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मैकेनोकेमिस्ट्री रसायन शास्त्र का हिस्सा, इसके अनेक तकनीकी फायदे

जागरण संवाददाता जमशेदपुर मैकेनोकेमिस्ट्री दरअसल केमिस्ट्री का ही एक भाग है। कुछ उसी त

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 08:02 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 08:02 AM (IST)
मैकेनोकेमिस्ट्री रसायन शास्त्र का हिस्सा, इसके अनेक तकनीकी फायदे
मैकेनोकेमिस्ट्री रसायन शास्त्र का हिस्सा, इसके अनेक तकनीकी फायदे

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मैकेनोकेमिस्ट्री दरअसल केमिस्ट्री का ही एक भाग है। कुछ उसी तरह जैसे इलेक्ट्रो केमिस्ट्री व फोटो केमिस्ट्री हैं। मैकेनोकेमिस्ट्री के अनेक तकनीकी फायदे हैं। उक्त बातें कीयो यूनिवर्सिटी जापान के प्रोफेसर एम सेन्ना ने कहीं। वे शुक्रवार को राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला में रीसेंट डेवलपमेंट्स इन मिनरल प्रोसेसिंग एंड मैकेनिकल एक्टिवेशन ऑफ सॉलिड विषयक माइक्रो सिम्पोजियम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मैकेनोकेमिस्ट्री के बेसिक से लेकर विस्तार से चर्चा करते हुए सॉलिड के केमिकल प्रोसेस की व्याख्या की। सिम्पोजियम में देशभर से सात आमंत्रित वक्ताओं सहित 60 विशेषज्ञ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान तीन तकनीकी सत्रों में आइआइटी खड़गपुर, सीएसआइआर-आइएमएमटी, टाटा स्टील, आशापूरा मिनरल्स, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनिय¨रग एंड सेरेमिक टेक्नोलोजी कोलकाता, एमएनआइटी भोपाल, सीएसआइआर-एनएमएल, टीआरडीडीसी पुणे, सीआइएमएफआर धनबाद के अलावा विभिन्न सीएसआइआर प्रयोगशालाओं व इंजीनिय¨रग कॉलेजों से आए डेलीगेट्स ने शिरकत की।

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अतिथियों का स्वागत करते हुए एनएमएल के निदेशक डॉ. इंद्रनील चट्टोराज ने कहा कि देश-विदेश के विशेषज्ञों के विचार इस सिम्पोजियम को सही मायने में उपयोगी बनाएंगे। इस दौरान जिन विषयों पर मुख्य रूप से चर्चा की गई उनमें खनिजों-ओर की विशेषताएं, खनिज प्रोसेसिंग का मैकेनिकल एक्टिवेशन, खनिज प्रोसेसिंग का बॉयोप्रोसेसिंग, ठोस कचरे के उपयोग का इनोवेटिव तरीका आदि शामिल थे। प्रारंभ में सिम्पोजियम का उद्घाटन एनएमएल के निदेशक डॉ. इंद्रनील चट्टोराज, आइआइएमई के वाइस प्रेसीडेंट डॉ. एके मुखर्जी, आइआइटी खड़गपुर के प्रो. इंद्रनील मन्ना, कीयो यूनिवर्सिटी जापान के प्रो. एम सेन्ना, एनएमएल के पूर्व निदेशक डॉ. एस श्रीकांत, डॉ. संजय कुमार, डॉ. टीसी एलेक्स आदि ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया। आयोजन में मैटीरियल रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल इंजीनिय¨रग की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


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