पद्मभूषण एन चंद्रशेखरन, सुंदर पिचई व सत्य नडेला, जानिए इन हस्तियों से संघर्ष से सफलता तक की दास्तां
Padma Bhushan भारत ने सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी तिरंगा की शान बढ़ाने वाले भारतीयों को सम्मानित किया है। टाटा समूह के एन चंद्रशेखरन गूगल के सुंदर पिचाई व माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला तक का नाम इस सूची में शामिल हैं। जानिए उनके संघर्ष की कहानी...
जमशेदपुर। टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, स्वदेशी COVID-19 वैक्सीन डेवलपर भारत बायोटेक के संस्थापक – कृष्णा एला और सुचित्रा एला, साइरस पूनावाला के साथ एक अन्य वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के अध्यक्ष को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
पद्म भूषण माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्या नडेला और अल्फाबेट और गूगल के सुंदर पिचाई को भी दिया गया। एन चंद्रशेखरन, सत्या नडेला व सुंदर पिचई तीनों अलग-अलग क्षेत्र से आते हैं, लेकिन तीनों में एक समानता है। तीनों हस्तियां साधारण परिवार से आते हैं, और अपनी प्रतिभा के बलबूते विश्व फलक पर नाम रोशन किया। आइए जानते हैं, उनके जीवन के बारे में
एन चंद्रशेखरन: टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन होल्डिंग कंपनी और टाटा समूह की सभी कंपनियों के प्रमोटर, समूह का नेतृत्व करते हैं, जो $ 110 बिलियन से अधिक के कुल वार्षिक राजस्व के साथ 10 व्यावसायिक वर्टिकल में मौजूद है।
वह अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए थे और फर्म में 30 साल के व्यावसायिक करियर में वैश्विक आईटी समाधान और परामर्श फर्म टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का नेतृत्व करने के बाद जनवरी 2017 में अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। चंद्रशेखरन ने टीसीएस में साधारण इंटर्न के रूप में ज्वाइन किया था और बाद में उसी कंपनी के एमडी बने। उनकी प्रतिभा को देखते हुए रतन टाटा ने चंद्रशेखरन को टाटा समूह की जिम्मेवारी सौंपी।
सत्या नडेला: वैश्विक तकनीकी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सत्य नडेला 1992 में कंपनी में शामिल हुए थे। फरवरी 2014 में सीईओ नामित होने से पहले उन्होंने कंपनी में उद्यम और उपभोक्ता व्यवसायों दोनों में नेतृत्व की भूमिका निभाई।
सत्य नारायण नडेला का जन्म 17 अगस्त 1967 को हैदराबाद में हुआ था। उनकी मां प्रभावती एक संस्कृत व्याख्याता थीं, और उनके पिता, बुक्कापुरम नडेला युगंधर, 1962 बैच के आईएएस अधिकारी थे। 1988 में कर्नाटक में मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक प्राप्त करने से पहले, नडेला ने हैदराबाद पब्लिक स्कूल, बेगमपेट में अध्ययन किया। फिर वे विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान में एमएस के लिए अध्ययन करने के लिए अमेरिका चले गए। 1990 में डिग्री हासिल की। बाद में, उन्होंने 1997 में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया।
वह वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट के कार्यकारी अध्यक्ष और सीईओ हैं, 2014 में स्टीव बाल्मर के बाद सीईओ और 2021 में जॉन डब्ल्यू थॉम्पसन के अध्यक्ष के रूप में। सीईओ बनने से पहले, वह माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड और एंटरप्राइज ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष थे, जो कंपनी के कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए जिम्मेदार थे। वह फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के न्यासी बोर्ड और शिकागो विश्वविद्यालय के अपने अल्मा मेटर के साथ-साथ स्टारबक्स बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स भी रह चुके हैं।
सुंदर पिचाई: अल्फाबेट इंक और इसकी सहायक कंपनी गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का जन्म चेन्नई में हुआ था। वह 2004 में Google में शामिल हुए, जहां उन्होंने Google के कई उत्पादों के लिए उत्पाद प्रबंधन और नवाचार प्रयासों का नेतृत्व किया।
10 जून, 1972 को मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मे, पिचाई सुंदरराजन - जिन्हें सुंदर पिचाई के नाम से जाना जाता है - ने मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में IIT खड़गपुर से डिग्री हासिल की। अमेरिका जाने के बाद, उन्होंने सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमएस की उपाधि प्राप्त की और आगे पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए की उपाधि प्राप्त की। पिचाई ने अपने करियर की शुरुआत मैटेरियल इंजीनियर के तौर पर की थी। मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मैकिन्से एंड कंपनी में एक छोटे से कार्यकाल के बाद, वह 2004 में Google में शामिल हो गए।
पहले सीईओ लैरी पेज द्वारा उत्पाद प्रमुख नियुक्त किए जाने के बाद, पिचाई को 10 अगस्त, 2015 को Google के अगले सीईओ के रूप में चुना गया था। उन्हें 2017 में अल्फाबेट बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नियुक्त किया गया था। उन्हें 2016 और 2020 में टाइम की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की वार्षिक सूची में शामिल किया गया था। पिचाई की शादी अंजलि पिचाई से हुई है और उनके दो बच्चे हैं। वह क्रिकेट और फुटबॉल के शौकीन हैं।
कृष्णा और सुचित्रा एला: भारत बायोटेक की सफलता के पीछे कृष्णा एला (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक) और सुचित्रा एला (सह-संस्थापक और संयुक्त प्रबंध निदेशक) का हाथ है, जिन्होंने स्वदेशी COVID-19 वैक्सीन Covaxin विकसित किया है।
आणविक जीव विज्ञान में एक शोध वैज्ञानिक, कृष्णा एला और सुचित्रा एला ने 1996 में भारत बायोटेक की स्थापना की थी। अमेरिका से लौटने के बाद नए-नए टीके और जैव-चिकित्सीय बनाने के लिए दोनों ने मिलकर कंपनी की स्थापना की थी। आज भारत बायोटेक का नाम दुनिया भर में लिया जा रहा है।
साइरस पूनावाला: साइरस एस पूनावाला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता हैं। कंपनी दुनिया भर में वैक्सीन की सप्लाई करती है। अबतक कोविड से लेकर पोलियो व डिप्थीरिया की 1.5 बिलियन से अधिक खुराक सप्लाई कर चुकी है। इसमें टेटनस, पर्टुसिस, हिब, बीसीजी, आर-हेपेटाइटिस बी, खसरा के टीके भी शामिल है।
अनुमान है कि दुनिया में लगभग 65% बच्चों को पुणे स्थित कंपनी द्वारा निर्मित कम से कम एक टीका प्राप्त होता है। SII और भारत बायोटेक दोनों ने COVID-19 महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई में भूमिका निभाई है, साथ ही भारत को दुनिया भर के विभिन्न देशों में टीकों की आपूर्ति करने में सक्षम बनाया है।