Buddha Purnima Special : झारखंड का ऐसा बोधि विहार, जहां रहते हैं बौद्ध भिक्षु, जानें झारखंड के बौद्ध मुख्यालय की खासियत
Jharkhand News झारखंड राज्य का बौद्ध मुख्यालय बोधि मंदिर बोधि सोसाइटी जमशेदपुर है। दलाई लामा यहां 1956 में बोध गया से पौधा लेकर आए थे 1966 में पूर्व राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने साकची में बोधि सोसाइटी की स्थापना की थी।
वेंकटेश्वर राव।जमशेदपुर। जमशेदपुर के साकची स्थित बोधि मंदिर बोधि सोसाइटी झारखंड का मुख्यालय है। बिहार से अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2001 में बुद्ध पूर्णिमा के दिन सोसाइटी को प्रदेश का बौद्ध मुख्यालय घोषित किया गया था। यह झारखंड का एकमात्र ऐसा बोधि विहार है जहां बौद्ध भिक्षु भी रहते हैं।
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा 1956 में आए थे जमशेदपुर
वर्ष 1956 में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा जब जमशेदपुर आए थे, तब एक पौधा को अपने साथ बोध गया से लेकर आए थे। उन्होंने विश्व शांति का संदेश देने के लिए बौद्ध विहार परिसर में इसे लगाया था। अब यह ऐतिहासिक पेड़ लोगों के आस्था का केंद्र बन गया है। इस विशाल पेड़ के नीचे बैठकर लोग शांति की अनुभूति करते हैं। भारत के दूसरे राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने 4 मई, 1966 को साकची स्थित बोधि मंदिर का उद्घाटन किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह देश की समृद्धि के लिए शहर में अच्छे कामों को देखकर खुश हैं। उन्होंने मानवता के प्रति प्रेम को उस धर्म के सिद्धांतों के रूप में बताया जिसका बुद्ध ने उपदेश दिया और अभ्यास किया, जिसका पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने ध्यान के महत्व को भी बताया।
बोधि मंदिर का बोधि वृक्ष है आस्था का केंद्र
राजकुमार सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने जिस वृक्ष के नीचे बैठकर दशकों पूर्व ज्ञान प्राप्त किया था, उस बोधि वृक्ष को दुनिया में हर कोई सम्मान देता है। बौद्ध समाज के लोग तो इसकी पूजा भी करते हैं। बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए सम्राट अशोक ने भी इस पवित्र पौधे को श्रीलंका समेत दुनिया के कई देशों में खुद रोपा था। यह बोधि वृक्ष झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर स्थित साकची बोधि मंदिर में भी है। यहां इसे बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने वर्ष 1956 में रोपा था। विशाल पेड़ बन चुके इस बोधि वृक्ष के नन्हे पौधे को तब बिहार के गया जिले से यहां लाया गया था।
एकमात्र ऐसा बोधि विहार जहां बौद्ध भिक्षु भी रहते हैं
जमशेदपुर का बोधि सोसाइटी झारखंड राज्य का मुख्यालय है। यह झारखंड का एकमात्र ऐसा बोधि विहार है जहां बौद्ध भिक्षु भी रहते हैं। दो बौद्ध भिक्षु यहां रोज पूजा अर्चना भी करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन यहां समाज के कई बच्चे भिक्षु की दीक्षा भी ग्रहण करते हैं।
जमशेदपुर के बोधि मंदिर को विश्व स्तर पर जोड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है। इस कार्य के बोधि सोसाइटी के सदस्य अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मुझे गर्व है कि मैं इस मंदिर का एक अभिन्न हिस्सा हूं। - प्रदीप बरुआ, महासचिव, बोधि सोसाइटी, जमशेदपुर।
1956 में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा तथा 1966 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के आगमन का इतिहास जमशेदपुर के बोधि मंदिर से जुड़ा हुआ है। बोधि वृक्ष पर हर दिन जल अर्पित करना बौद्ध समाज में सौभाग्य माना जाता है। - मनोज ह्यमने, अध्यक्ष, बोधि सोसाइटी, जमशेदपुर।