Tata Bluescope में बोनस फार्मूले पर नहीं बन रही सहमति, जानिए कहां फंसा है पेच
जमशेदपुर के टाटा ब्लूस्कोप कंपनी में बोनस फार्मूले पर सहमति नहीं बन रही है। पिछले साल से फार्मूले पर वार्ता का दौर जारी है। कई दौर की वार्ता के बावजूद समाधान नहीं हुआ है। प्रबंधन बडा है वही यूनियन बैकफूट पर है। ये रही पूरी जानकारी।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील व टिनप्लेट में बोनस होने के बाद यहां टाटा ब्लूस्कोप में भी प्रबंधन-यूनियन की सक्रियता बढ़ गई है। बीते सोमवार से लगातार ब्लूस्कोप प्रबंधन व यूनियन के बीच वार्ता हो रही है लेकिन अभी तक फार्मूले पर सहमति नहीं बन पाई है। शनिवार को भी प्रबंधन-यूनियन के बीच बोनस पर वार्ता हुई लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। प्रबंधन बीते साल की तरह इस बार भी बोनस करने के पक्ष में है। वह यूनियन के फार्मूले पर तैयार नहीं है।
पिछले साल से फार्मूले बनाने की शुरू है कवायद
टाटा ब्लूस्कोप में बीते साल 2020 से ही बोनस फार्मूले बनाने की बात हाे रही है। कई दौर की वार्ता के बावजूद यूनियन के फार्मूले पर प्रबंधन तैयार नहीं हो रहा है। यूनियन टाटा समूह की अन्य कंपनियों की तर्ज पर यहां भी फार्मूले बनाने का प्रस्ताव दिया है। उत्पादन-उत्पादकता, गुणवत्ता व सुरक्षा को मापदंड मानते हुए फार्मूले बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन प्रबंधन उत्पादन-उत्पादकता को देखते हुए ही बोनस की राशि देने की बात कर रहा है। वह बीते साल की तरह इस बार भी कर्मचारियों को बोनस देना चाहता है, जो यूनियन को मंजूर नहीं है।
बीते साल की अपेक्षा बेहतर हुआ है लाभ
कंपनी को बीते साल की अपेक्षा बहुत ज्यादा मुनाफा हुआ है। यूनियन उसी लाभ का आकलन करते हुए बोनस देने की मांग कर रही है। वह फार्मूले में कंपनी का लाभ शामिल करते हुए कर्मचारी हित में समझौता करने की मांग कर रही है। बीते साल कर्मचारियों को 35 करोड़ बोनस मद में मिला था,उसी के आसपास प्रबंधन इस बार बोनस देने को तैयार है। लेकिन यूनियन के उस प्रस्ताव को प्रबंधन ने सिरे से खारिज कर दिया है। अब यूनियन बैकफूट पर आ गई है, कर्मचारियों की मांग को देखते हुए वह भी अब कड़ा रूख अख्तियार करने के मूड में है।