कक्षा में हुए थे फेल, अब असल जिंदगी में गढ़ रहे इबारत
मार्क्स से प्यारे हो तुम --------- परीक्षा व कक्षा में अंक ही सबकुछ नहीं होता। कई बार कक्षा में
मार्क्स से प्यारे हो तुम
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परीक्षा व कक्षा में अंक ही सबकुछ नहीं होता। कई बार कक्षा में फेल होने या कम नंबर लानेवाले छात्र असल जिंदगी में हीरो बनकर उभर आते हैं। मानगो के रहनेवाले सुरेंद्र सिंह और सोनारी के मेहुल अग्रवाल ऐसे ही छात्र रहे हैं, जो आज नई इबारत गढ़ रहे हैं। सुरेंद्र सिंह मैट्रिक में फेल हो गए थे। पूरक परीक्षा देकर पास हुए। आज वे डिजाइन मैनेजर हैं। नोएडा में रहकर अपना कार्य करते हैं। न्यूज चैनल खोलने जा रहे हैं। कंसलटेंट कंपनी भी है। वहीं मेहुल अग्रवाल कक्षा तीन व सात में फेल हो चुके हैं। बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दसवीं की परीक्षा किसी तरह पास की। आज वह सिलीकॉन वैली की एक कंपनी के स्ट्रेटेजिक एकाउंट के निदेशक हैं। प्रस्तुति- वेंकटेश्वर राव।
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12 मई को कुछ ऐसे युवाओं की कहानी प्रकाशित की जाएगी, जिनके मार्क्स कम होने के बावजूद अभिभावकों ने उनका साथ दिया और आज अपनी मंजिल प्राप्त कर चुके हैं या प्राप्त करने वाले हैं।
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पढ़ाई को ही लाइफ न बनने दें
जमशेदपुर : डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल और आंध्र एसोसिएशन स्कूल कदमा में कक्षा तीन और कक्षा सात में फेल होने के बावजूद सोनारी के मेहुल अग्रवाल ने हिम्मत नहीं हारी। उनके पिता रतन कुमार व विजय लक्ष्मी अग्रवाल ने मेहुल को बहुत साथ दिया और उन्हें जो अच्छा लगा वहीं करने दिया। मेहुल ने बताया कि स्कूल की कक्षाओं में फेल होने के बाद उसने डीबीएमएस कॅरियर अकादमी ज्वाइन किया। वहां जैसा मन वैसे पढ़ने की आजादी मिली और पढ़ाई का तरीका भी पसंद आया। वर्ष 2004 में 12वीं कक्षा वहीं से एनआइओएस बोर्ड से उत्तीर्ण की। उसके पुणा के वाडिया कॉलेज में अर्थशास्त्र लेकर पढ़ाई की। यहां भी पढ़ाई को थोपने का तरीका उन्हें पसंद नहीं आया। मेहुल ने बताया कि जमशेदपुर व अन्य शहरों ने पढ़ाई को ही लाइफ बना दिया है, जबकि लाइफ में बहुत कुछ आवश्यक है। इंजीनियर बनने के लिए इंजीनिय¨रग की पढ़ाई कोई जरूरी नहीं है। अमेरिका में बिना पढ़े ही 12-12 साल के बच्चे सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन जाते हैं। जैसा चाहते हैं वैसी ही पढ़ाई करते हैं। भारत में पढ़ाई को थोपने की प्रथा को बंद करनी चाहिए। वे शुरू से ही इसके खिलाफ रहें। उन्होंने कहा कि आज वे जिस मुकाम पर है, उसके लिए उसने 17-18 घंटे लगातार काम किया है। वर्तमान में मेहुल अमेरिका के सिलीकॉन वैली की एक कंपनी में स्ट्रेटेजिक एकाउंट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत है। इसके अलावा उनकी कई स्टार्ट अप कंपनियां है। वे दूसरे शहरों में जाकर मेंटर की भूमिका भी अदा करते हैं। मेहुल ने कहा कि असफलताओं से घबराना नहीं है, आपको जिसमें इंटरेस्ट हो उसी को अपना करियर चुने। परंपरागत पढ़ाई पर बिल्कुल ही ध्यान न दें, क्योंकि ये बो¨रग होती है।
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मानगो के सुरेंद्र ने कई राष्ट्रीय चैनलों का तैयार किया डिजाइन
जमशेदपुर : 1982 में राजस्थान विद्या मंदिर साकची से मैट्रिक की परीक्षा में फेल होने के बावजूद मानगो के दाईगुटू के रहने वाले सुरेंद्र सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। पूरक परीक्षा देकर बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद इंटर में शहर के किसी कॉलेज ने एडमिशन नहीं लिया। बाद में जेकेएस कॉलेज मानगो में इंटर में एडमिशन लिया। इसी दौरान अपने दोस्त अजीत के कहने पर अपने घर से 100 रुपया लेकर मुंबई चला गया। तीन माह का खर्च इसी 100 रुपया से किसी तरह चलाया। इधर उधर भटकता रहा। अजीत की प्रेरणा और जिद के कारण आर्ट की तैयारी करने लगा। मुंबई की प्रतिष्ठित कॉलेज जेजे कॉलेज में प्रवेश परीक्षा दी। इसमें सात हजार बच्चों में से दो का चयन हुआ। इस दो छात्रों में सुरेंद्र का भी नाम था। यहीं से उसकी जिंदगी पलटी। जजे कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही कई पुरस्कार प्राप्त किए। पूरे महाराष्ट्र में डिग्री आर्ट का टॉपर बनने का गौरव प्राप्त हुआ। जेजे कॉलेज के नागरेकर सर ने उसकी खूब तारीफ की। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। करिश्मा कंसलटेंट एजेंसी से अपने करियर की शुरुआत की। एक-एक कर 18 राष्ट्रीय चैनलों का लोगो डिजाइन किया सिर्फ डिजाइन ही नहीं सेट अप भी डिजाइन किया। राज्यसभा टीवी में भी डिजाइन मैनेजर के पद पर काम किया। अभी वर्तमान में सुरेंद्र अपना न्यूज चैनल नेशन टूमोरों के नाम से खोल रहे हैं और अपनी कंसलटेंट कंपनी के माध्यम से कई कार्य कर रहे हैं।