टाटा कमिंस में कर्मीपुत्रों के निबंधन पर अड़ी यूनियन
टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन कर्मचारी पुत्रों के निबंधन पर अड़ी हुई है। प्रबंधन- यूनियन के बीच हुई कई दौर की वार्ता के बावजदू इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। इसी मुद्दे को लेकर कर्मचारियों के ग्रेड की गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही है।
जासं, जमशेदपुर : टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन कर्मचारी पुत्रों के निबंधन पर अड़ी हुई है। प्रबंधन- यूनियन के बीच हुई कई दौर की वार्ता के बावजदू इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। इसी मुद्दे को लेकर कर्मचारियों के ग्रेड की गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही है।
कर्मचारियों का ग्रेड एक अप्रैल-2019 से लंबित है। इस पर कई दौर की वार्ता भी हुई है। लेकिन यूनियन का कहना है कि जब तक कर्मीपुत्रों के निबंधन मामले का निपटारा नहीं हो जाता, ग्रेड के किसी अन्य मामले पर बातचीत नहीं होगी। कंपनी के यहां के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर अपने हाथ खड़े कर दिए। इसी वजह से टाटा कमिंस कर्मियों का ग्रेड का मामला लटका हुआ है।
बीते दिनों यूनियन अध्यक्ष राजेंद्र सिंह के शहर आने पर यूनियन नेता उनसे मिलकर अपनी बातें रखी। कहा कि टाटा मोटर्स समेत कई कंपनियों में कर्मचारी पुत्रों का निबंधन होता है। इसके आधार पर उन्हें नौकरी मिलती है। इस पर राजेंद्र सिंह ने यूनियन नेताओं को दिलासा दिया कि वे इस मुद्दे पर प्रबंधन के वरीय अधिकारियों से बातचीत कर कर्मचारी हित में काम करेंगे।
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इनसेट
टाटा कमिंस में नहीं बढ़ेगा ब्लॉक-क्लोजर के दिन
चालू वित्तीय वर्ष में टाटा कमिंस में 18 दिन के ब्लॉक-क्लोजर को बढ़ाने को लेकर कंपनी प्रबंधन व यूनियन के बीच मंगलवार को हुई वार्ता विफल हो गई। यूनियन की स्टीयरिग कमेटी के सदस्यों ने एक स्वर में प्रबंधन के उस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। इसमें ब्लॉक-क्लोजर के दिन बढ़ाने का प्रस्ताव था। कंपनी प्रबंधन ने कहा कि वैश्विक मंदी की वजह से कंपनी में उत्पादन कम हो रहा है। ऑर्डर में कमी हुई है, तो उत्पादन भी आधे से कम हो गया है। ऐसे में टाटा मोटर्स की तरह यहां भी क्लोजर के दिन बढ़ाने होंगे। यूनियन ने स्पष्ट रूप से क्लोजर के दिन बढ़ाने की मनाही कर दी। कहा कि ब्लॉक-क्लोजर कोई स्थायी समाधान नहीं है, ऐसे में इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, जिसमें यूनियन हरसंभव मदद करेगी।
मालूम हो कि निर्धारित 18 दिन का ब्लॉक-क्लोजर पूरा हो गया है। 18वा ब्लॉक क्लोजर बीते एक नवंबर को था। वार्ता में प्रबंधन की ओर से एचआर-आइआर हेड दीप्ति महेश्वरी समेत अन्य अधिकारी भी शामिल रहे।