Raksha Bandhan 2020 : भाइयों के लिए बहनों ने अपने हाथों से बनाई राखी
Raksha Bandhan 2020. छत्तीसगढ़ की कुछ महिलाएं बाजार से राखी लेने के बजाए खुद से बना रही है ताकि वे होम मेड राखी को अपने भाई की कलाई पर सजा सके।
जमशेदपुर, निर्मल। Rakhi राखी का त्योहार भाई-बहन का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है। एक कच्चे धागे की डोर भाई की कलाई पर बहन बांधती है तो भाई उसे वचन देता है कि हर सुख-दुख, जीवन के हर उतार-चढ़ाव में वो अपनी बहन की मदद करेगा। कोरोना वायरस से बचाव के लिए अब बहनें भी अपनी भाइयों की रक्षा के लिए पहल की है। कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कोई भी अनजाने लोगों से और बाहरी सामन को छूना नहीं चाहता है। ऐसे में छत्तीसगढ़ की कुछ महिलाएं बाजार से राखी लेने के बजाए खुद से बना रही है ताकि वे होम मेड राखी को अपने भाई की कलाई पर सजा सके।
कच्चे धागे से बना रही हैं राखियां
सोनारी की रहनेवाली चंदा देवी हर बार राखियां बाजार से खरीदकर भाइयों के हाथों में सजाती थी। लेकिन कोरोना वायरस के कारण उन्होंने नया तरीका अपनाया है। घर पर पूजा के लिए कच्चा धागा (कलावा या रक्षा सूत्र) है। इसे ही सूजा की मदद से बना रही हैं। वे बताती हैं कि राखी के लिए उन्होंने मात्र 30 रुपये खर्च किए हैं। घर पर रखी हुई मोतियों को राखी के ऊपर सजा रही है ताकि इसे आकर्षक बनाया जा सके। चंदा देवी का कहना है कि भाई राखी से नहीं बल्कि बहन के समर्पण की भावना से प्यार करते हैं।
1000 रुपये में बनाई 100 राखियां
गोलमुरी के टुइलाडुंगरी की रहनेवाली जिवंतिका का मायका छत्तीसगढ़ के भिलाई में है। वो हर साल अपने भाइयों को पोस्ट से राखी भेजती है। लेकिन इस बार उसने खुद के बनाई राखियां अपने भाइयों को भेजी है। जिवंतिका पहले से ही सिलाई-कढ़ाई करती रही है, ऐसे में घर में मौजूद सामान की मदद से एक महीने पहले से राखियां बना रही हैं। उसने मोतियों वाले, बच्चों के कार्टून वाले और रेशम के धागों वाली सुंदर-सुंदर राखियां तैयार की है। जिवंतिका अपने हाथों से बनाई राखियों को आस-पड़ोस की महिलाओं को भी बेचने की तैयारी कर रही है ताकि उसके साथ-साथ सभी के भाई कोरोना वायरस से दूर रहें। जिवंतिका बताती है कि हर एक राखी को सैनिटाइज कर उसे प्लास्टिक में पैक कर रही है ताकि सभी सुरक्षित रहे।
150 रुपये में 30 राखियां तैयार की है अनिता
सोनारी की रहने वाली अनिता साहू ने भी अपने भाइयों के लिए 30 राखियां तैयार की है। इसे उन्होंने रंग-बिरंगे धागे, मोती, स्टोन, रिबन की मदद से बनाया है। अनिता बताती हैं कि वो हर साल अपने हाथों के बने राखियां ही भाइयों की कलाई में बांधती है। इसलिए पिछले साल जो सामान बच गया था, उसी से नई राखियां तैयार कर ली है। अनिता बताती हैं कि उन्होंने मात्र 150 रुपये की लागत से 30 रंग-बिरंगी राखियां तैयार की है। जिसे बनाने में उसे एक सप्ताह का समय लगा है।