Coronavirus Vaccination in Jamshedpur Jharkhand : सुषमा की आंखें पीएम का भाषण सुनकर भर आईंं , कहा-हमने देखी है मां की तड़प
Coronavirus Vaccination . प्रधानमंत्री के भाषण को सभी ने बहुत ध्यान से सुना। जब प्रधानमंत्री ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता (मानव जब जोर लगाता है तो पत्थर पानी बन जाता है) सुनाया तो स्वास्थ्य कर्मियों का हौसला दोगुना बढ़ गया।
जमशेदपुर, जासं। सुबह सात बजे जब स्वास्थ्य कर्मी महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज पहुंचने लगे तो उनके मन में एक सवाल चल रहा था। डॉक्टर, नर्स व सफाई कर्मी सभी अपने-अपने ढंग से सोच-विचार रहे थे। कोई चेचक महामारी के बाद आए टीका का याद दिला रहा था तो कोई पोलियो के टीका का। लेकिन, इन सारी भ्रांतियों, संशय और डर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूर कर दिया। पलभर में माहौल बदल गया और स्वास्थ्य कर्मियों का उत्साह बढ़ गया।
शनिवार की सुबह 10.30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से ऑनलाइन दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया। जमशेदपुर में इसके लिए महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) को चिन्हित किया गया था। मुख्य कार्यक्रम एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आयोजित किया गया था जहां पर टू वे कम्युनिकेशन सेंटर भी बनाया गया था ताकि प्रधानमंत्री अगर किसी लाभुक से बात करना चाहें तो उसके माध्यम से किया जा सके। लेकिन, मौका नहीं मिल सका। इस दौरान एमजीएम कॉलेज में दो जगहों पर एलइडी स्क्रीन लगाया गया था। एक जगह पर डीसी सूरज कुमार, सिविल सर्जन डॉ. आरएन झा, एमजीएम प्रिंसिपल डॉ. पीके बारला, एसीएमओ डॉ. साहिर पाल, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. एके लाल, जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ. बीएन उषा सुन रहे थे तो वहीं, दूसरी जगह पर लगभग 100 स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। इनमें डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन व सफाई कर्मी शामिल थे।
सफाईकर्मी एलिस बोदरा को लगा पहला टीका
प्रधानमंत्री का भाषण लगभग 11 बजे खत्म हुआ। उसके बाद उन्होंने वैक्सीन लांच किया। इसके बाद एमजीएम कॉलेज में पहला टीका 11.45 बजे सफाई कर्मी एलिस विश्वासी बोदरा को दिया गया। इसके बाद बारी-बारी से सभी लोगों को दिया गया। टीका लेने के बाद सभी को प्रमाण पत्र दिया गय। अधिकांश कर्मचारियों ने टीका लेने के बाद वापस काम पर लौट गए। कार्यक्रम में डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. एनके सिन्हा, डॉ. रीता चौहान, डॉ. गौरी भादुड़ी, डॉ. जीसी माझी, डॉ. बलराम झा, डॉ. रतन कुमार, डॉ. एसके चौहान, डॉ. एएन मिश्रा, डॉ. उमाशंकर प्रसाद, डॉ. प्याली गुप्ता, डॉ. असद सहित सैकड़ों चिकित्सक शामिल थे।
प्रधानमंत्री का भाषण खत्म होते ही बढ़ गया उत्साह
प्रधानमंत्री के भाषण को सभी ने बहुत ध्यान से सुना। जब प्रधानमंत्री ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता (मानव जब जोर लगाता है तो पत्थर पानी बन जाता है) सुनाया तो स्वास्थ्य कर्मियों का हौसला दोगुना बढ़ गया। उनके मन में चल रहे सारे सवाल दूर हो गए और कहने लगे कि वाकई पूरा देश एकजुट होकर कोरोना जैसे महामारी के खिलाफ मजबूती से लड़ा और अब जीत की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज की डॉ. प्याली गुप्ता ने कहा कि जिस वक्त हमारे देश में कोरोना की इंट्री हुई तब भारत में सिर्फ एक लैब जांच के लिए था। जमशेदपुर में एक भी नहीं था। लेकिन, अब शहर में ही लगभग पांच लैब हो गए है। इसी तरह, पीपीई किट भी नहीं था और बाजार से मास्क भी गायब हो गया। सरकारी अस्पतालों में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए वेंटिलेटर भी नहीं था। अब एमजीएम अस्पताल में 15 वेंटिलेटर मौजूद है। वहीं, सिविल सर्जन कार्यालय को 15 वेंटिलेटर उपलब्ध कराया गया है, जिसे सदर अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगाया जाएगा।
भर आई सुषमा की आंखें, कहा-हमने देखी है मां की तड़प
जब प्रधानमंत्री ने मां-बेटा की कहानी सुनाते हुए कहा कि याद कीजिए वह समय जब मां परेशान रहती थी, रोती थी लेकिन चाह कर भी वे अपने बेटे को छू नहीं पाती थी और न ही गोद ले पाती थी। इस दौरान एमजीएम अस्पताल की नर्स सुषमा केसी की आंखें भर आई। उनके साथ और भी नर्सें मौजूद थी, जो पीएम के कथन को सही ठहरा रही थी। सुषमा केसी एमजीएम अस्पताल में तैनात हैं और यहां कोविड वार्ड भी संचालित होता है, इसलिए वे पीएम की बात को बहुत गहराई से समझ रही थी। सुषमा ने कहा कि कोरोना ने किस तरह से मां-बेटा, बाप-बेटा सहित परिवार के अन्य सदस्यों से पूरी तरह से अलग कर दिया इसे मैंने बहुत करीब से देखा है। उन्होंने कहा कि एमजीएम अस्पताल के आइसोलेसन वार्ड के बाहर मां रोते रहती थी और बेटा वार्ड के अंदर जिंदगी व मौत से जूझ रहे थे। मां को न तो देखने को मिल रहा था और न ही वार्ड के अंदर जाने को। इसी तरह, कई बुजुर्ग पिता अस्पताल में अकेले बीमारी से संघर्ष करने को मजबूर थे लेकिन संतान चाह कर भी उनके पास नहीं जा पाते थे। ऐसे में अब टीका लेना ही अंतिम विकल्प है। टीका लेकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है।
सुबह सात बजे से पहुंचने लगे अधिकारी
एमजीएम कॉलेज में सुबह सात बजे से अधिकारी, पदाधिकारी व चिकित्सक पहुंचने लगे थे। सुबह 7.30 बजे सबसे पहले अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉ. साहिर पाल साकची स्थित शीत-श्रृंखला भंडार से वैक्सीन लेकर पहुंचे। इसके बाद जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. एके लाल, सिविल सर्जन डॉ. आरएन झा, एमजीएम प्रिंसिपल डॉ. पीके बारला और नौ बजे उपायुक्त सूरज कुमार पहुंचे। इससे पूर्व अधिकांश स्वास्थ्य कर्मी पहुंचे हुए थे।
इस तरह होती रही तैयारी
- 7.30 बजे सुबह सबसे पहले एसीएमओ पहुंचे एमजीएम कॉलेज।
- 9 बजे उपायुक्त सूरज कुमार पहुंचे।
- 10.30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन शुरू।
- 11.05 बजे प्रधानमंत्री ने दिल्ली में वैक्सीन लांच किया।
- 11.45 बजे एमजीएम कॉलेज में स्वास्थ्य कर्मी एलिस विश्वासी बोदरा को पहला टीका दिया गया।
- 2.00 बजे तक 40 लोगों को दिया गया टीका।