतन में दिया सहयोग
1997 के अंत में मंदी शुरू हुई थी जो लगातार तीन साल रही। उस समय ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी थी, लेकिन निर्माण उपकरण एक्सकेवेटर की मांग थी। उस समय टाटा हिताची के लाभांश से कंपनी के करीब 14 हजार कर्मचारियों को वेतन समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराने में मदद मिली थी। यूनियन नेताओं के मुताबिक शहर में सबसे बड़ी तीसरी कंपनी की अपनी साख थी। इसके बाद ही धारवाड़ व खड़गपुर प्लांट बना है।