Steel science Asia : भारत में और बढ़ेगी स्टील की कीमत, टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कही ये बात
टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन का कहना है कि स्टील मार्केट वर्तमान में कई बदलावों से गुजर रहा है। जिसमें चीन की उभरती भूमिका और बढ़ती लागत शामिल है। पिछले सात-आठ वर्षों में हॉट रोल्ड कॉइल स्टील की औसत कीमत 400 से 540 डॉलर प्रति टन थी।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : देश में तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम हो रहा है। ऐसे में टाटा स्टील सहित सभी स्वदेशी कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। टाटा स्टील भी जमशेदपुर सहित कलिंगनगर में अपने विस्तारीकरण प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रही है। साथ ही कंपनी अंगुल स्थित भूषण स्टील और ऊषा मार्टिन स्टील का पहले ही अधिग्रहण कर चुकी है।
साथ ही केंद्र सरकार ने आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही चीन जैसे देशों के लिए परेशानी भी खड़ी कर दी है। जिसके कारण देश में चीन द्वारा किया जाने वाली एंटी डंपिंग पर भी काफी हद तक लगाम लग चुका है। इसका फायदा अब स्वदेशी स्टील निर्माता कंपनियों को मिल रहा है। ऐसे में स्टील की कीमतें पिछले 10 वर्षों की तुलना में सबसे अधिक है। देश के स्टील बाजार और कीमतों पर टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन ने स्टील साइंस एशिया के कार्यक्रम में ये बातें कहीं।
स्टील मार्केट बदलाव के दौर से गुजर रहा
टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन का कहना है कि स्टील मार्केट वर्तमान में कई बदलावों से गुजर रहा है। जिसमें चीन की उभरती भूमिका और बढ़ती लागत शामिल है। पिछले सात-आठ वर्षों में हॉट रोल्ड कॉइल स्टील की औसत कीमत 400 से 540 डॉलर प्रति टन थी। आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा 600 डॉलर से अधिक होने की मुझे उम्मीद है। हालांकि स्टील सेक्टर में काफी उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। ऐसा हमने विगत वर्षों में देख चुके हैं। हाल की दिनों की तुलना में आने वाले वर्षों में स्टील की कीमतों में और भी बढ़ाेतरी हो सकती है।
भारतीय स्टील मार्केट में कीमतें अब भी कम
टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी का कहना है कि देश में स्टील की कीमतों में भले ही तेजी आई हो लेकिन वैश्विक स्तर पर स्टील की कीमतें तुलनात्मक रूप से काफी अधिक है। हॉट कोइल स्टील की कीमत शुक्रवार को चीन में 750 डॉलर जबकि दक्षिण पूर्व एशिया में 850 डॉलर प्रति टन थी। ऐसे में हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भारत में यह कीमत बढ़कर 600 डॉलर प्रति टन होगी। टीवी नरेंद्रन का कहना है कि पिछले 10 वर्षो में स्टील मार्केट पर चीन के निर्यात का वर्चस्व रहा है लेकिन अब वैश्विक स्टील मार्केट पहले की तुलना में अधिक स्थिरता हासिल कर ली है। इसके अलावा यूरोप में कार्बन की बढ़ती लागत का भी स्टील की कीमतों पर असर पड़ेगा और कीमतें और बढ़ेंगी। क्योंकि यूरोपीय देशों में प्रति टन कार्बन उर्त्सजन पर सरकार को उसके अनुरूप टैक्स देना पड़ता है और सरकार लगातार टैक्स की राशि काे बढ़ा रही है ताकि स्टील निर्माता कंपनियां शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में पहल कर सके। नरेंद्रन का मानना है कि आने वाले 10 वर्षो में स्टील की कीमतें अधिक होंगी।
चीन के स्टील निर्यात में आएगी गिरावट
टीवी नरेंद्रन का कहना है कि एक समय चीन वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक स्टील का निर्यात करता था लेकिन विगत वर्षों में चीन के स्टील निर्यात में लगातार कमी आई है और यह 60 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो गया है। हमें उम्मीद है कि अभी इस आंकड़े में और गिरावट आएगी। क्योंकि चीन भी शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पहल कर रहा है। ऐसे में कई वर्षों बाद पहली बार स्टील की डिमांड चीन द्वारा संचालित नहीं हो रही है। वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन को उम्मीद है कि इस साल स्टील की खपत में वृद्धि चीन के अलावा अन्य देशों से आएगी।
पश्चिम देशों में निवेश से बुनियादी ढ़ांचे में विकास से स्टील की डिमांड में तेजी
टीवी नरेंद्रन का मानना है कि पश्चिमी देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काफी निवेश हो रहा है। पिछले हफ्ते ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर ढ़ांचे के निर्माण वाले बिल पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे स्टील की डिमांड में तेजी आएगी। हालांकि कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी से प्रोडक्शन काॅस्ट भी अपने उच्चतम स्तर पर है। आयरन ओर की कीमतें कमजोर हुई हैं और यह 100 से 120 डॉलर प्रति टन के दायरे में कारोबार करना चाहिए। कोयला और आयरन ओर, दोनों ही स्टील निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है।