Ratan Tata, Adani : यूपी विधानसभा चुनाव के पहले टाटा-अडानी में जंग, तीसरी बार भिड़ेंगे
UP Chunav 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के रण में योगी आदित्यनाथ अखिलेश यादव से लेकर प्रियंका गांधी तक खम ठोक रहे हैं वहीं दूसरी ओर रतन टाटा व गौतम अडानी में भी ठन गई है। यूपी की बिसात पर तीसरा बार दोनों आमने-सामने हैं। जानिए क्या है मामला...
जमशेदपुर, जासं। यूपी विधानसभा चुनाव के पहले टाटा व अडानी में ठन गई है। दोनों कंपनियां साउथ ईस्ट यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी के लिए कड़ी लड़ाई में तीसरी बार बोली लगाएंगे। पिछले दो दौर के अनिर्णायक होने के बाद से ऋणदाताओं ने एक और दौर की बोलियों के लिए बुलाया था।
टाटा पावर ने अदानी को पिछले दौर में ऋणदाताओं को 3,700 करोड़ रुपये के ऋण की शत प्रतिशत वसूली की पेशकश की थी। उस समय अदानी की बोली थोड़ी ही कम थी। सशर्त होने के कारण टाटा की बोली रद कर दी गई। टाटा और अडानी ने पहले अगस्त, फिर 30 अक्टूबर को बोलियां जमा की थीं। अब अंतिम दौर की बोली जनवरी के अंत में होनी है।
टाटा ने ऋणदाताओं से इस आधार पर विचार करने का अनुरोध किया है कि यह पिछले दौर में सबसे अधिक बोली लगाने वाला था और उसे सर्वोत्तम बोली से मेल खाने का मौका मिलना चाहिए। हालांकि, उस अनुरोध को ठुकरा दिया गया है।
वेदांता समूह की कंपनी रहेगी बाहर
पिछली बार की बोली में शामिल वेदांता समूह की कंपनी स्टरलाइट पावर, पावर ग्रिड कारपोरेशन आफ इंडिया और आरईसी पीडीसीएल आदि थीं, जो इस बार बोली से बाहर रहेंगी। ऐसा कहा जा रहा है कि ये कंपनियां बोली नहीं लगाएंगी। हालांकि बोली लगाने को लेकर टाटा पावर, अदानी और साउथ ईस्ट यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रतिनिधि ने अब तक कोई टिप्पणी या प्रतिक्रिया नहीं दी है। यूपी पावर के रिजोल्यूशन प्रोफेशनल शैलेश वर्मा ने 18 फरवरी 2021 को संभावित बोलीदाताओं को कंपनी खरीदने के लिए रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) जमा करने का निमंत्रण जारी किया था।
आठ पक्षों ने दिखाई थी रुचि
यूपी पावर की बोली लगाने के लिए टोरेंट पावर, मेघा इंजीनियरिंग और एक सॉवरेन वेल्थ फंड ने भी मार्च में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जमा किया था। लेकिन अंतत: सभी ने बोली नहीं लगाई साउथ ईस्ट यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवाला और दिवालियापन कोड (आईबीसी) की कार्यवाही के लिए याचिका दाखिल की थी, क्योंकि यह ग्रामीण विद्युतीकरण निगम, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, बैंक ऑफ इंडिया और एक्सिस सहित ऋणदाताओं के एक समूह को ऋण पर चूक करने के बाद बैंक को राशि नहीं लौटाई।
इसके मालिक ग्रुपो इसोलक्स कोर्सन द्वारा स्पेन में दिवालियेपन के लिए दायर किए जाने के बाद कंपनी वित्तीय संकट में पड़ गई। मैड्रिड स्थित इसोलक्स कोर्सन ने जुलाई 2011 में उत्तर प्रदेश में 1,600 किलोमीटर में फैले बिजली नेटवर्क के निर्माण और संचालन के लिए 35 साल की रियायत हासिल की थी। विशेषज्ञों ने कहा कि ट्रांसमिशन क्षेत्र में निवेश के अवसरों की कमी कंपनी के लिए प्रतिस्पर्धा की तीव्रता की व्याख्या करती है। बिजली वितरण क्षेत्र में निजी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी महज पांच प्रतिशत है।