यह पार्क उनकी याद दिलाएगा जिन्होंने कोरोना से हमें बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी
कोरोना की दूसरी लहर में देखा गया कि मरीजों को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की समस्या हुई। ऐसे में इन योध्दाओं के नाम पर एक-एक पेड़ लगाकर ऑक्सीजन की कमी को दूर करने का भी प्रयास है। एक पेड़ से सात लोगों की जान बचाई जा सकती है।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। कोरोना से लड़ते-लड़ते जान गंवाने वाले योध्दा हमारे बीच तो नहीं रहे लेकिन भविष्य में उन्हें याद जरूर किया जाएगा। जिस तरह से हमारे जांबाज सैनिक बॉर्डर की रक्षा करते-करते अपनी जान गंवा देते हैं ठीक उसी तरह कोरोना योध्दाओं ने भी बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़े और कोरोना की पहली व दूसरी लहर पर जीत प्राप्त की।
हालांकि, इस दौरान पूर्वी सिंहभूम जिले के 27 वीर योध्दाओं की जान चली गई, जिन्हें भविष्य में भी लोग याद करेंगे। उनके बारे में जानना चाहगें। कैसे थे हमारे, कोरोना योध्दा, किस तरह से उन्होंने लड़ी थी लड़ाई। उन सभी यादों को संजोग कर रखने के लिए जमशेदपुर के परसुडीह स्थित सदर अस्पताल परिसर में श्रद्धांजलि पार्क का निर्माण किया जा रहा है, जो संभवतः देश का पहला पार्क है। इस पार्क की सराहना इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) जमशेदपुर शाखा ने भी की है। इस पहल को उन्होंने सच्ची श्रद्धांजलि बताया है। साथ ही देशभर में श्रद्धांजलि पार्क खोलने की मांग भी की गई है। इसके लिए आइएमए राष्ट्रीय शाखा, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखने का निर्णय लिया गया है।
हर तरफ हो रही सिविल सर्जन की सराहना
सिविल सर्जन डॉ. एके लाल की इस पहल की सराहना चारों तरफ हो रही है। दैनिक जागरण के अभियान मिशन ऑक्सीजन से प्रेरित होकर सिविल सर्जन ने इस पार्क का निर्माण करने को ठाना और खुद के पैसे से इसे तैयार करवा रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में देखा गया कि मरीजों को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की समस्या हुई। ऐसे में इन योध्दाओं के नाम पर एक-एक पेड़ लगाकर ऑक्सीजन की कमी को दूर करने का भी प्रयास है। एक पेड़ से सात लोगों की जान बचाई जा सकती है। अभी तक इस पार्क में पांच योध्दाओं के नाम पर पौधरोपण किया जा चुका है। इसमें डॉ. जेपी लाल, संजीव कुमार, एस, पिंगुवा, डॉ. बीरेंद्र सेठ व डी. गौतम का नाम शामिल हैं।
पार्क में बैठने और योध्दाओं की होगी पूरी जानकारी
पार्क की खासियत होगी कि यहां पर लोगों की बैठने की भी व्यवस्था होगी। इसके लिए कर्सी लगाएं जाएंगे। साथ ही सीमेंट का स्थायी कुर्सी भी बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही हर पौधे पर अलग-अलग योध्दाओं के नाम पर फोटो लगाया जाएगा। वहीं, योध्दाओं के संदर्भ में पूरी जानकारी भी उपलब्ध होगी। ताकि अगर किसी को दिलचस्पी हो तो वह उनके संघर्ष के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकें।
इनकी सुनें
कोरोना से लड़ते-लड़ते जान गंवा देने वाले योध्दाओं की भरपाई तो हम नहीं कर सकते हैं लेकिन उनकी यादों को संयोग कर जरूर रख सकते हैं। इसके लिए सबसे बेहतर उदाहरण पेड़ को चुना गया। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर ने हमें ऑक्सीजन का महत्व बता दिया है।
- डॉ. एके लाल, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम।
श्रद्धांजलि पार्क का निर्माण होना कोरोना योध्दाओं के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। सिविल सर्जन का सराहनीय पहल है। ऐसा पार्क का निर्माण देशभर में होनी चाहिए। इसके लिए आइएमए राष्ट्रीय शाखा, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जा रहा है। ताकि योध्दाओं को जीवनभर याद किया जा सकें।
- डॉ. मृत्युंजय सिंह, सचिव, आइएमए, जमशेदपुर शाखा।
मेरे पति डॉ. बीरेंद्र सेठ ने कोरोना से लड़ते-लड़ते जान गंवा दी। वे डुमरिया स्थित स्वास्थ्य केंद्र में तैनात थे। पति के नाम पर मैंने भी श्रद्धांजलि पार्क एक पौधा लगाई हूं। उसकी नियमित तौर पर देखभाल भी करती हूं। सिविल सर्जन का यह काफी अच्छा प्रयास है। इस पेड़ से भावनात्मक लगाव रहेगा।
- डॉ. लक्ष्मी कुमारी, प्रभारी, सीएचसी, जुगसलाई।