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आक्सीजन परिवहन के झंझट से जल्द मिलेगी मुक्ति, जानिए क्या हो रही तैयारी

PSA system in District Hospitals टाटा समूह की टाटा एडवांस सिस्टम और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स कंपनी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए देश के सभी जिला अस्पतालों में प्रेशर स्विंग एडोर्सन (पीएसए) सिस्टम को विकसित कर रही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 06:20 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 06:20 PM (IST)
आक्सीजन परिवहन के झंझट से जल्द मिलेगी मुक्ति, जानिए क्या हो रही तैयारी
आक्सीजन परिवहन को लेकर उत्पन्न होने वाले झंझट से मुक्ति मिलेगी।

जमशेदपुर, जासं। कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण के कारण इन दिनों गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है । हालांकि टाटा समूह देश के उन शहराें को हर दिन 800 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहा है जहां इसकी सबसे ज्यादा किल्लत है। इसके बावजूद केंद्र सरकार अब इसके लिए स्थायी समाधान की तैयारी कर रही है।

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केंद्र सरकार की ओर से टाटा समूह की टाटा एडवांस सिस्टम और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स कंपनी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए देश के सभी जिला अस्पतालों में प्रेशर स्विंग एडोर्सन (पीएसए) सिस्टम को विकसित कर रही है। इसकी एक यूनिट को विकसित करने में 75 लाख रुपये की लागत आएगी। जिसे पूरा होने में भी तीन माह का समय लगेगा। ऐसे में केंद्र सरकार ने ऐसे 450 यूनिट को स्थापित करने का टेंडर जारी किया है। टाटा समूह देश द्वारा विभिन्न शहरों में 450 पीएसए विकसित करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया गया है जबकि शेष 50 यूनिट बाद में तैयार किए जाएंगे। हालांकि इसे तैयार होने में तीन माह का समय लगेगा। केंद्र सरकार ने कुछ 500 पीएसए या ऑन साइट ऑक्सीजन जेनरेट इकाइयों का आदेश दिया है और शेष 51 को अगले कुछ दिनों में स्थापित किए जाएंगे।

टेंडर को अंतिम रूप देने में हुइ देरी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 150 जिला अस्पतालों के लिए अक्टूबर 2020 में ही पीएसए के लिए निविदा निकाली थी लेकिन इनमें से अधिकांश यूनिट स्थापित नहीं हो पाए हैं। 18 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय के एक ट्वीट के अनुसार, केंद्र द्वारा 162 पीएसए संयंत्र स्वीकृत किए गए थे। हालांकि एक अधिकारी ने स्वीकार किया, मंत्रालय ने टेंडर को अंतिम रूप देने में देरी की।

परिवहन के झंझट से मिलेगी मुक्ति

पौधे वायुमंडलीय हवा से ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं, जिसे शुद्ध किया जाता है और रोगियों को पाइप के माध्यम से आपूर्ति की जाती है। ऐसे ऑक्सीजन के लिए 99.5 प्रतिशत शुद्धता होना आवश्यक है। वायु में 21 प्रति ऑक्सीजन, 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.9 प्रतिशत आर्गन और 0.1 प्रतिशत अन्य ट्रेस गैसें होती हैं। एक ऑक्सीजन जेनरेटर इस ऑक्सीजन को अलग कर पीएसए नामक एक अनोखी प्रक्रिया के माध्यम से अलग करता है। हालांकि ये इकाइयां अस्पताल परिसर के भीतर ही स्थापित की जाएंगी और परिवहन को लेकर उत्पन्न होने वाले झंझट से भी मुक्ति मिलेगी।  हालांकि, सभी रोगियों का इलाज भी अलग-अलग होता है। स्थिति की गंभीरता के आधार पर ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता होती है।

लिंडे इंडिया और प्रैक्सेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड भी कर रही काम

इसके अलावा लिंडे इंडिया और प्रैक्सेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपने ऑपरेशन क्षेत्र में ऑक्सीजन आपूर्ति की चुनौतियों को कम करने के लिए साझेदार अस्पतालों में भी पीएसए स्थापना के काम को शुरू किया है। साथ ही जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज, जूनागढ़, गुजरात में 20 किलो लीटर का टैंक स्थापित किया है। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, लखनऊ में एक और 20 किलो लीटर का टैंक स्थापित किया गया है।


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