फिर मार्केट बना सकता है सिल्क, राज्य सरकार दे आर्थिक पैकेज
खरसावां-कुचाई का सिल्क फिर मार्केट बना सकता है। इसके लिए राज्य सरकार को आगे आना होगा। सूत-कताई का काम पूरी तरह से ठप है।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 02:54 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 02:54 PM (IST)
सरायकेला, जासं। खरसावां-कुचाई का सिल्क फिर मार्केट बना सकता है। इसके लिए राज्य सरकार को आगे आना होगा। सूत-कताई का काम पूरी तरह से ठप है। बंद सीएफसी को चालू करना होगा। जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। प्रवासी मजदूरों को घर पर ही काम मिल सकेगा। उनका पलायन रोका जा सकता है।
तसर समिति के सदस्य विवेकानंद सोय ने बताया कि तसर खेती के लिए किसी तरह की उपजाऊ जमीन की भी आवश्यकता नहीं होती है। धान के खेतों की मेड़ में अर्जुन आसन के पौधे लगा कर तसर कोसा की खेती हो सकती है। सरकार को इसे फिर जीवित करने की जरूरत है। बंजर भूमि में भी अजरुन आसन के पौधों पर तसर कीटपालन किया जा सकता है। लेकिन विभागीय बेरुखी के कारण तसर कोसा का उत्पादन भी प्रभावित हुई है। 2005 से 20013 तक खरसावां-कुचाई में बड़े पैमाने पर तसर कोसा होता था। लेकिन विभाग की लापरवाही की वजह से कुचाई सिल्क का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। सरकार इस पर अगर ध्यान दे तो कुचाई सिल्क फिर पूरे विश्व में अपना डंका बजा सकता है।
बंद सीएफसी को फिर से चालू करने के लिए सरकार से करेंगे पत्रचार: वर्षा
कुचाई प्रखंड के मरांगहातु पंचायत की मुखिया वर्षा रानी बाकिरा ने कहा कि कुचाई का सिल्क उद्योग जो चरमरा गया है उसे फिर से चालू करने को सरकार से पत्रचार किया जाएगा। झारक्राफ्ट के माध्यम से सामान्य सुलभ केंद्र जो बंद हैं उसे भी चालू कराने की पहल होगी। सामान्य सुलभ केंद्रों के बंद होने से तसर कोसा से सूत कताई का कार्य एक तरह से ठप हो गया है। कुचाई तसर सिल्क के विकास के लिए कार्य करेगी। बंद पड़े सीएफसी को खोलने का प्रयास होगा। किसानों के लिए नगदी फसल है। इसका पूरे विश्व में बाजार है। रेशम का गोल्डेन तसर कुचाई व टोकलो में होता है। अलग राज्य गठन के बाद झारक्राफ्ट के माध्यम से तसर उत्पादन का काम शुरू हुआ था। कुचाई की आठ हजार महिलाओं को रोजगार मिला। लेकिन आज सभी महिलाएं बेरोजगार हो गई हैं। आज देश के हर बड़े शहरों में ऊंची कीमतों पर कुचाई सिल्क के वस्त्र बिक रहे हैं। लेकिन सरकार ने मुह मोड़ लिया है। क्षेत्र के किसानों को तसर उत्पादन के लिए सरकार को आगे आना होगा और फिर से बाजार बनाना होगा। किसानों के खुशहाल जीवन जीने को अवसर मिले। और यहां की महिलाओं को रोजगार मिलेगा। यहां की महिलाएं तसर-धागा उत्पादन में माहिर हैं।
कुचाई सिल्क को पुनर्जीवित करने की जरूरत : प्रदीप
सरायकेला खरसावां जिला के चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रदीप कुमार चौधरी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में कुचाई सिल्क को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास रहा। उनके प्रयास से पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम कुचाई में आकर तसर उत्पादन को करीब से देखा और समझा। कुचाई सिल्क को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना उनकी कल्पना थी। कुचाई सिल्क जो शिथिल पड़ गई है, उसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है। सरकार कुचाई सिल्क को बढ़ावा देने के लिए किसानों आर्थिक पैकेज दे और प्रवासी मजदूर मजदूरों को प्रशिक्षण देकर उनको यही पर रोजगार दे। उन्होने कहा कि कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा की स्थिति में वर्तमान में राज्य सरकार को चाहिये कि तसर कोसा के उत्पादन को बढ़ाने के लिये कार्य करें। बंद पड़े सामान्य सुलभ केंद्रों को खोले, ताकि गांव की महिलाओं व पुरुषों को रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि कुचाई सिल्क की मांग देश विदेश में है। गांव के इन उत्पदनों को देश विदेश के बड़े शहरों तक ले जाने की आवश्यकता है, तभी लोगों को रोजगार मिलेगा।
सूत-कताई और कपड़ों की बुनाई से उपलब्ध होगा रोजगार: मनोज
तसर समिति के सदस्य मनोज कुमार मुदेया ने बताया कि तसर कोकून के कोसा से सूत कताई व कपड़ों की बुनाई कर महिलाएं अच्छी खासी रोजगार कर रही थी लेकिन विभाग की बेरुखी के कारण आज हजारों महिला व पुरुष बेरोजगार हो गए है। सरकार को इसे फिर जीवित करने की जरुरत है। क्षेत्र में तसर कोसा के खेती की शुरुआत की गई है। परंतु उन क्षेत्रों में भी कार्य आगे नहीं बढ़ सका। फिलहाल ये सभी कार्य बंद पड़े हुए है। इन कार्यों को पुन शुरु किया जाए, तो क्षेत्र के लोगों को घरों में ही रोजगार मिल सकेगा तथा आत्म निर्भर भारत के परिकल्पना को भी साकार कर सकेंगे। बड़ी संख्या में लोगों का पलायन रुकेगा। जरूरी है कि इसके लिए राज्य सरकार आर्थिक पैकेज देकर तसर उद्योग को पुनर्जीवित करे।
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