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Gandhi Jayanti 2019: गांधी की अर्थनीति में तलाशे जाएंगे मंदी को मात देने के सूत्र, यहां हो रहा शोध

Mahatma Gandhi. गांधी की अर्थनीति में मंदी को मात देने के सूत्र तलाशे जाएंगे। 1929-39 की महामंदी पर गांधी के विचारों पर शोध हाे रहा है। केस स्टडी बनीं हैं आदित्यपुर की कंपनिय

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 08:25 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 08:47 AM (IST)
Gandhi Jayanti 2019: गांधी की अर्थनीति में तलाशे जाएंगे मंदी को मात देने के सूत्र, यहां हो रहा शोध
Gandhi Jayanti 2019: गांधी की अर्थनीति में तलाशे जाएंगे मंदी को मात देने के सूत्र, यहां हो रहा शोध

जमशेदपुर, आइ मुकेश। Gandhi Jayanti 2019 देश की अर्थव्यवस्था सुस्त है। अर्थशास्त्री इसे मंदी की शुरुआत कह रहे हैं। इसका असर शहर से सटे आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में देखा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या गांधी जी की अर्थनीति में आर्थिक मंदी जैसी समस्याओं का समाधान है।

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विशेषज्ञ बताते हैं कि गांधी जी चाहते थे कि जहां कच्चा माल है, वहीं उसका उत्पाद तैयार हो, वहीं के लोगों को रोजगार भी मिले और प्राथमिक उपभोक्ता भी स्थानीय हों। इससे आत्मनिर्भरता के साथ ही संपन्नता आएगी।गांधीवादी विचारधारा को समझने व जानने की कोशिश करनेवाली जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज की छात्राएं इस सुस्ती की काट बापू के दर्शन में खोज रही हैं। गांधी स्टडी सेंटर फोर रिसर्च की अगुवाई में आदित्यपुर की कंपनियों को आधार बनाकर गांधीवादी तरीके से मंदी से उबरने के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। कॉलेज के अर्थशास्त्र की छात्राओं की टीम ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का बीड़ा उठाया है।

लेखों में खोजी जा रही काट

दरअसल, 1929-39 के बीच वैश्विक महामंदी थी। इस अवधि में बापू ने नमक सत्याग्रह किया था जो सीधे तौर पर नमक उद्योग से जुड़ा था। उस दौरान उन्होंने आर्थिक मामलों पर कई लेख लिखे थे। अब लगभग 90 साल बाद उन्हीं लेखों में मंदी की काट खोजी जा रही है।

बर्धा से आते विशेषज्ञ

कॉलेज की गांधी स्टडी सेंटर की समन्वयक डॉ. काकुली बसाक कहती हैं कि महामंदी के दौरान आर्थिक विषयों पर गांधी जी द्वारा लिखे गए आलेख और व्यक्त किए गए विचारों को एकत्र किया जा रहा है। गांधी स्टडी सेंटर फोर रिसर्च का वर्धा हिंदी विश्वविद्यालय के साथ एमओयू है। हमें वहां से मार्गदर्शन मिलता है और यहां किए जानेवाले प्रोजेक्ट वर्क व शोध को वहां भेजा भी जाता है। वर्धा से विशेषज्ञ भी समय-समय पर यहां आते हैं और छात्राओं का मार्गदर्शन करते हैं। जल्द ही वर्धा हिंदी विश्वविद्यालय व साबरमती आश्रम के अभिलेखागार और अनुसंधान केंद्र से संपर्क किया जाएगा।

सरकार से साझा किए जाएंगे केस स्टडी के परिणाम

उन्होंने बताया कि बापू के सिद्धांत के आधार पर आदित्यपुर की कंपनियों में काम कर रहे और समय-समय पर छंटनी का दंश झेल रहे मजदूरों के लिए विकल्प तलाशे जाएंगे। फिर शोध से निकले निष्कर्षों का मजदूर बाहुल्य इलाकों, सरायकेला, पोटका व पटमदा में प्रायोगिक परीक्षण किया जाएगा। प्रायोगिक परीक्षण के बाद केस स्टडी के परिणाम सरकार के साथ साझा किए जाएंगे।

गांधी अर्थनीति में मंदी के लिए जगह ही नहीं : डॉ. पूर्णिमा कुमार

वीमेंस कॉलेज की निवर्तमान प्राचार्या डॉ. पूर्णिमा कुमार कहती हैं कि गांधी की अर्थनीति में मंदी का कोई स्थान ही नहीं है। उनकी सोच थी कि जो जिस गांव में रहता है वहीं के कच्चे माल का इस्तेमाल करे। वहीं आसपास के लोग उपभोक्ता हों। सेल्फ सफिशिएंट बनें। आत्मनिर्भर हों। मार्जिनल प्रोफिट जैसी व्यवस्था पूंजीवाद को जन्म देती है। कुछ लोग उनकी सोच की आलोचना कर सकते हैं लेकिन सच यह है कि गांधी जी के विचार दूरगामी और मानवीय थे। 

  •  1929-39 की महामंदी पर गांधी के विचारों पर हो रहा शोध, केस स्टडी बनीं आदित्यपुर की कंपनियां
  •  जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज के गांधी स्टडी सेंटर फोर रिसर्च ने की पहल
  •  गांधीजी के आलेखों के लिए साबरमती आश्रम से साधा संपर्क
  •  शोध के निष्कर्षों का मजदूर बाहुल्य इलाकों में प्रायोगिक परीक्षण

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