Tata Digital है भविष्य का TCS, चेयरमैन व प्रबंध निदेशक राजेश गोपीनाथन ने बताया
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक राजेश गोपीनाथन का मानना है कि आने वाले समय डिजिटल का है। ऐसे में आज जिस मुकाम पर टीसीएस है भविष्य में उसी मुकाम पर टाटा डिजिटल होगा। पढ़िए राजेश गोपीनाथन ने और क्या-क्या कहा...
जमशेदपुर, जासं। टाटा समूह की सबसे लाभदायक कंपनी टाटा कंसल्टेंसी दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की कर रही है। यह कैसे हो रहा है, बता रहे हैं टीसीएस के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक राजेश गोपीनाथन
गोपीनाथन बताते हैं कि हम वी-आकार में उड़ रहे हैं, जिसमें सामने वाला यानी लीडर पीछे वाले पक्षियों के लिए रास्ता बनाता है।
कुछ समय बाद लीडर का स्थान वो ले लेंगे, जो आज पीछे चल रहे हैं। समय का चक्र इसी तरह चलता है। आज जो बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, वे दूसरों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। आज जो टाटा डिजिटल की नींव रख रहे हैं, शायद वही 20 साल बाद लीडर की भूमिका में होंगे। जब मैं 1990 के दशक में शामिल हुआ, तो टाटा स्टील और टेल्को (अब टाटा मोटर्स) अग्रणी थे। किसने सोचा था कि टीसीएस आगे निकल जाएगी।
भारत में फार्मा सेक्टर का हो रहा शोषण
गोपीनाथन कहते हैं कि मेरी समझ से भारत में फार्मा सेक्टर का दोहण हो रहा है। कोविड -19 महामारी ने दिखाया कि बाजार सबके लिए व्यापक रूप से खुला है। फार्मा फिर से एक प्रमुख क्षेत्र बन गया है। मुझे नहीं लगता कि हमने उन कंपनियों के साथ न्याय किया, जो वर्तमान में हैं।
टाटा डिजिटल में टीसीएस कैसी भूमिका निभा रहा
आंतरिक रूप से हमारी एक विश्वसनीय भूमिका है, लेकिन हमारे विकास और प्रौद्योगिकी भागीदार के दृष्टिकोण से वे भी अधिक से अधिक आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं, जिनका इसमें अधिग्रहण किया गया है। अब वे ज्यादा स्वतंत्र महसूस कर रहे हैं, जबकि शुरुआत में टीसीएस बड़ी भागीदार थी।
पांच वर्ष में टीसीएस कितनी बदली
राजेश गोपीनाथन कहते हैं कि ये पांच साल रोलर कोस्टर (हिचकोले वाले) रहे। पहला वर्ष यह सुनिश्चित करने पर था कि हम आंतरिक रूप से कैसे स्थिर हों। हम ग्राहकों से मिले और उन्हें विश्वास दिलाया कि कुछ भी नहीं बदला है। यह सिर्फ एक नेतृत्व परिवर्तन है। टाटा संस के चेयरमैन बने एन चंद्रशेखरन से पदभार ग्रहण करने के बाद पिछले करीब दो साल कोरोना महामारी से जूझे। इसके बावजूद हम चीजों को आगे बढ़ाने में भी कामयाब रहे। यह इसी वजह से संभव हुआ कि हम पहले से उन चीजों को आगे बढ़ा रहे थे, जो अब काम आ रही हैं। हम कौन हैं, यह नहीं भूले।
सर्विस सेक्टर का भविष्य कैसा लग रहा
इतिहास में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो कहे कि सर्विस सेक्टर या कंसल्टेंसी हमेशा लाभदायक बना रहेगा। इसके लिए आवश्यक है कि हम ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण बने रहें। ग्राहकों की आवश्यकता को समझते रहता और उस समस्या का समाधान खोजना ही एकमात्र विकल्प होगा। जो भी इस पेशे में इसका ख्याल रखेगा, बरकरार रहेगा।
बाधाओं को पार करना ही सफलता की सीढ़ी
एक समय जब ऑटोमेशन आया तो सबने यही कहा कि यह मौजूदा कार्यप्रणाली को समाप्त कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसने नया बाजार विकसित कर दिया। इसी तरह डिजिटल आया है, जो मौजूदा अर्थतंत्र को खत्म करने की बजाय नए सांचे में ढाल रहा है। बस आपको लचीला बने रहना होगा। बाधाओं से घबराने की बजाय जो लहरों की सवारी करना जाता है, उसे कहीं रूकावट नहीं आएगी।
वर्क फ्रॉम होम से कोई महत्वपूर्ण बचत होती है या नहीं
थोड़े समय के लिए इसमें बचत दिखती है, लेकिन लंबे समय में नहीं। हमें अपने कार्यालयों को खुले सहयोग क्षेत्र के रूप में बदलने की आवश्यकता है। नए कार्यालयों में हम इन्हीं सिद्धांतों को लाने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तविक लाभ लोगों को एक सामान्य प्रतिभा के रूप में सोचने से मिलता है। हम टीमों को स्थान पर निर्भर मानते हैं। यदि आप प्रतिभा को एक सामान्य पूल मानते हैं, तो प्रतिभा का उत्थान काफी अधिक हो जाता है। आप किसी भी प्रोजेक्ट को तेजी से शुरू कर सकते हैं।
हम लोगों को उड़ाएंगे और होटलों के लिए भुगतान करेंगे। किसी ने सोचा नहीं होगा कि 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी कार्यालय में नहीं रहेंगे, तो भी चीजें कैसे सुचारू होंगी। यह अब दिख रहा है। गोपीनाथन कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि किसी संगठन ने सोचा होगा कि यह परिवर्तन इतने सहज रूप से किया जा सकता था जितना वास्तव में हुआ। महामारी की घटना ने जोखिम की धारणा को बदल कर रख दिया। जोखिम लेने का माद्दा अधिकतर लोगों में आया, यही रवैया बदलाव का सबसे बड़ा प्रवर्तक था। एक बार जब आपने काम करना शुरू कर दिया, तो कई आशंकाएं निराधार निकलीं।