छोटी उम्र पर सोच बड़ी : फिल्ममेकर बन समाज को संदेश दे रहे ये स्कूली छात्र
स्कूलों में पढऩेवाले बच्चे शॉर्ट फिल्म बनाकर यूट्यूब जैसे सोशल साइट के जरिए हर किसी के मोबाइल तक पहुंचा रहे हैं। इससे वे समाज के लोगों को सार्थक संदेश भी दे रहे हैं।
जमशेदपुर [विकास श्रीवास्तव]। समाज को संदेश देने, जागरूक करने के लिए सिनेमा हमेशा से सशक्त माध्यम रहा है। डिजिटल युग ने फिल्म मेकिंग को आसान कर दिया है। यह काम इतना सहज कभी नहीं था।भारी-भरकम बजट, इनडोर-आउटोर शूटिंग, लाइट-कैमरा-एक्शन। पूरी की पूरी फिल्म यूनिट लंबे समय तक लगती थी तब कहीं जाकर शूटिंग पूरी होती थी।
उसके बाद एडिटिंग, डबिंग, मिक्सिंग जैसे कार्यों को पूरा करने के बाद एक फिल्म का निर्माण होता था। तैयार रील सिनेमाघरों तक पहुंचती थी और लोग फिल्म का आनंद उठाने पहुंचते थे। अब वेब सीरीज का जमाना है। डिजिटल डिवाइस ने इस दुरुह कार्य को इतना सहज कर दिया है कि शहर के स्कूलों में पढऩेवाले बच्चे शॉर्ट फिल्म बनाकर यूट्यूब जैसे सोशल साइट के जरिए हर किसी के मोबाइल तक पहुंचा रहे हैं। इससे वे न केवल अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान कर रहे हैं बल्कि समाज के लोगों को सार्थक संदेश भी दे रहे हैं।
डीएवी के अक्षित पांडे ने मानव तस्करी पर फिल्म बना पाई प्रसिद्धि
अक्षित पांडे डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर में 12वीं का छात्र है। फिल्मों से दिलचस्पी शुरू से ही रही, अपने आसपास के परिवेश को अपने नजरिए दे देखते हुए फिल्म बनाने की सोची। कहानी का प्लॉट तैयार किया और और साथियों कुमार गौरव, अभिषेक गुप्ता व ऋषभ सिंह की मदद से शॉर्ट फिल्म 'दीप्तिÓ बना डाली। पूछने पर अक्षित ने कहा कि यह उसके लिए बड़ा सपना पूरा होने जैसा है। फिल्म का मूल विषय मानव तस्करी से जुड़ा है लेकिन इसमें रोमांटिक सस्पेंस के साथ मनोरंजन भी है। विगत 26 जनवरी को यह फिल्म यूट्यूटब पर अपलोड की गई और एक महीने से कम समय में देखनेवालों की संख्या चार हजार पार कर चुकी है।
दीपिका बनर्जी निभाया किरदार
साथियों में कुमार गौरव ने प्रोडक्शन की जिम्मेदारी निभाई, फिल्म मेकिंग में डिप्लोमा करनेवाले अभिषेक गुप्ता ने एडिटिंग का काम संभाला। सबसे खुशी की बात यह रही कि शहर की अभिनेत्री दीपिका बनर्जी ने अनुरोध माना और फिल्म में किरदार निभाया। अक्षित को फिल्म का जुनून है और फिल्ममेकर के रूप में खुद को स्थापित करने का लक्ष्य बना रखा है। पिता अनिल पांडेय ने कहा कि अक्षित पढ़ाई में भी अच्छा है। उसे वही बनना चाहिए जो वह बनना चाहता है। इसलिए हम अपनी ओर से उसे पूरा सहयोग कर रहे हैं।
नौवीं के शौर्यन मिश्रा ने 'ड्रीम' से दी अभिभावकों को सीख
फिल्म ड्रीम बनानेवाले मानगो डिमना रोड निवासी शौर्यन मिश्रा डीएवी पब्लिक स्कूल में नौवीं कक्षा का छात्र है। अपनी फिल्म के बारे में उसने बताया कि रोजमर्रा की जिंदगी में हम जो कुछ देखते हैं उसे एक्सप्रेस करने का माध्यम होना चाहिए। अपने ही साथियों के बीच देखने को मिलता रहता है कि बच्चों पर कुछ करने व कुछ बनने का काफी दबाव रहता है। माता-पिता चाहते हैं कि जो उनकी इच्छा है वही उनके बच्चे करें। मुझे यह ठीक नहीं लगता। फिर अचानक दिमाग में आया कि क्यों ने एक फिल्म बनाई जाए। रुचि भी थी इसलिए ड्रीम की शुरुआत हुई।
खुद लिखी कहानी
इस शॉर्ट फिल्म की कहानी भी मैने ही लिखी। कहानी कुछ ऐसी है कि एक छात्र को उसके पिता आइएएस की कोचिंग संस्था में दाखिला दिलाने के लिए फार्म लाते हैं। छात्र को सिंगर बनने का शौक है। पिता के जिद व दबाव के चलते वह अपना गिटार लेकर घर से निकल जाता है। कुछ घटनाक्रम के बाद वह एक सिंगर के रूप में प्रसिद्ध हो जाता है। पिता अखबार में उसकी तस्वीर व खबर पढ़ते हैं जिसके बाद उनकी सोच बदल जाती है। फिल्म में छात्र का किरदार खुद शौर्यन ने निभाया है जबकि माता-पिता की भूमिका भी वास्तविक माता-पिता नित्यानंद मिश्रा व सोनी मिश्रा ने की है।
पड़ोसी ने की मदद
फिल्म को विगत 15 जनवरी को सोशल मीडिया पर अपलोड की। दो हजार से अधिक लोग देख चुके हैं। फिल्म पूरी करने में पड़ोस के नवनीत तिवारी ने काफी मदद की। उन्हीं के मित्र आशीष पासवान ने तकनीक सहयोग किया और एडिटिंग आदि का काम किया। शौर्यन आगे और भी शॉर्ट फिल्में बनाने की तैयारी में है। वह फिल्म मेकिंग में ही अपना कॅरियर भी बनाना चाहता है।