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Weekly News Roundup Jamshedpur : देवेंद्र की सक्रियता के मायने..., पढ़‍िए सियासी दुनिया की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup. कुछ का कहना है कि देवेंद्र सिंह दिनेश कुमार के समानांतर एक गुट तैयार कर रहे हैं। अब कुछ कह रहे हैं कि वे पश्चिमी में अभय सिंह को रोकने के लिए सक्रिय हुए हैं।

By Edited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 09:03 AM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 09:44 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur :  देवेंद्र की सक्रियता के मायने..., पढ़‍िए सियासी दुनिया की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : देवेंद्र की सक्रियता के मायने..., पढ़‍िए सियासी दुनिया की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। Weekly News Roundup Jamshedpur भाजपा ने जब देवेंद्र सिंह को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया गए तो यही कहा जा रहा था कि ये जनता के बीच कभी नहीं रहे, इन्हें वोट कौन देगा। हालांकि चुनाव में इन्हें जितने वोट मिले, उससे कहा जाने लगा कि यदि इन्हें कुछ समय मिल जाता तो बाजी पलट सकती थी। चुनाव परिणाम भाजपा के साथ देवेंद्र सिंह में भी उम्मीद जगा गई।

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अब एमजीएम में दुष्कर्म के बहाने देवेंद्र सिंह ने जो सक्रियता-तत्परता दिखाई है, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। शुक्रवार को देवेंद्र एमजीएम अधीक्षक से मिलने पहुंचे, तो कुछ देर बाद महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार ने भी इसी मुद्दे पर प्रेस वार्ता कर दी। कुछ का कहना है कि देवेंद्र सिंह दिनेश कुमार के समानांतर एक गुट तैयार कर रहे हैं। अब कुछ कह रहे हैं कि वे पश्चिमी में अभय सिंह को रोकने के लिए सक्रिय हुए हैं। अभय चुनौती बन सकते हैं।

रामदास विधानसभा देखें कि जिला संगठन

रामदास सोरेन जब विधानसभा चुनाव हार गए थे तो जिलाध्यक्ष बना दिए गए थे। रमेश हांसदा यह पद छोड़कर भाजपा में चले गए थे। अब रामदास दोबारा घाटशिला से विधायक चुन लिए गए। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही जिलाध्यक्ष के दावेदार इस उम्मीद में बैठे हैं कि रामदास जितनी जल्दी पद छोड़ेंगे, उतनी जल्दी उन्हें कुर्सी मिलेगी। झामुमो की सरकार है, लिहाजा जिलाध्यक्ष का पद भी छोटा नहीं होता। हालांकि झामुमो में एक व्यक्ति-एक पद की परंपरा नहीं रही है, लेकिन हाल के वर्षो में यथासंभव इसे अपनाया जा रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पूर्णकालिक जिलाध्यक्ष नहीं रहने से संगठन में सुस्ती आ गई है। आखिर रामदास विधानसभा देखेंगे कि संगठन। उन्होंने चुनाव के पहले तक संगठन को जिस तरह सक्रिय किया था, वह चुनाव के बाद से नहीं दिख रहा है। उनका जितना बड़ा कद है, उनके सामने यह बोलने की हिम्मत किसी को नहीं है।

मानगो का मेयर बनने की होड़

मानगो नगर निगम का चुनाव कराने की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू हुई है। इस खबर से मेयर के दावेदार एक-एक करके सामने आने लगे हैं। भाजपा नेता विकास सिंह तो मेयर के घोषित दावेदार हैं, अब उन्हें टक्कर देने के लिए भाजमो के आशुतोष राय भी आ रहे हैं। फिलहाल आशुतोष होली की शुभकामना वाली होर्डिग में सरयू राय के साथ दिखे हैं। संभव है कि बहुत जल्द फील्डिंग करते भी नजर आएंगे। एक माह बाद चुनाव के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट आ जाएगी तो झामुमो व कांग्रेस के उम्मीदवार भी सामने आ जाएंगे। कुछ ऐसे भी उम्मीदवार आ जाएंगे, जिन्हें अपनी गली-मोहल्ले में भी वोट मिल जाए तो बहुत होगा। विधानसभा चुनाव में हम इसका परिणाम देख चुके हैं, जब मानगो के बड़े-बड़े नेता धरतीपकड़ घोषित हो गए। इसके बावजूद नेतागिरी का कीड़ा कई को अभी से काटना शुरू हो गया है। यह चुनाव तक चलेगा।

बलमुचू खेमा आउट बिजय खां इन

विधानसभा चुनाव में जैसे ही डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू ने आजसू के टिकट पर घाटशिला से चुनाव लड़ने की घोषणा की, उतने से ही बिजय खां को राहत मिल गई। उनके हारने के बाद से खां पूरी तरह सुकून महसूस कर रहे हैं। अब उन्हें चुनौती देने वाला कोई बचा ही नहीं। यही वजह है कि बिजय समेत कई कांग्रेसी बन्ना गुप्ता के लिए सक्रिय हो गए हैं। यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव के दौरान इनकी सक्रियता दूसरे क्षेत्र में दिख रही थी। चुनाव के दौरान जो लोग सक्रिय थे, अब वे किनारे बैठे हैं। उनका मिशन सिपाही बनकर कांग्रेस का परचम फहराना था। व्यक्ति विशेष से उन्हें मतलब नहीं था। कुछ लोगों को कदमा बाजार में भाव भी नहीं मिल रहा था। इसी उपेक्षा के शिकार होकर धर्मेद्र प्रसाद ने चुनाव के ठीक पहले कमल का फूल थाम लिया था। अब वे भाजपा में घुल-मिल गए हैं।


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