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भाजपाई हर बार भूल जाते शारीरिक दूरी

कार्यकर्ता सिर झुकाकर इस तरह से सुनते हैं जैसे प्रधानमंत्री उनके सामने खड़े हों और उन्हीं पर उनकी नजर है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 01:58 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 05:07 AM (IST)
भाजपाई हर बार भूल जाते शारीरिक दूरी
भाजपाई हर बार भूल जाते शारीरिक दूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की लड़ाई का जब भी संदेश देते हैं, तो चेहरे को ढंककर रखने और शारीरिक दूरी बनाने की बात जरूर कहते हैं। उनके हर संदेश को भाजपा कार्यकर्ता सिर झुकाकर इस तरह से सुनते हैं, जैसे प्रधानमंत्री उनके सामने खड़े हों और उन्हीं पर उनकी नजर है। लेकिन, आम भारतीयों की तरह भाजपाई भी एक कान से सुनते हैं और दूसरे कान से निकालते रहते हैं। बात सही भी है। आखिर भगवान ने दो कान क्यों बनाया है। यदि हम इतनी सारी बातें जमाकर करके रख लेंगे, तो दोनों में से कोई एक ही कान का पर्दा फट सकता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा के जिला कार्यकर्ता हर आयोजन में कैमरे के सामने मास्क जरूर पहन लेते हैं, लेकिन शारीरिक दूरी का ख्याल रखना भूल जाते हैं। गढ़वा के जिलाध्यक्ष इसी बात के लिए केस खा गए हैं।

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रघुवर हुए बाहुबली, समर्थक गदगद

अपने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास एक बार फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बन गए हैं। इससे रघुवर के समर्थक ना केवल गदगद हो गए, बल्कि खुशी के मारे फूले जा रहे हैं। जो लोग यह सोच रहे थे कि चुनावी हार के बाद उनका कद छोटा हो जाएगा, उन्हें भारी निराशा हुई होगी। हाल के दिनों में पार्टी के कुछ लोगों ने उनसे किनारा करना शुरू कर दिया था, अब पछता रहे हैं। अब कह रहे हैं रघुवर तो बाहुबली हो गए। अरे बाबा, ई कैसे हो गया। आलाकमान को कौन सा मंतर मार दिए, समझ में ही नहीं आ रहा है। प्रदेश संगठन में हारने के बाद भी हर पत्ता यही हिला रहे थे, अब तो जिसे चाहेंगे जड़ से उखाड़ देंगे। उन चेलों की लुटिया तो अब डूबना तय है, जो उन्हीं की थाली में छेद करने का बीड़ा उठा लिया था। गुरु बदलने वालों को तो और महंगा पड़ेगा।

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त्रिपाठी बाबा के चेलों में मची भगदड़

झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी हाल ही में आदित्यपुर होते हुए जमशेदपुर आए थे। इन्होंने इंटक की एक नई टीम गठित की है। इसी सिलसिले में इन्होंने परिसदन में बैठक बुलाई थी। इसमें ऐसे-ऐसे सिपहसालारों को खोजकर चुना गया है, जिन्हें पुराने इंटक वाले पहचानते भी नहीं हैं। खैर पहचानेंगे बाद में, इनकी थाली में पहले ही दिन मक्खी गिर गई। संयोग से उसी वक्त उपायुक्त सूरज कुमार परिसदन चले गए थे। उन्हें कोल्हान आयुक्त डॉ. मनीष रंजन से मिलना था, लेकिन वहां तो दूसरा ही केस मिल गया। जब उन्होंने परिसदन में भीड़ देखी तो आपे से बाहर हो गए। त्रिपाठी मंडली के चेलों को ऐसा पाठ पढ़ाया कि वे थोड़ी देर के लिए सभी इंटक भूलकर कोरोना-कोरोना रटने लगे। त्रिपाठी बाबा एक बार और यहां आए थे, उस समय उन्हें पलामू में एक बड़ा सा यज्ञ करना था। इस बार वह चेले कहीं नजर ही नहीं आए।

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कोरोना समाप्त होने की खुशी पड़ी महंगी

केंद्र व राज्य सरकार अब भी कोरोना के बढ़ते मामले से जूझ रही है, लेकिन कुछ लोगों के लिए कोरोना समाप्त हो चुका है। ऐसा ही वहम बागबेड़ा के कुछ युवकों को हो गया था। इसी खुशी में इन्होंने पिछले दिनों एक कार्यक्रम रख दिया, जिसमें बाईजी का नाच भी हुआ। कोरोना समाप्त होने की खुशी में ये लड़के इतना नाचे कि उसका आनंद शहर भर के लोग वाट्सएप-फेसबुक उठाने लगे। इसी में किसी को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने उपायुक्त तक बात पहुंचा दी। उन्होंने तुरंत एक्शन लिया और पुलिस से तत्काल कार्रवाई को कहा। पुलिस के पदाधिकारी जब वहां गए, तो पता चला कि उनका भी एक बंदा वहां था। आपको शायद नहीं मालूम होगा कोरोना योद्धा के नाम पर इस कार्यक्रम में ये युवक आपस में ही सम्मानित हुए। इन्होंने लॉकडाउन में खूब राशन बांटा था, उसके पैसे बच गए थे। ईमानदार थे, सो खर्च कर दिए।


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