Ayodhya Demolition: अयोध्या का विवादित ढांचा गिराए जाने की 29वीं बरसी पर सम्मानित होंगे शहीद कोठारी बंधु
छह दिसंबर 1992 को अयोध्या का विवादित ढांचा गिराने में कोलकाता के कोठारी बंधु अग्रणी रहे थे। इस घटना की 29वीं बरसी पर वीर सावरकर फाउंडेशन की ओर से क्रांतिकारी मदनलाल ढींगरा अवार्ड-2021 अमर शहीद कोठारी बंधु ‘राम व शरद कोठारी’ को मरणोपरांत दिया जाएगा।
जमशेदपुर, जासं। राम मंदिर आंदोलन की कड़ी में छह दिसंबर 1992 को अयोध्या का विवादित ढांचा गिरा दिया गया था। इसमें कोलकाता के कोठारी बंधु अग्रणी रहे थे। इस घटना की 29वीं बरसी पर वीर सावरकर फाउंडेशन की ओर से क्रांतिकारी मदनलाल ढींगरा अवार्ड-2021 राम मंदिर आंदोलन के अमर शहीद कोठारी बंधु ‘राम व शरद कोठारी’ को मरणोपरांत दिया जाएगा।
वीर सावरकर फाउंडेशन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने बताया कि यह अवार्ड उनकी बहन पूर्णिमा कोठारी को प्रदान किया जाएगा। इसके लिए बरसी की पूर्व संध्या पर पांच दिसंबर को कटक (ओडिशा) स्थित माणिक घोष बाजार में क्रांति ओडिशा न्यूज सभागार में समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसमें भुवनेश्वर के प्रसिद्ध उद्योगपति, समाजसेवी व आयोजन के प्रधान अतिथि महेंद्र गुप्ता द्वारा यह सम्मान दिया जाएगा। वीर सावरकर फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रहलाद खंडेलवाल व महामंत्री श्याम सुंदर पोद्दार भी कटक निवासी हैं, जबकि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार (जमशेदपुर) हैं। कार्यक्रम के संयोजक नंदकिशोर जोशी व सहसंयोजक सुभाष केडिया हैं। सम्मेलन में धर्मचंद्र पोद्दार भी उपस्थित रहेंगे।
कोठारी बंधुओं ने ढांचे पर फहराया था भगवा
अयोध्या में विवादित ढांचे के चारों ओर पुलिस का कड़ा पहरा था। इसके बावजूद 20 वर्ष के शरद कोठारी व 23 वर्ष के रामकुमार कोठारी ने ढांचे के गुंबद पर भगवा झंडा फहरा दिया था। इसे पहले 30 अक्टूबर को अयोध्या में हुई फायरिंग में पांच कारसेवकों की जान चली गई थी। किताब ‘अयोध्या के चश्मदीद’ में लिखा है कि कोठारी भाइयों के दोस्त राजेश अग्रवाल के अनुसार 22 अक्टूबर की रात शरद व रामकुमार कोठारी कलकत्ता से चले थे। वे बनारस में रूक गए थे। सरकार ने बस व ट्रेन बंद कर रखी थी। ये टैक्सी से आजमगढ़ के फूलपुर कस्बे तक आए। इसके बाद वहां से सड़क भी बंद थी, लेकिन दोनों भाई 25 अक्टूबर को अयोध्या पैदल निकल पड़े। करीब 200 किलोमीटर पैदल चलने के बाद 30 अक्टूबर को दोनों अयोध्या पहुंचे। उसी दिन ये गुंबद पर चढ़े, जिसमें पहले शरद कोठारी थे। उनके बाद रामकुमार कोठारी चढ़े। दोनों ने गुंबद पर भगवा झंडा फहराया था। इसके तीन दिन बाद दो नवंबर को विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की ओर से हनुमानगढ़ी की ओर जा रहे थे। इस दौरान पुलिस ने गोली चलाई तो दोनों भाई पीछे हटकर गली के एक घर में छिप गए, लेकिन थोड़ी देर बाद जब बाहर निकले तो पुलिस की गोलियों के शिकार बन गए। दोनों भाई ने वहीं दम तोड़ दिया। कोठारी परिवार वर्षों से कोलकाता में रह रहे हैं, लेकिन मूल निवासी बीकानेर राजस्थान के हैं। इस घटना के एक महीने बाद ही इनकी बहन पूर्णिमा की शादी होने वाली थी।