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ये हैं स्मिता नागेशिया जिन्होंने प्लाज्मा दान में जमशेदपुर को बना दिया नंबर वन, जानिए कैसे हुआ यह

परिक्ष्यमान उपसमाहर्ता स्मिता नागेशिया ने अपनी समझ से शहर की सोच बदल डाली और उसके बाद स्थिति यह हो गई कि एक-एक लोग आठ-आठ बार प्लाज्मा दान करने पहुंचने लगे। अभी तक कुल 595 लोगों ने कुल 1190 यूनिट प्लाज्मा दान कर चुके थे जो पूरे झारखंड में अधिक है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 09:28 PM (IST)
ये हैं स्मिता नागेशिया जिन्होंने प्लाज्मा दान में जमशेदपुर को बना दिया नंबर वन, जानिए कैसे हुआ यह
परिक्ष्यमान उपसमाहर्ता स्मिता नागेशिया ने अपनी समझ से शहर की सोच बदल डाली।

 जमशेदपुर, जासं। 31 जुलाई 2020। जमशेदपुर में प्लाज्मा दान की शुरुआत हुई। शहर के लिए यह बड़ी उपलब्धि थी। मरीजों का हौसला भी दोगुना बढ़ गया। प्लाज्मा की मांग भी बढ़ने लगी लेकिन, लोगों में जागरूकता की कमी मरीजों की उम्मीद पर पानी फेरने लगी। तब जिले का उपायुक्त सूरज कुमार ने परिक्ष्यमान उपसमाहर्ता स्मिता नागेशिया को प्लाज्मा दान अभियान की जिम्मेदारी सौंपी और उन्हें नोडल पदाधिकारी नियुक्ति किया गया।

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उनके सामने चुनौती बड़ी थी। लोग प्लाज्मा दान करने को उतना आगे नहीं आ रहे थे। तब स्मिता नागेशिया ने एक-एक कर सभी कोरोना से ठीक हो चुके लोगों से संपर्क साधना शुरू किया। उनका मनोबल बढ़ाने लगी। लोगों के मन में चल रहे हर सवालों का जवाब देकर, समझाकर-बुझाकर उन्हें प्लाज्मा दान के लिए तैयार किया। इसके बाद धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ने लगी। इसमें वैसे लोगों को भी शामिल किया गया, जिसे हर कोई सम्मान करता है। सीआईएसएफ के जवानों ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया और प्लाज्मा देकर मरीजों की जान बचाने का काम किया। अब मंगलवार से जमशेदपुर में प्लाज्मा दान बंद हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अगले आदेश तक इसपर रोक लगा दिया है।

595 लोगों ने दान किया प्लाज्मा

परिक्ष्यमान उपसमाहर्ता स्मिता नागेशिया ने अपनी समझ से शहर की सोच बदल डाली और उसके बाद स्थिति यह हो गई कि एक-एक लोग आठ-आठ बार प्लाज्मा दान करने पहुंचने लगे। अभी तक कुल 595 लोगों ने कुल 1190 यूनिट प्लाज्मा दान कर चुके थे, जो पूरे झारखंड में अधिक है। स्मिता नागेशिया ने इस चुनौतीपूर्ण मुहिम को सफल बनाने वाले सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया है।

इनकी सुनें

शुरुआती दिनों में लोग प्लाज्मा दान करने से डर रहे थे। उनके मन में चल रहा था कि प्लाज्मा देने से वे कमजोर हो जाएंगे। वैसे लोगों का भ्रम दूर किया गया। उन्हें अच्छी तरह से समझाया गया। प्रोत्साहित किया गया। उसके बाद प्लाज्मा दान देने वालों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। इसमें डीसी सूरज कुमार, सीआईएसएफ के वरिष्ठ कमांडेंट हरिओम गांधी, जमशेदपुर ब्लड बैंक, रेड क्रास सहित अन्य का योगदान रहा।

- स्मिता नागेशिया, परिक्ष्यमान उपसमाहर्ता।


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