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आदिवासी व्यंजनों को इंटरनेशनल टच, चींटी की चटनी के कहने ही क्या

ताज ग्रुप पिछले दस वर्षों से देश के फूड हेरीटेज को विकसित करने का काम कर रही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 04:33 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 04:33 PM (IST)
आदिवासी व्यंजनों को इंटरनेशनल टच, चींटी की चटनी के कहने ही क्या
आदिवासी व्यंजनों को इंटरनेशनल टच, चींटी की चटनी के कहने ही क्या

जमशेदपुर,जेएनएन। ताज ग्रुप की इंडियन कंपनी होटल लिमिटेड आदिवासी व्यंजनों को इंटरनेशनल टच दे रही है। आदिवासी घरों में बनने वाले पकवान जैसे रागी मफीन, मडवा मोमो (वेज-नॉनवेज), चने की सब्जी और धनिया की चटनी के साथ पारंपरिक तरीके से बने चावल दुस्का, चिकन भाग, कोयले पर पके हुए जिल पराठा, पोक पीठा, गुड़ पीठा, चीनी पीठा और गोंडली खीर पूर्वी सिंहभूूम के जमशेदपुर के गोपाल मैदान में आयोजित संवाद में लगे स्टॉल में परोसे जा रहे हैं। 

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इन सभी पकवानों को आदिवासी समुदाय से जुड़े महिला व पुरुष ही तैयार कर रहे हैं लेकिन इसे हाइजीन बनाने, परोसने और सजाने के लिए ताज ग्रुप के शेफ पिछले 30 दिनों से प्रशिक्षण दे रहे हैं। 

फूड हेरीटेज ऑफ कंट्री पर काम कर रहा है ताज

ताज ग्रुप की सीएसआर हेड फोरम नागौरी बताती हैं कि ताज ग्रुप पिछले दस वर्षों से देश के फूड हेरीटेज को विकसित करने का काम कर रही है। गुजरात से लेकर गोवा तक के कोस्टल एरिया में जितने भी तरह के पकवान हैं उसे बेंगलुरु स्थित करावली व मुंबई स्थित कोंकण कैफे में परोसा जा रहा है। वे बताती हैं कि ताज ग्रुप और टाटा स्टील मिलकर पिछले दो वर्षों से झारखंड के आदिवासी व्यंजनों पर काम कर रहे हैं। कुछ आदिवासी महिलाएं पिछले दिनों ताज बंगाल जाकर प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुकी हैं।

पीठा और चींटी की चटनी के भी दीवाने 

गोपाल मैदान में आदिवासी व्यंजनों के दस स्टॉल लगाए गए हैं। करनडीह की संचिता महिला समिति द्वारा लगाए गए स्टॉल में गुड पीठा, चावल व मुर्गे से बने जील पीठा, घोंघी, चावल और आदिवासी मसालों से बने रोकज पीठा, चावल आटा को भाप में पकाकर तैयार किए गए डुम्बू पीठा सहित चींटी की चटनी-हाव को शहरवासी स्वाद लेकर खा रहे हैं। तुलसी हेम्ब्रम बताती हैं कि वे पहली बार संवाद में आई हैं और उनके व्यंजनों की यहां काफी डिमांड है।

खूब बिक रहे हैं रागी जूस व चाउमिन 

कलिंगानगर से आए मां मूंगडा स्वयं सहायता समूह द्वारा गोपाल मैदान में पहली बार रागी से बने जूस और चाउमिन बेचा जा रहा है। सरसो से भी छोटे दाने वाले रागी को पीसकर इसमें गाजर व शिमला मिर्च को मिलाकर जूस बनाया गया है। समिति की सदस्य तुलसी हेम्ब्रम का दावा है कि कैल्शियम से भरपूर इस जूस को पीने से वजन कम होगा। शरीर को फाइबर तो मिलेगा ही साथ ही मधुमेह व स्ट्रोक के खतरे को भी कम करेगा। 

आदिवासी भेल के भी हैं कदरदान

गोपाल मैदान में ममांगो ब्रांड करनडीह द्वारा काले चने, मूंग, मूढही से भेल तैयार किया जा रहा है जिसे शहरवासी खूब चाव से खा रहे हैं। इसके अलावे यहां मसाला चाय, तंदूरी चाय, चॉकलेट चाय, लेमन टी, ग्रीन टी, अदरक व तुलसी से बनी चाय, दम व इलाइची चाय भी परोसा जा रहा है। 


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