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झारखंड के कालिकापुर गांव से नेताजी का था खास रिश्‍ता, सहेजकर रखी गई हैं यादें

Subhas Chandra Bose Jayanti 2020. पोटका के कालिकापुर मे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिसंबर 1939 को सभा की थी। नेताजी को ग्रामीणों ने जमीन भेंट की थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 09:59 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 09:59 AM (IST)
झारखंड के कालिकापुर गांव से नेताजी का था खास रिश्‍ता, सहेजकर रखी गई हैं यादें
झारखंड के कालिकापुर गांव से नेताजी का था खास रिश्‍ता, सहेजकर रखी गई हैं यादें

जादूगोड़ा (पूर्वी सिंहभूम), अरविंद प्रसाद।  नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर वर्ष प्राय: हर जगह मनायी जाती है, लेकिन झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड के कालिकापुर में यह दिन गांव वालों के लिए काफी अहम होता है। जयंती के दिन यहां के लोग इसलिए खुद को गौरवान्वित  महसूस करते हैं क्योंकि कभी उनके गांव की धरती पर नेताजी के कदम पड़े थे।

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1939 में की थी सभा

दिसंबर 1939 में पोटका के कालिकापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सभा की थी। सभा में वे जिस कुर्सी पर बैठे थे एवं जिस टेबल और टेबल क्लाथ का उपयोग किया था, उसे आज भी गांव के लोगों द्वारा सहेज रखे हैं। सभा को संबोधित करते हुए नेताजी की एक तस्वीर भी  है। तब ईशन चंद्र भकत ने तस्‍वीर खींची थी। जयंती के दिन इन वस्तुओं को लोग खुद देख कर आनंदित होते हैं, साथ अपने बच्चों को दिखाकर नेताजी के यहां आगमन से संबंधित  वृतांत सुनाते हैं जिसे वे स्वयं भी अपने पिता या दादा से सुने हैं।

नेताजी के नाम पर गांव में स्‍कूल

नेताजी के लिए इस गांव के लोगों के दिल में कैसा आदर है, यह इसी से पता चलता है कि उनकी स्मृतियां को संजो कर रखने के साथ ही गांव में उनके नाम पर एक विद्यालय भी खोला गया है जिसके आगे उनकी प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा का अनावरण तत्‍कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने किया था। गांव के बीच सीना तानकर खड़ी थाना भवन की वो जर्जर दीवारें गांव वालों को यह याद दिलाती है कि कभी अंग्रेजों का शासन इसी भवन से पूरे क्षेत्र में चलता था। तब काली प्रसाद यहां के दारोगा थे जिन्हें 1934 में चरित्रहीनता के कारण गांव के हरिचरण भकत के साथ गांव के युवाओं ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था और थाना भवन को आग लगा दी थी। उस घटना के बाद यहां से थाना हटाकर सात किलोमीटर दूर पोटका कर दिया गया था जो आज भी यथावत है। लेकिन इस घटना में जब 76 लोगों को गिरफ्तार किया गया तब 5 दिसंबर 1939 को नेताजी के कदम गांव की धरती पर पड़े।

आने की खुशी में था उत्‍सवी माहौल

उनके आने की खुशी में गांव की उस गली से कंकड़-पथर भी चुन लिए गए थे जिसपर नेताजी के पग पड़ने वाले थे। ठंढ़ का मौसम होने के वावजूद लोगों ने  सुबह-सवेरे नहा-धोकर नया वस्त्र पहन लिया था। उत्सवी माहौल में नेताजी का आगमन सुबह साढ़े सात बजे जमशेदपुर के डिकोस्टा साहब की फोर्ड कार से हुआ तो वंदेमारम के नारे से माहौल गूंज उठा था। पैदल ही वे सभा स्थल तक पहुंचे थे तब दोनों और खड़े लोगों की भीड़ उनपर फूल बरसाने लगी। नेताजी ने यहां करीब चालीस मिनट तक बांग्ला में स्वाधीनता और उसे हासिल करने के विषय पर भाषण दिया था।

धालभूमगढ़ में भी की थी सभा

यहां से दोपहर करीब दो बजे धालभूमगढ़ होते हुए नेताजी कार से ही बहरागोड़ा पहुंचे थे जहां उनके अनुयायी स्वाधीनता संग्रामी किशोरी मोहन उपाध्याय ने सारा आयोजन किया था। यहां नेताजी ने उडि़या में भाषण दिया था । तब यहां के लोगों ने नेताजी को जमीन का एक टुकड़ा भेंट किया था जिसपर नेताजी ने उसी दिन एक स्कूल की आधारशिला रखी थी।


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